मटरू एक गरीब किसान था। जिसके पास तीन-चार मुर्गियां एक बकरी और एक छोटा सा खेत था। मटरू के परिवार में उसके अलावा और कोई नहीं था लेकिन फिर भी मटरू खुश था क्योंकि उसे अपने खेत और पालतू जानवरों से बहुत प्यार था। मटरू अपना खाना अपने मुर्गियों और बकरियों के संग भी बांटा करता था। एक दिन बात है मेट्रो बाजार से सामान लेकर गांव की ओर लौट रहा था। तभी रास्ते में उसकी नजर एक छोटे से कुत्ते पर पड़ी जोर दर्द के मारे कहार रहा था। मेट्रो ने एक हाथ पर अपना सारा सामान पकड़ा और दूसरे हाथ में उस छोटे कुत्ते को मटरू अपने घर गया पहले उसकी मरहम पट्टी और फिर मेट्रो ने कुत्ते को अपने हाथों से खाना खिलाया वह छोटा कुत्ता ठीक होने लगा। अब मटरू उसके साथ खूब खेला करता था। मत रोको एक नया साथी मिल गया था। दिन में जब मटरू खेत में खेती किया करता था। तो उसका कुत्ता उसी के आसपास मंडराता रहता था। वर्ष बीतते गए और मटरू और कुत्ते की दोस्ती और गहरी होती गईं। अब मटरू पहले अपने कुत्ते को खिलाता और फिर खुद खाया करता था। कुछ वर्ष बीत गए और अब मटरू की तबीयत खराब रहने लगी थी। उसे रोजाना दवा खाने जाना पड़ता था।