फ़ज़ा shayari फजाओ शायरों के अल्फाज फ़ज़ा मलूल थी मैं ने फ़ज़ा से कुछ न कहा हवा में धूल थी मैं ने हवा से कुछ न कहा - रईस फ़रोग़ गुलशन की फ़ज़ा धुआँ धुआँ है कहते हैं बहार का समाँ है - हबीब जालिब faza par shayari उर्दू sher इक तिरे नूर से है मुनव्वर फ़ज़ा इक तिरी मोहनी दिल लुभाने लगी - कृष्ण मुरारी फ़ज़ा कि फिर आसमान भर थी ख़ुशी सफ़र की उड़ान भर थी - राजेन्द्र मनचंदा बानी faza shayari फ़ज़ा शायरी फ़ज़ा का रंग निखरता दिखाई देता है है शब तमाम कि सपना दिखाई देता है - अज़रा वहीद फ़ज़ा में बिखरे हुए रंग झिलमिलाते क्या वही हवा थी चराग़ों को फिर जलाते क्या - मुमताज़ राशिद faza shayari sher in hindi 2 line बदल गई है फ़ज़ा नीले आसमानों की बहुत दिनों में खुलीं खिड़कियाँ मकानों की - इरफ़ान सिद्दीक़ी फ़ज़ा में छाए हुए हैं उदास सन्नाटे हों जैसे ज़ुल्मत-ए-शब का लिबास सन्नाटे - सलीम अंसारी faza par shayari faza par she r