विक्रम एक बड़ी आईटी कंपनी में काम करता था। एक दिन उसे दफ्तर से घर जाने में काफी देर हो गई। उसने सोचा, क्यों ना टैक्सी से चला जाए। रास्ता लंबा था, तो विक्रम ने ड्राइवर से बात चीत करनी शुरु कर दी।
पता चला कि ड्राइवर का नाम गुरप्रीत है। गुरप्रीत अपने अनुभव विक्रम के साथ बांट रहा था कि तभी दुर्घटना होते होते बची। गुरप्रीत सड़क के बीच में गाड़ी चला रहा था और बाई तरफ कुछ गाड़ियां खड़ी थी।
सड़क पर कोई डिवाइडर नहीं था और सामने की तरफ से एक बड़ा सा ट्रक आ रहा था। तभी अचानक बाई तरफ की गाड़ी सड़क के बीचो बीच आ गई। गुरप्रीत के पास दो ही विकल्प थे, या तो जोर से ब्रेक लगाए, या सड़क की दाएं तरफ चला जाए।
गुरप्रीत ने पहला विकल्प लिया और जोर से ब्रेक लगा दिया। टैक्सी जोर से आवाज करती सामने वाली गाड़ी से थोड़ी दूर पर जा रुकी। सामने वाली गाड़ी से एक शख्स उतरकर आया और बोला, क्या दिखाई नहीं देता है ? गुरप्रीत मुस्कुराते हुए बोला, माफ कीजिएगा, आप ठीक तो है न ।
उस शक्स ने घूम कर विक्रम को देखा और अपनी गाड़ी में चला गया। विक्रम बोला, उसकी वजह से हमारी जान जाते-जाते बची और तुमने उसी से माफी मांगी ? गुरप्रीत बोला, आपने कभी कचरा गाड़ी देखी है ?
वहां जहां जहां जाती है अपना कचरा गिर आती जाती है। कुछ लोग भी कचरा गाड़ी की तरह होते हैं, जिनके अंदर गुस्सा, तनाव, चिढ़, जलन आदि भरा होता है।
ऐसे लोग दूसरों का कचरा भी अपने अंदर जमा करते हैं और जहां जहां जाते हैं, अपना कचरा दूसरों पर गिराते जाते हैं। हमें उनका कचरा उन्ही पास रहने देना चाहिए,
और प्रार्थना करनी चाहिए कि वह सब कचरे से मुक्ति पा सके ।
जिंदगी बहुत छोटी होती है आप चाहे तो कचरा इकट्ठा कर ले या खुशियां