सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

bima agent हिंदी कहानी

उनके पास कार थी, बांग्ला भी था। सब पार्टियों में बुलाए जाते थे। रईस तथा बड़े आदमी होने के कितने दिन होते हैं, सब  उनमें थे। वह बी ए पास थे, मैं एम ए पास था। मैं उनसे भी बढ़कर रईस बन सकता था। उन्होंने बीमा कंपनी की एजेंसी के सब लाभ मुझे समझाए। जिससे मैं इस परिणाम पर पहुंचा की मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में और इस संसार में नेतागिरी में जो सुख मिलता है वही इस व्यवसाय में बीमा एजेंट बनने में होता है। मैं एजेंट बना और 6 महीने के भीतर मैंने अपने नगर में ही 25000 का बीमा करा लिया था। एक नवीन एजेंट के लिए या साधारण बात नहीं थी एक दिन मैंने सुना कि मेरे नगर से सहस्त्र मील दूर जमीदार रहते हैं उन्हें अपनी जान का बीमा कराने की बड़ी इच्छा है बीमा एजेंट जब सुनते हैं कि कोई जान का बीमा कराने वाला है तब उनकी वही दशा होती है जो गांधी टोपी देखकर पुलिस की होती है मैंने सोचा कि ज्यादा नहीं तो 10000 का बीमा को ही जाएगा एक टैक्सी एक टैक्सी लिए संध्या को 4:00 बजे घर से निकला सड़क के दोनों और गड्ढे जल से भरे हुए थे जैसे शुभम साहू की तिजोरी जोरिया गाड़ी चलने से कुछ घंटे का चली थी जिसके जिसके नील ने जिस के नींद में एकदम हमला कर दिया जैसे कमजोर होते पर आक्रमण कर बैठी थी है अचानक निद्रा भंग हुई और मैंने देखा कि भारत की बदकिस्मती के समान मोटर गाड़ी खड़ी है चालक महोदय गाड़ी से उतरे प्रेमी के निर्देश गाड़ी का बोला इधर उधर देखा यह पेज का बोला मैंने कहा मेरी सहायता अपेक्षित हो तो कहिए ड्राइवर ने पुराने सिक्के के समाज में कहा बाबूजी का किताब नहीं है कि जिसका अर्थ है लगा लिया यह मशीन मशीन और बिगड़ जाती है सभी पुलिसकर्मी के समान हो जाती है ओने घंटे के बाद गाड़ी गंभीरता से कहा कि गाड़ी चल नहीं सकती जैसे डॉग कई ₹100 की औषधियां पिलाकर और दान 3 पहाड़ों की सैर करा कर कहते हैं अब रोगी से यदि कोई व्यवस्थित नामा लिखा ना हो उस का प्रबंध कीजिए एक और साथ में जाना शेष रह रहा था तथा दूसरी और 10 मेल लौटना था रजनी रजनी रानी की सलमे सितारे वाली साड़ी का आंचल पर आने लगा था उसकी अपने सम्मेलन की बैठक के लिए शीघ्रता कर रही थी क्योंकि यह समय के पाबंद होते हैं महोदय के लिए निकल रहे थे जैसे पैसे की कमी के समय पुराने मित्रों की याद आती है वैसे ही कटाई के समय ईश्वर की ईश्वर भी याद आ जाते हैं मैंने मन ही मन भगवान का स्मरण किया कि की गाड़ी चल जाए मैंने ड्राइवर से कहा कि एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिए मैं भी खेलता हूं उसने संभाल मैंने अलार्म भगवान सुदर्शन भले ही चलाते हैं और संसार का शासन चलाते हो लेकिन वह मेरी कार नहीं मिली थी सोच रहा था कि भोर में देखता था देखा था ठंडी हवा का झोंका किसी रानी को देखकर जैसे भिखारी आते हैं
मेरी असहाय अवस्था देख कर बादल घिर आए और सिक्कों के जैसी बड़ी बड़ी बूंदे गिरने लगी रात भर भीगने के सिवाय और कुछ चारा नहीं था। चारों तरफ देखा सुदूर क्षितिज में एक आलोक दिखाई दिया। काली रात में ऐसा जान पड़ा की सघन केशपाश में सिंदूर की रेखा। गाड़ी को जहां का तहां छोड़कर उसी प्रकाश की ओर चले।
एक मील चलने के बाद देखा कि 1520 कच्चे घरों का एक पुरा है । सबसे पहले एक स्त्री के दर्शन हुए। उसने हमें देखते ही कीबाड़ जोर से बंद कर लिया। हम आगे बढ़े ।
एक वृद्ध बालक को गोद में खिला रहा था।
उसने मेरे सूट की ओर देखा और सलाम।मैंने पूछा कि यहां रात भर रहने के लिए जगह मिल जाएगी क्या?
