कैफे से बाहर आए तो बारिश की बूंदें भिगोने लगीं । उसने हथेलियां फैला दीं और बोली , “ देव बाबू , भीगेंगे मेरे साथ इस खुशनुमा बारिश में ? ” Story on Khushnuma Barish खुशनुमा बारिश पर कहानी आफिस आने - जाने के लिए मेट्रो पकड़ना और आराम से बैठकर या तो ऊंघते हुए या कुछ पढ़ते हुए या पूरे रास्ते भीड़ को कोसते हुए खड़े होकर सफर करना । किसी तरह से शाम को घर पहुंचकर खाना और सो जाना ... भागम - भाग • टाइम से नौकरी की जिम्मेवारी निभाने पहुच जाना और के सिवाय और कुछ नहीं था उसकी जिंदगी में मां लड़की ढूंढ रही थीं कि अब शादी हो जानी चाहिए । वह क्या चाहता है , उससे न तो कभी पूछा गया , न कभी उसने बताया ; या शायद उसे खुद ही नहीं पता था कि वह क्या चाहता है । भागते - दौड़ते , शोरगुल और न समझ आने वाली बेचैनी के साथ जी रहा था । दरवाजे बंद होने की घोषणा हुई । वह दरवाजे के पास ही खड़ा था । सीढ़ियों से भागती , सांसों को उखड़ने से बचाने का प्रयास करती , वह दौड़ी चली आ रही थी दरवाजा बंद होने ही वाला था । उसने अपना बैग दरवाजे . के बीच में फंसा दिया । दरवाजा खुल गया , वह लपकती हुई अंदर घुस गई । जीन्स के ऊपर पिंक क