महेश की कहानी, जिसमें 10 वर्षों तक मालिक की नि:स्वार्थ सेवा करने के बदले उपहार मिला ।
महेश पिछले लगभग 10 साल से ड्राइवर की नौकरी करता था। उसके दो बेटे थे, जो अभी बहुत छोटे थे। रविवार का दिन था और महेश ड्यूटी पर जाने को तैयार ही हो रहा था कि उसके साहब का फोन आया।
वह बोले, महेश, आज अपने दोनों बच्चों और पत्नी को लेकर आना। महेश समझ नहीं पाया कि साहब ने ऐसा क्यों कहा। लगभग 1 घंटे बाद महेश सब को लेकर जैसे ही घर के बाहर निकला,
उसने देखा साहब अपनी गाड़ी लेकर उसके दरवाजे पर खड़े थे। महेश तुरंत ड्राइविंग सीट के पास गया और बोला, लाइए साहब, मैं चलाता हूं और आप बताइए कहां जाना है ?
साहब बोले, महेश तुम अपने परिवार के साथ पीछे वाली सीट पर बैठ जाओ, गाड़ी मैं चला रहा हूं।वह बहुत हिचकीचाहते हुए, अपने परिवार के साथ गाड़ी में बैठ गया।
कुछ ही देर में वह सब साहब के घर पहुंच गए। उन्होंने देखा,साहब का पूरा परिवार महेश और उसके परिवार का स्वागत करने के लिए दरवाजे पर खड़ा था। गाड़ी से उतरकर महेश और उसका परिवार घर के अंदर पहुंचा, तो देखा कि कई तरह के पकवान तोहफे रखे हुए थे।
महेश बोला, साहब, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि यह सब क्या हो रहा है ? साहब बोले, कल जब तुम छुट्टी पर थे, तो हम सब बाहर घूमने गए थे। आते वक्त हमारे सामने एक बहुत भयानक एक्सीडेंट हुआ,जिसमें एक ट्रक ने एक गाड़ी को पूरी तरह से ठोक दिया।
हालांकि गाड़ी में 5 लोग बैठे थे, लेकिन उनमें से किसी को खरोच तक नहीं आई। पर ड्राइवर की उस घटना में मृत्यु हो गई। हम सब को उस वक्त यह एहसास हुआ कि तुम हम सब के लिए कितने महत्वपूर्ण हो।
हम पिछले 10 वर्षों से रोज तुम्हारे साथ आते जाते हैं और आज तक कोई दुर्घटना हमें नहीं देखनी पड़ी।
हमारी जिंदगी को सुखद बनाने वालों के प्रति हमें एहसानमंद होना चाहिए