मैं फौज से रिटायर हुआ तो मुझे भी ज्यादा खुशी थी मेरी बेटियां। मुझसे भी बड़ी खुशी थी कि अब बच्चों के नजदीक रहने का मौका मिलेगा। उनकी खुशियों में मैं हंसते खेलते शामिल था। हमारा एक प्रोटीन था कि हम रात में जब शहर में भीड़ कम हो जाती है, तो बाइक से एक चक्कर लगाते थे। आइसक्रीम खाते और ठंडी हवा खाते वापस आ जाते।
आइसक्रीम वाला वह हमें देखता तो मुस्कुरा देता। हम आपस में चर्चा करते की आइसक्रीम वाला हमें बहुत पसंद करता है। यह सिलसिला चलते 2 साल हो गए। अब लगने लगा कि हम उसके बहुत खास हो गए हैं। एक शाम हमें देर हो गई। लगभग 10:00 बज गए थे।
हमने सोचा आइसक्रीम वाला चला गया होगा। लेकिन हवा खोरी के बहाने घूमने निकल गए। आइसक्रीम वाला भी जाने की तैयारी कर रहा था। तभी हम पहुंच गए। उसने मुस्कुराकर नमस्ते किया। बोला, भैया आज लेट! मैंने कहा, हूं। उसने आइसक्रीम बढ़ा दी। हम रेपर खोलकर वही खाने लगे। वह बोला, भैया, बहुत दिनों से एक बात पूछना चाहता था।मैं समझ गया जरूर मेरे काम काज की इतिहास भूगोल के बारे में पूछेगा।
मैंने कहा पूछो।
वह बोला, कितने बच्चे हैं आपके? मैंने कहा, यह दोनों है। वहां फिर रहस्यमय तरीके से मुस्कुराया, और कोई बाबू नहीं है? उसने दोनों हाथ से एक नन्हे बच्चे की आकृति बनाया। मैं हंसा, नहीं, नहीं। यही दो बेटियां हैं बस।
वह बोला, कितने बच्चे हैं आपके? मैंने कहा, यह दोनों है। वहां फिर रहस्यमय तरीके से मुस्कुराया, और कोई बाबू नहीं है? उसने दोनों हाथ से एक नन्हे बच्चे की आकृति बनाया। मैं हंसा, नहीं, नहीं। यही दो बेटियां हैं बस।
वह बोला, "मतलब अभी एक बच्चा और पैदा करेंगे।"
"अरे नहीं यार! यही काफी है। अब और नहीं।"वहां फिर बेशर्म ऐसे मुस्कुराया, कहने के लिए तो ऐसा ही कहेंगे। लेकिन मन के अंदर तो रहता ही है कि एक वंश चलाने वाला हो।"
"अरे नहीं यार! यही काफी है। अब और नहीं।"वहां फिर बेशर्म ऐसे मुस्कुराया, कहने के लिए तो ऐसा ही कहेंगे। लेकिन मन के अंदर तो रहता ही है कि एक वंश चलाने वाला हो।"
मुझे अब बुरा लग रहा था। मैंने कहा, मैं ऐसा नहीं सोचता। ये तो दकियानूसी सोच है।" मेरा तो दिमाग ही चकरा गया, यह आदमी मेरे बारे में 2 साल से यही सोच रहा था। मन उदास हो गया। बेटियों को बिठाकर वापस चल दिया।
बेटियां शायद मेरी उदासी को महसूस कर रही थी। बोली-पापा, आइसक्रीम वाले के बेटे को देखा है,?
नहीं तो । क्यों?"
"वो जो चौराहे से आगे आइसक्रीम लगाता है।"क्यों पढ़ने नहीं आता?"
"नहीं। पहले मेरी क्लास में ही पढ़ता था। आइसक्रीम वाले ने उसकी पढ़ाई छोड़ आती है।"
"अच्छा!" "हां, तभी उसकी ऐसी सोच है।"
नहीं तो । क्यों?"
"वो जो चौराहे से आगे आइसक्रीम लगाता है।"क्यों पढ़ने नहीं आता?"
"नहीं। पहले मेरी क्लास में ही पढ़ता था। आइसक्रीम वाले ने उसकी पढ़ाई छोड़ आती है।"
"अच्छा!" "हां, तभी उसकी ऐसी सोच है।"
मैंने कहा,"अब कल से उसकी दुकान पर नहीं जाएंगे।"
दोनों एक साथ बोल पड़ी, "नहीं, नहीं ।उसकी दुकान पर ही जाएंगे और उसे कुछ बनकर दिखाएंगे । जब तक उसके दिमाग से लड़की-लड़के का भ्रम टूट नहीं जाता।"
दोनों एक साथ बोल पड़ी, "नहीं, नहीं ।उसकी दुकान पर ही जाएंगे और उसे कुछ बनकर दिखाएंगे । जब तक उसके दिमाग से लड़की-लड़के का भ्रम टूट नहीं जाता।"
राम करन