नौगढ़ के राजा सुरेंद्र सिंह के लड़के वीरेंद्र सिंह की शादी विजयगढ़ के महाराज जयसिंह की लड़की चंद्रकांता के साथ हो गई । बारात वाले दिन तेज सिंह की आखिरी दिल्लगी के सबब चुनार के महाराजा शिवदत्त को मसालची बनना पड़ा। बहुत तो की यह लड़ाई हुई कि महाराज शिवदत्त का दिल अभी तक साफ नहीं हुआ है इसीलिए अब उनको कैद ही में रखना मुनासिब है। लेकिन महाराज सुरेंद्र सिंह ने कहा कि "महाराज शिवदत्त को हम छोड़ चुके हैं, इस वक्त जो तेज सिंह से उनकी लड़ाई है वह हमारे साथ में रखने का सवाल नहीं हो सकता । अगर अब भी यह हमारे साथ दुश्मनी रखेंगे तो क्या हर्ज है, यह भी मर्द है और हम भी मर्द है, देखा जाएगा।" शादी के थोड़े ही दिन बाद बड़ी धूमधाम के साथ कुंवर वीरेंद्र सिंह चुनार की गद्दी पर बैठ गए और कुंवार छोड़ राजा कहलाने लगे। सुरेंद्रसिंह अपने लड़के को आंखों के सामने से हटाना नहीं चाहते थे, लाचार नौगढ़ की गति फतेह सिंह के सुपुर्द कर वह भी चुनार ही रहने लगे, मगर राज्य का काम बिल्कुल वीरेंद्र सिंह के जिम्मे था, जहां कभी-कभी राय दे देते थे। शादी के 2 बरस बाद चंद्रकांता को लड़का पैदा हुआ। इसके