वो कौन थी (भाग-1)
"अरे यार रोमी तू कहाँ चला जाता है ,पार्टी में सब तुझे ही खोज रहें हैं" शशांक ने रोमेश उर्फ रोमी को देखते ही बोला। "हाँ मैं वो अंदर किचन में ठंढ़ा लेने गया था" शशांक को ठंढ़े की बोतल दिखाते हुए रोमेश बोला।
रोमेश और शशांक एक ही ऑफिस में काम करते थे और बहुत अच्छे दोस्त भी थे।आज उनके बॉस की शादी की 25वीं सालगिरह थी इसलिए बॉस ने अपने घर पर ही पार्टी दी थी। ऑफिस के लगभग सभी लोग इस पार्टी में आए थे।
रोमेश बहुत ही हँसमुख स्वभाव का था....ऑफिस में सब की उस से बहुत पटती थी....सभी उसे रोमी कह कर बुलाते थे...लोगों ने उसे सीरियस होते बहुत ही कम देखा था....ऑफिस का कोई काम हो या बाहर का वह किसी को कभी भी ना नहीं कहता था।
इसलिए आज पार्टी की लगभग सभी तैयारी रोमी ने ही की थी और सब उसी को खोज रहे थे। गीत-संगीत ,मजा[क -मस्ती का दौर चलते-चलते पता ही नहीं चला कब रात के एक बज गए। सब ने एक- दूसरे को टाटा ,बाय-बाय किया और घर के लिए निकलने लगे। कोई बाईक से आया था तो किसी की अपनी गाड़ी थी।
रोमेश ने भी अपने बॉस को बाय बोला और अपनी बाईक स्टार्ट करने ही वाला था कि उसे एक मीठी आवाज़ ने टोका "मुझे घर छोड़ दोगे प्लीज़"....जानी- पहचानी आवाज़ सुन कर रोमेश पलटा तो उसने रितिका को अपने पीछे खड़ा पाया।
" तुम यहाँ,तुम तो कार में घर जाने को निकली थी ना" रितिका को वहाँ देखकर रोमेश ने आश्चर्य से बोला....फिर रितिका ने रोमेश से कहा कि उसकी गाड़ी खराब हो गई है और वह उसे घर तक छोड़ दे....रोमेश ना नहीं बोल पाया और उसे घर छोड़ने को तैयार हो गया।
रितिका ऑफिस में अभी नयी आई थी...वह सुंदर और स्मार्ट थी लेकिन किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी....ऑफिस में सब उसे ब्यूटी क्वीन और बॉस की फेवरेट कह कर बुलाते थे...रितिका को यह पसंद नहीं था...रोमी उसे सबसे अलग और दिल का अच्छा लगता था।
रितिका को घर छोड़ और अगले दिन ऑफिस में मिलने की बात कह कर रोमी अपने घर की ओर निकल पड़ा। रास्ते भर वह सोच रहा था कि कैसे बाईक पर रितिका से बातें करते-करते उसे समय का पता ही नहीं चला... रात के दो बज रहे थे...सड़कें सुनसान लग रहीं थीं.... ईक्का-दुक््का गाड़ियाँ हीं आ जा रही थीं....वह पार्टी के कुछ हसीन पलों के बारे में सोचता और गुनगुनाता हुआ थीडी तेजी में बाईक चलाता हुआ जा रहा था।
दस - पंद्रह मिनट की दूरी पर ही उसका घर था....वह पहले भी कितनी ही बार रात को उधर से गुज़रा था लेकिन आज उसने किसी को खड़ा पाया...बाईक की लाईट में उसे दृधिया सफेद सी साड़ी दिखी ..." ओह ये औरत शायद सड़क पार करना चाह रही है ,अच्छा हुआ जो मैंने बाईक रोक दी" रोमेश मन ही मन सोचता हुआ वहीं रूका रहा।
