तुम्हारी बहुत याद आती है....
1) याद आती है आज भी वो गर्मी की धूप,
जिस पल में मैंने तेरी तस्वीर दिल में बसा ली थी,
कुछ तो नूर था खुदा का तेरे चेहरे में,
मेरी हर सांस को एक नजर में तुम अपना बना ली थी,
पर अब जाने क्यों हर पल दम घुटने लगा है मेरा,
हवाओं के शिखर पे हूं खड़ा पर सांस नहीं आती है,
तुम्हारी बहुत याद आती है....
2)वो पहली दफा था जब किसी अजनबी की शक्ल पढ़ी थी मैंने,
जाने कैसे पर अंदर तक तुझे महसूस किया था मै,
कैसे कोई किसी की हर सांस पे हुकूमत कर सकता है,
अपनी सांसें तेरे नाम कर के ये समाज पाया था मै,
जिसको में मेरे अभी भी धड़कन दौड़ती है,
पर सांसें चलने को बस तेरी इजाज़त चाहती है,
सुनो ना..तुम्हारी बहुत याद आती है।
3)बड़ा ही मुश्किल वक्त था वो,
जब मैंने एक चेहरे को देख के कुछ महसूस किया था,
जज़्बात कुछ यूं इन लबों के बीच दब के रह गए थे,
तुझ तक पहुंचा सकु उन्हें ऐसा जरिया ढूंढ़ रहा था,
वो तो तेरी मोहब्बत थी जो मै हाल - ए - दिल कह पाया तुझसे,
और वो तेरी मोहब्बत ही है जो आज बहुत रुलाती है मुझे,
सच में तुम्हारी बहुत याद आती है.....
4) जाने कितने दिलो की उम्मीदों को तोड़ दिया तुमने,
मुझसे एक नायाब रिश्ता जोड़ लिया तुमने,
काबिल नहीं था मै शायद तुम्हारी पाक मोहब्बत के,
फिर भी इस दिल को आहिस्ता आहिस्ता अपनी ओर मोड़ लिया तुमने,
धड़कने तुम्हारी आज भी सीने पे महसूस होती है,
वहीं धड़कने फिर एक दफा धड़कने को बुलाती है,
तुम्हारी बहुत याद आती है....
5)तेरे साथ के ये कुछ साल कितने जन्मों जैसे लगते है,
कैसे दो अंजान दिल हमेशा एक दूसरे के लिए धड़कते है,
भूला नहीं हूं मै तेरी कोई भी याद बीते वक़्त की,
कैसे तूने मेरे खातिर अपने हिस्से के वक़्त से अदावत की,
गर्माहट तेरी सांसों की अब तेरी ही याद दिलाती है,
और तेरी वहीं याद मुझे बहुत रुलाती है,
यार सच में तुम्हारी बहुत याद आती है....
6) मैसेज नहीं करता तो ये मत सोचना कि भूल गया हूं,
तू किसी और का हाथ थाम सके इसलिए बस थोड़ा दूर गया हूं,
मोहब्बत तो तुझसे हर लम्हा उतनी ही करूंगा जितनी तू सांसें लेगी,
बस कुछ पल के लिए मेरा लास्ट सीन छुप गया है,
तकिए पे आंसुओं की नमी अब भी तेरा ख्याल ज़हन में लाती है,
बस भी करो तुम्हारी बहुत याद आती है....
7) वो आखिरी साल था जब मैं तुझसे जुदा हुआ था,
दूरी जिस्मों से थी दिल तो अब भी तुमसे जुड़ा हुआ था,
वो हर सुबह 9 बजे तुम्हारे फोन का इंतज़ार करना,
वो जल्दबाजी में तुम्हारे लबो से" ख्याल रखना" सुनना,
जाने कैसी मुझे एक अजीब आदत सी पड़ गई थी,
अब तो बस यूं आदतों की तस्वीर दिख जाती है,
आज भी तुम्हारी बहुत याद आती है,
8)अब तो एक अरसा बीत गया है तुम्हारी आवाज़ सुने,
कौन है यह जो मेरे इस दर्द की कराह सुने,
और मुझे तो आज भी तेरे एक मेसेज का इंतज़ार रहता है,
तू रखेगी दिल के कोने में तस्वीर मेरी ये ऐतबार रहता है,
हूं था और रहूंगा हमेशा तेरा ये बात रख लो अपने जेहन में,
क्युकी रहूंगा तुम्हारा इस सौदे पर ज़िन्दगी जीने की राह दिखाती है,
लौट आओ वापस अब तुम्हारी बहुत याद आती है,
तुम्हारी बहुत याद आती है।।
आकाश मिश्रा
तेरे शहर में
किसको नहीं पुकारे , तेरे शहर में हम।
फ़िरते थे मारे-मारे, तेरे शहर में हम।।
ज़िदगी क्या-क्या नहीं, तुमने दिखा दिया।
तोड़ डाले भरम सारे, तेरे शहर में हम।।
नफ़रतो के तीर खाये, पर रुके नहीं ।
खाते रहे शरारे, तेरे शहर में हम।।
फूलों से लगे जख़म, किसको दिखाये हम।
गिनते रहे सितारे, तेरे शहर में हम।।
मानें रक़ीब किसको, ऐ खुदा बता।
ढूँढे बहुत सहारे, तेरे शहर में हम।।
पंडित अनिल