धरती के ऊपर शायरों के कुछ शायरी Dharti Top Hindi Shayari हम अपनी धरती से अपनी हर सम्त ख़ुद तलाशें हमारी ख़ातिर कोई सितारा नहीं चलेगा - मोहसिन नक़वी क्या जाने कब धरती पर सैलाब का मंज़र हो जाए हर-दम ये मजबूर निगाहें वर्षा करती रहती हैं - ज़फर इमाम दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं मिट्टी की सुंदरता देखो और मुझे देखो - सरवत हुसैन धरती और अम्बर पर दोनों क्या रानाई बाँट रहे थे फूल खिला था तन्हा तन्हा चाँद उगा था तन्हा तन्हा - ज्ञान चंद जैन जो छू लूं आसमां पांव की धरती खींच लेता है वो मुझ को क्यूं मिरे क़द से बड़ा होने नहीं देता - राम अवतार गुप्ता मुज़्तर रोज़ बस्ते हैं कई शहर नए रोज़ धरती में समा जाते हैं - कैफ़ी आज़मी इतनी ऊंचाई से धरती की ख़बर क्या जाने उस को मिट्टी ने ही पाला है शजर क्या जाने - ज़ोहेब फ़ारूक़ी अफ़रंग धरती से दूर हैं न क़रीब आसमां से हम कूफ़े का हाल देख रहे हैं जहाँ से हम - रऊफ़ ख़ैर सेहर कैसा ये नई रुत ने किया धरती पर मुद्दतों बाद कोई फूल खिला धरती पर - रफ़ीक राज़ धरती से आकाश मिला दो मुझ को मेरा आज पता दो - नदीम सिद्दीक़ी