मार डाला मुस्कुरा कर नाज़ से
हां मिरी जां फिर उसी अंदाज़ से
- जलील मानिकपूरी
शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए
- मीर तक़ी मीर
इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
- असद भोपाली
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
तुझे हर बहाने से हम देखते हैं
- दाग़ देहलवी
मैं भी बहुत अजीब हूं इतना अजीब हूं कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
- जौन एलिया
तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता
लफ़्ज़ सूझा तो मानी ने बग़ावत कर दी
- अहमद नदीम क़ासमी
कोई तो ऐसा घर होता जहां से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहां जाएं जिधर जाएं
- साहिर लुधियानवी
इल्म की इब्तिदा है हंगामा
इल्म की इंतिहा है ख़ामोशी
- फ़िरदौस गयावी
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