रोमेश ने आसपास देखा तो उसे इंसान तो क्या कोई गाड़ी भी आती नहीं दिखी....सड़क के दोनों ओर पेड़ ही पेड़ थे...अब उसके दिल में कुछ तो खटक रहा था...उसने वहाँ से निकलने में ही अपनी भलाई सोचकर बाईक स्टार्ट की और जैसे ही वो आगे बढ़ने को हुआ तभी सफेद साड़ी पहने वह औरत सड़क के बीच खड़ी थी.... रोमी का डर के मारे गला सूख रहा था....लेकिन उसने गाड़ी बंद नहीं किया।
रोमेश हिम्मत जुटा कर आगे बढ़ा तो वो औरत अचानक से उसकी ओर पलटी....रोमेश की आँखें फटी की फटी रह गई... उसने अपने सामने खड़ी औरत की ओर देखा जिसकी आँखें लाल थीं और खून के आँसू निकल रहे थे...वह चीखते हुए रोमेश की ओर बढ़ी और गायब हो गई।
अगले दिन ऑफिस में सब रात की पार्टी के बारे में बातें कर रहे थे....जो पार्टी में नहीं आ पाए थे वो अफसोस मना रहे थे। "तुमने रोमेश को देखा क्या " जतिन के कंधे पर हाथ रखते हुए शशांक ने उससे पूछा। "नहीं यार रोमेश और अपनी ब्युटी क्वीन रितिका भी नहीं आई है, बॉस कब से दोनों के बारे में पूछ रहे हैं" जतिन ने कहा। तभी रोमेश को आता देखकर जतिन ने कहा “गुड मोर्निंग, हमारे ऑफिस के आन, बान और शान "....रोमेश ने कोई जवाब नहीं दिया और वहाँ से चला गया।
" आज रोमी कुछ शांत सा लग रहा है" जतिन ने कहा...तो शशांक बोला "छोड़ ना ,रात को देर से सोया होगा ,नींद पूरी नहीं हुई होगी इसलिए अपसेट होगा"।जतिन और शशांक भी अपने-अपने काम में लग गए।
लंच ब्रेक में भी जब रोमी नहीं आया तो जतिन ने शशांक से कहा "तू रूक मैं उसे बुला कर लाता हूं: वो वॉशरूम की और गया है"। बहुत देर तक जब दोनों नहीं आते हैं तो शशांक उन्हें बुलाने जाता है.. वॉशरूम का दरवाजा[ खोलते ही उसे जो दिखता है उसपर उसे यकीन नहीं होता...
शशांक के सामने फर्श पर जतिन की लाश पड़ी है और सामने हाथों में खून से सना हुआ चाकू पकड़े रोमेश बैठा है जिसकी आँखें लाल हैं और आँखों से खून के आँसू निकल रहे हैं.....
शशांक वॉशरूम का वह दृश्य देखकर दंग रह गया ।वह समझ नहीं पा रहा था कि ये सब क्यों और कैसे हुआ? उसे डर और घबराहट के कारण लग रहा था जैसे वह चक्कर खाकर गिर जाएगा।उसने रोमेश की तरफ देखा... वह अभी भी चाकू पकड़े बैठा हुआ था और अज़ीब सी आवाज़ निकाल रहा था और बार-बार एक ही बात कह रहा था "तुमने मेरे साथ ठीक नहीं किया,सब मरेंगे- सब मरेंगे"।
शशांक डरते-डरते दूर से ही बोला " रोमी मेरे भाई ये तुझे क्या हो गया है... तू क्या बोल रहा है" ? मगर रोमी ने कोई जबाव नहीं दिया और वह उसी तरह गुर्राता रहा । शशांक किसी तरह हिम्मत जुटा कर डरते हुए रोमी के पास पहुँचा और उसके कंधों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर झटका...रोमी के हाथों से वह चाकू गिर गया और उसने शशांक की ओर देखा...
