Mohan,Seth aur tarazu Hindi story Mohan ki kahani snake Seth ko uski Yatra se mahatekar sabak sikhaya
मोहन एक व्यापारी था। एक बार व्यापार में उसे भारी नुकसान हुआ। उसने दूसरे देश में व्यापार करने के बारे में सोचा। उसके पास एक कीमती तराजू था, जिसका वजन 20 किलो था।
उसने उसे एक सेठ के पास धरोहर रख दिया और व्यापार करने चला गया। कुछ साल बाद घर लौट कर उसने सीट से अपना तराजू मांगा। लेकिन सेठ बोला, भाई तुम्हारे तराजू को तो चूहे खा गए। मोहन सेठ की असलियत समझ गया।
वह बोला, मैं नदी में नहाने जा रहा हूं। यदि आप अपने बेटे को मेरे साथ भेज दे, तो बड़ी कृपा होगी। सेठ ने अपने बेटे को साथ भेज दिया। नहाने के बाद मोहन ने सेठ के लड़के को एक गुफा में छोड़ दिया, फिर सेठ के पास लौट आया।
सेठ ने पूछा, मेरा बेटा कहां रह गया ? मोहन बोला, जब हम नदी किनारे बैठे थे, तो एक बड़ा सा बाज आया और आपके पुत्र को उठा कर ले गया। यह सुनकर सेठ क्रोध से भर कर बोला तुम झूठे हो।
कोई बात इतने बड़े लड़के को उठाकर कैसे ले जा सकता है? तुम मेरे बेटे को वापस ले आओ, नहीं तो मैं तुम्हारी शिकायत पुलिस में कर दूंगा। मोहन पी पुलिस के पास जाने को तैयार हो गया।
थाने में सेठ ने मोहन पर अपने बेटे के अपहरण का आरोप लगाया। थानेदार ने मोहन से कहा, तुम सेठ की बेटी को वापस कर दो। इस पर मोहन ने थानेदार को वही कहानी सुनाई। थानेदार ने कहा, एक बात इतने बड़े लड़के को कैसे उठाकर ले जा सकता है?
मोहन बोला, यदि 20 किलो के तराजू को चूहे खा सकते हैं, तो बातचीत के लड़के को उठाकर क्यों नहीं ले जा सकता ? थानेदार ने सेठ से पूछा, यह सब क्या मामला है ? अंततः सेठ ने स्वयं बात थानेदार के सामने उगल दी।
थानेदार ने मोहन को उसका तराजू दिलवाया और सेठ का पत्र उसे वापस मिल गया।
किसी के साथ गलत करने से पहले सोचना चाहिए कि कल हमें भी वही हो सकता है।