सखी :
तपती धरती पर खड़ी मैं
पड़ने लगी ठंडी फुहारे
बीता फागुन, दूर है सामान
कहां से आया बसंत मनभावन
ठंडी ठंडी हवा चली है
मस्ती से तन पर छाई है।
बौराया सा है मौसम
गगन में बदरी भी भरमाई है। ।
कुछ तो बता प्यारी सखी
कौन ऋतु यह आई है ?
तपती धरती पर खड़ी मैं
पड़ने लगी ठंडी फुहारे
बीता फागुन, दूर है सामान
कहां से आया बसंत मनभावन
ठंडी ठंडी हवा चली है
मस्ती से तन पर छाई है।
बौराया सा है मौसम
गगन में बदरी भी भरमाई है। ।
कुछ तो बता प्यारी सखी
कौन ऋतु यह आई है ?
सहेली :
सुन सखी ऋतुओं की ऋतु
यह सब ऋतुओ से न्यारी है।
बोती बीज बावरी जनता
खिलती उनकी क्यारी है ।।
खाली हाथ एक अपने
बंजर भूमि को कोसे हैं।
कल तक थे जो उनके भरोसे
आज वे बैठे उनके भरोसे है।।
सुन सखी ऋतुओं की ऋतु
यह सब ऋतुओ से न्यारी है।
बोती बीज बावरी जनता
खिलती उनकी क्यारी है ।।
खाली हाथ एक अपने
बंजर भूमि को कोसे हैं।
कल तक थे जो उनके भरोसे
आज वे बैठे उनके भरोसे है।।
सखी :
चढ़ी कुमारी रंग रंगीली
क्यों यह मन को भावे है
कोई नाचे कोई ताल बजाए
कोई करतब कर दिखलावे है
क्या बाजेगें बादल बरखा के
क्या घटा सांवली छाएंगी
बता जरा मुझको सखी
क्या धरती भी हरियाएगी
चढ़ी कुमारी रंग रंगीली
क्यों यह मन को भावे है
कोई नाचे कोई ताल बजाए
कोई करतब कर दिखलावे है
क्या बाजेगें बादल बरखा के
क्या घटा सांवली छाएंगी
बता जरा मुझको सखी
क्या धरती भी हरियाएगी
सहेली:
जब होगी सावन की गर्जन तर्जन
तब हरिया का आग भीगेगा।
फिर थपकी का झुग्गियों से जल
फिर कलुआ का टिन रीसेगा।।
काला बादल चमकीली बिजली
मिलकर मुन्ना मुन्नी को डरायेंगे।
छीनने वाले निवाला उनका
खुद पिज्जा बर्गर खाएंगे।।
जब होगी सावन की गर्जन तर्जन
तब हरिया का आग भीगेगा।
फिर थपकी का झुग्गियों से जल
फिर कलुआ का टिन रीसेगा।।
काला बादल चमकीली बिजली
मिलकर मुन्ना मुन्नी को डरायेंगे।
छीनने वाले निवाला उनका
खुद पिज्जा बर्गर खाएंगे।।
सखी :
हाथी साइकिल पर बैठा तो
क्या टायर पंचर कर जाएगा?
कीचड़ का फूल भी सब
क्या कीच कीच कर खाएगा
कौवा चोंच में जल भरकर
कहां बूंन बूंन टपकायेगा ?
हाथ फिरेगा किस सर पर
किसका मुख सूख कर जाएगा ?
हाथी साइकिल पर बैठा तो
क्या टायर पंचर कर जाएगा?
कीचड़ का फूल भी सब
क्या कीच कीच कर खाएगा
कौवा चोंच में जल भरकर
कहां बूंन बूंन टपकायेगा ?
हाथ फिरेगा किस सर पर
किसका मुख सूख कर जाएगा ?
मीना अरोडा़