उसने कहा आप रह सकते हैं, लेकिन रात भर कष्ट होगा। आप सामने महत्व के घर चले जाएं। हम भी ते हुए जोखन महतो के घर पहुंचे। महतो ने लड़केसे अंगीठी जलाकर लाने के लिए कहा और मुझसे पूछताछ करने लगे। मैंने सारा हाल बताया, जैसे किसी कचहरी में बयान देना हो।उन्होंने कहा यदि आप खा सके तो मेरे यहां ज्वार की रोटी और मटर की दाल बनी है। मैं बोला, इस समय तो मैं खास भी खा सकता हूं। यह तो भोजन ही है। खाते हुए बातचीत जारी रही।
महतो : आप सरकारी अमला है, किस कचहरी में काम करते हैं?
मैं : नहीं, मैं कचहरी में नहीं। स्वतंत्र काम करता हूं।
महतो : कपड़े से तो ऐसे ही जान पड़ते हैं। स्वतंत्रता काम खेती बाड़ी?
मैं : नहीं मैं जान का बीमा करता हूं।
महतो : यह क्या है? क्या डॉक्टरी करते हैं?
मैं : नहीं, मैं व्यक्ति से थोड़ा-थोड़ा रुपए लेता हूं और अगर वह मर जाए तो उसे हजार दो हजार जितने का बीमा हो इतने रुपए देता हूं।
महतो : तो यह कहिए कि आप महा ब्राह्मणों के ओर से नियुक्त हैं। मरने के बाद क्रिया क्रम के लिए रुपए देते हैं।
मैं : महतो जी, आप समझे नहीं। मनुष्य का कोई ठिकाना नहीं। कब चल बसे तो उसके घर वाले क्या करेंगे?
महतो: यह देखना तो भगवान का काम है कि क्या करेंगे? हम क्या कर सकते हैं?
मैं : भगवान तो करेंगे। लेकिन मनुष्य को तो सब प्रकार से सहज रहना चाहिए।
महतो ने हैरत और धोखे के मिश्रित भाव चेहरे पर लाते हुए कहा सहायता करनी है तो कीजिए फिर उनसे रुपया क्यों लेते हैं।
मैंने  कहा यह तो सहायता है और साथ-साथ व्यवसाय भी चलता है।
महतो: व्यवसाय भले ही हो, सहायता नहीं हो सकती।मेरा ही रुपया मुझ से लेकर मुझे को सहायता देते हैं। यहां तो मूर्ख बनाना हुआ। मैं समझ गया। लेकिन जाल में फंसने वाला नहीं हूं।अभी अभी 6 महीने हुए हैं कि एक साधु आया था उसने कहा था कि एक नोट का हम दो नोट बना देंगे। एल्गो सोनार के ₹50 वह इसी प्रकार से ले गया। आप लोग बढ़िया बढ़िया कपड़े पहनकर बेस बनाकर गांव वालों को ढक लेते हैं।
मैंने लाख समझाया उसने विश्वास नहीं किया। बोला आपने बता दिया। आप आप कृपया कर यहां से जाएं। मैंने बड़ी मन्नत की कि आज रात हमें रहने दे। उसने एक ना सुनी और आखिर में बड़ी रुखाई से दो प्लास्टिक के बोरे हमें दिए और किवाड़ बंद कर के अंदर चला गया।किवाड़ बंद करते समय मुझे यह शब्द सुनाई पड़ा भगवान इन से रक्षा करना।यह सब शहर से गांव वालों को ठगने आते हैं।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...