एक पल को तो शशांक को लगा कि पता नहीं ये क्या करने वाला है.... वह रोमी से आगे कुछ पूछ पाता इससे पहले ही रोमी बेहोश हो गया।
शशांक उन दोनों को वहीं छोड़कर मि.सेन (जो उनका बॉस था) के कमरे की ओर भागा....बॉस ने उसे इस तरह भागकर आता हुआ देखकर पूछा " क्या हुआ शशांक तुम इतने डरे और हड़बड़ाए हुए क्यों हो?" "सर आप मेरे साथ चलिए आपको कुछ दिखाना है" शशांक बॉस को लगभग खींचते हुए बोला।
जब वो दोनों वॉशरूम के पास पहुँचे तबतक वहाँ ऑफिस के कुछ लोग खड़े थे और वो सब आपस में बातें कर रहे थे...वहाँ जतिन की लाश पड़ी थी और रोमी अभी भी बेहोश था लेकिन अब उसकी आँखों से खून नहीं आ रहा था, जैसा शशांक ने देखा था...रोमी का चेहरा पहले जैसा था ।
शशांक सबको हटाता हुआ जब बॉस के साथ अंदर गया तो बॉस की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। तभी पीछे से एक ने कहा "हमें तुरंत पुलिस को बुलाना चाहिए"। "नहीं,आप में से कोई पुलिस को फोन नहीं करेगा...मैं कर लूंगाआप लोग अपने -अपने घर जाइये....बाकी का काम आप लोग कल आकर कीजिए "मि.सेन ने वहाँ खड़े स्टाफ से कहा।
" तुम मुझे पूरी बात बताओ यहाँ क्या हुआ था"? मि.सेन ने शशांक की और देखते हुए कहा। तब शशांक ने ऑफिस आने से लेकर अब तक की सारी बातें सर को बतायी।
"सर ये कोई भूत-वूत का चक्कर तो नहीं है"?शशांक ने घबराते हुए कहा।
"ओह कमआऑन.ये नॉनसेन्स जैसी बातें मत करो...ऑफिस में इस तरह की बातें अगर फैल गई तो तुम्हें पता है न क्या हो सकता है"! मि.सेन ने शशांक को डाँटते हुए कहा।
बॉस के सामने तो शशांक ने कुछ नहीं कहा लेकिन उसने रोमी को जिस रूप में देखा था उसे लेकर वह अब भी डरा हुआ था।
फिर उन्होंने शशांक से कहा कि वह रोमी को घर ले जाए और जब तक वह पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता उसे(रोमी को) ऑफिस आने की जरूरत नहीं है।
थीड़ी देर बाद जब रोमेश को होश आया तो वह अपने घर में था....दर्द से उसका सिर फटा जा रहा था.... वह दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ कर बैठा था तभी कॉफी का मग लिए शशांक आता है।
"तुम इस वक्त मेरे घर में" शशांक को अपने घर में देखकर रोमेश चौंका।
"तू पहले कॉफी पी ले,हम बाद में बात करते हैं" शशांक ने कहा।
थोड़ी देर बाद शशांक , रोमेश को आज की हुई सारी घटना के बारे में बताता है ,और ये भी बताता है कि आज अपनी ब्युटी क्वीन रितिका भी ऑफिस नहीं आई है....रोमेश को यकीन नहीं होता है कि वह ऐसा कर सकता है,उसे कुछ भी याद नहीं था!
रोमी को परेशान देखकर शशांक सोच में पड़ जाता है कि हमेशा हँसने-हँसाने वाला रोमी आज कितना शांत लग रहा है..रह-रह कर उसे रोमी का वो डरावना रूप याद आ जाता है जो उसने आज वॉशरूम में देखा....वह रोमी से आराम करने को कहकर वहाँ से चला जाता है।
रोमेश को कुछ समझ नहीं आता है कि ये उसके साथ क्या हो रहा है...उसके हाथीं से ये क्या हो गया...वो अपने दोस्त जतिन के साथ ऐसा कैसे कर सकता है?
अचानक उसे रितिका का ख़्याल आता है...वह सोच में पड़ जाता है कि रितिका आज क्यों नहीं आई....उसने रात में जब रितिका को घर छोड़ा था तब तो सबकुछ ठीक था....कहीं उसके साथ भी कुछ बुरा तो नहीं हुआ !
रोमेश के मन में बहुत सारे सवाल घूमने लगते हैं और वह इन सबका ज़बाव पाने के लिए रितिका के घर चला जाता है।
कॉलबेल बजाने के दो-तीन मिनट बाद घर का दरवाजा खुलता है..."जी आप कौन"? सामने से आवाज़ आई। रोमी ने देखा कि 40-45 साल की एक महिला ने दरवाजा खोला।
"मैं रोमेश हूँ, रितिका घर पर है...मैं उनके साथ ऑफिस में काम करता हूँ ..आज वो ऑफिस नहीं आई इसलिए उससे मिलने आ गया" रोमी ने जबाव दिया।
रोमी को देखकर अचानक उस महिला के चेहरे का रंग उड़ गया....उसने रोमी को अंदर बुलाया। रितिका का घर काफी बडा और सुंदर था... रोमी अंदर आया... जैसे ही वह बैठने को हुआ उसकी नज़र दायीं और की दिवाल पर गई जहाँ दो फोटो लगी हुई थी और दोनों पर मालाऐँ लटक रही थीं।
उसने पास जाकर देखा तो वह सन्न रह गया... एक फोटो किसी आदमी की थी और दूसरी रितिका की......
आरती झा