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यती मार पाई करलाने, की दरद ना आया


5:20 पर गोलियां चलने बंद हुई। जब तक शहर के लोग कीमत करके अपने-अपने परिजनों को ढूंढने भाग तक पहुंचे, तब तक कर्फ्यू लगने का समय हो चुका था।
डायर ने हुकुम दिया था कि 8:00 बजे के बाद जो कोई भी सड़क पर दिखे उसे गोली मार दिया जाए।
5:20 minute par goliya chalne band hui.
jab tak shehar ke log himmat Karke Apne Apne pariyon ko dhoondhne baat tak pahunche, tab tak curfew lagne ka samay ho chuka tha.
dayan hukum Diya ki 8 baje ke baad Jo koi bhi sadak par dikhai de use goli maar Di jaye.
इसीलिए जो लोग हिम्मत कर के अपने परिजनों को ढूंढने 7:00 बजे तक बाग में पहुंचे थे, वह भी 8:00 बजने से पहले ही, अपने घरों को लौट आए। अगर किसी को अपने मित्र या रिश्तेदार की लाश मिली थी, तो वह उसे अपने साथ ले जाने की स्थिति में नहीं था। इसीलिए अधिकतम ला से वही बाग में ही पड़ी रही। विद्या, नीरू के पास पहुंची, उसने नीरू को पहचान लिया।
isiliye Jo log himmat Kar ke Apne pariyon ko dhun ne 7 baje tak baag mein pahunche bhi the, weh bhi 8 bajne se  pahle hi, Apne ghar ko laut aye.
दो बार पहले ही देख चुकी थी वह उसे। नीरू उठ कर बैठी और दीवार से टेप लगाकर बैठ गई। उसकी सास बहुत तेजी से चल रही थी। उदम ने उसे पानी पिलाया। पानी पीकर नीरू थोड़ा थोड़ा सैफ अली और एकदम अपने आसपास देख  के बोली, वह बच्चा ‌ उधम सिंह ने बच्चे को उठाया और नेहरू के पास लेकर आया।
तुम्हारा बच्चा है विद्या ने नीरू से पूछा । नहीं देश का बच्चा है, नीलू बोली। नीरू ने उठने की चेष्टा की तब उसे अपने पैर में धंसी गोली का एहसास हुआ गोली उसे बाएं पैर के अंगूठे के पास से घुसी थी और पैर को चीरती हुई आधी से ज्यादा तलवे से बाहर निकल गई थी।
वीरे नीरू ने हमसे कहा मेरी गोली निकाल दे।
नहीं बहना बहुत तकलीफ होगी चल मैं तुझे अस्पताल में चलता हूं उधम ने कहा। क्यों मजाक कर रहा है वीरे फिरंगीओं के किस अस्पताल में जगह मिलेगी मुझे? तू गोली निकाल। मैं दर्द सह लूंगी।
बहन जिद मत कर। यहां कोई ऐसा तरीका नहीं है जिससे कि मैं यह गोली निकाल सकूं।
उन दोनों की बातें बाघ के वीराने में गूंजी तो उन्हें सुनकर निम्मो वहां आए । नीरू को देखते ही वह बोली नहीं हो तो ठीक है?
हां मैं ठीक हूं, नीलू ने कहा यह था कि उसके पैर में जोर का दर्द उठा। उसने हॉट खींच कर आकाश की ओर देखा, तो एक नई मुसीबत उसे जलिया वाले बाग की और आती दिखाई दी। खून और मुर्दा जिस्मो कि वह घूमते आवारा कुत्ते और गिद्ध जलियांवाला बाग की जमीन और आकाश पर मंडराने लगे थे।
नीरू ने बच्चा विद्या के हवाले किया और उधम से बोली वीर्य रखवाली करनी होगी हमें। कुत्तों के आने की आवाज तब तक सभी को आ चुकी थी। रती देवी ने वहां बड़ी एक लाठी उठाई और छज्जू राम के आसपास घूमती कुत्तों को वहां से हटाया। उधम ने भी एक लाठी उठाई और कुत्तों की तरफ दौड़ा। नीरू एक टांग पर खड़ी हो गई और वह भी लाठी उठा कर लाशों और घायलों की रक्षा में जुट गई ।
विद्या ने भी एक हाथ में बच्चे को पकड़ और दूसरे हाथ में डंडा लेकर कुत्तों को लाश से दूर करने लगी। कर्फ्यू का सायरन बज उठा। शहर का सन्नाटा और भी बढ़ गया। तभी उस कुछ सन्नाटे को चीरते हुए बाबा नानक के एक शब्द की आवाज उन चारों ने सुनी। यह आवाज भाई भाग सिंह की थी जो कि उस वक्त जलियां वाले बाग में प्रवेश कर रहा था उधम सिंह ने भाग सिंह को देखा तो दौड़कर अपने बाबा जी से गले मिला। उसकी आंखों से आंसुओं की धारा वह निकली।
बाबा जी वीरा उधम ने साधु सिंह की लाश की ओर इशारा किया। भाई भाग सिंह ने उधम के सिर पर हाथ रखा और गुरु नानक का शब्द गाना जारी रखा। गुरु के वाक्यों में उन चारों की मौत कई गुना बढ़ा दी और वह रात भर लो और घायलों की रक्षा करते रहे।
विद्या ने बीते घंटों में एक बार भी गोपाल के बारे में नहीं सोचा था। इस भयावह मंजर ने विद्या को उसके पिता की ओर से अभय मुक्त कर दिया था।
गोपाल कहां था?
क्या जलिया वाले बाग में लाश बना पड़ा था?
या घायल हुआ डॉक्टर की सहायता का इंतजार कर रहा था?
या फिर वह भला चंगा घर में बैठा विद्या के लिए चिंतित हो रहा था?
इन सब सवालों से विद्या उस घड़ी आवाज थी? मैं जरूर जानता हूं कि गोपाल का क्या हुआ लेकिन इस वक्त में भी इतना की तरह सब कुछ भूलकर 100 साल पुराने उस दर्दनाक मंजर में भाई भाग सिंह की करुणामई ममतामई आवाज में बाबा नानक की बानी सुन रहा हूं और चाहता हूं कि आप भी उसे सुने और उसका मार्मिक अहसास महसूस करें।

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