भले कारण बीमारी का रहा हो लेकिन सिनेमा के सबसे बड़े राष्ट्रीय सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए अमिताभ बच्चन का बीते सोमवार दिल्ली न आना असर कर गया है। उनके नाम के ही दिन यानी रविवार को उनका राष्ट्रपति भवन में जैसा होना चाहिए वैसा सम्मान होने जा रहा है और सिर्फ उनका ही नहीं सोमवार को उपराष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाले सारे फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, कलाकारों औऱ तकनीशियनों को भी फिर से दिल्ली बुला लिया गया है, राष्ट्रपति के साथ चाय पीने और उनके साथ फोटो खिंचाने के लिए।
1954 से राष्ट्रपति ही देते आए पुरस्कार
सिनेमा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भारत में दिए जाने वाले सबसे बड़े सम्मान यानी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पहली बार 1954 में दिए जाने शुरू हुए। तब से परंपरा यही रही कि ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति एक नियत दिन पर दिल्ली में सभी विजेताओं को वितरित करते हैं। सभी विजेताओं को पुरस्कार वितरण के एक दिन पहले दिल्ली पहुंचना होता है, पुरस्कार बांटने की बाकायदा रिहर्सल होती है और फिर अगले दिन पुरस्कार मिलता है।
पिछले साल शुरू हुआ विवाद
पिछले साल ऐन रिहर्सल के वक्त पुरस्कार विजेताओं को पता चला कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सारे पुरस्कार नहीं बाटेंगे। इसे लेकर अगले दिन बवाल हो गया, तमाम पुरस्कार विजेताओं ने राष्ट्रपति के सिवा किसी और से पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया। इस साल भी 22 अगस्त को रिहर्सल के दौरान ही सभी पुरस्कार विजेताओं को बता दिया कि इस साल सारे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार उपराष्ट्रपति ही बांटेंगे। इस साल विरोध का बीते साल जैसा कोई सुर तो नहीं मिला लेकिन दक्षिण भारत के कुछ फिल्मकारों ने पुरस्कार लेने से इस साल भी इंकार कर दिया।
अमिताभ ने दिया खराब सेहत का हवाला
अमिताभ बच्चन भी खराब सेहत का हवाला देते हुए पुरस्कार लेने नहीं आए। सूचना और प्रसारण मंत्रालय तब से फिल्म जगत के निशाने पर है, किसी ने खुलकर तो परंपरा निर्वहन में मंत्रालय के अक्षम रहने पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन आसूचना ब्यूरो ने इस बाबत सरकार को आगाह कर दिया। सोमवार को पुरस्कार वाले दिन ही सरकार को इस बात की भनक लग गई कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार को उपराष्ट्रपति से दिलाने की परंपरा शुरू करने को लेकर फिल्म जगत में काफी गुस्सा है तो उसी दिन सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 29 दिसंबर को अमिताभ बच्चन को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार दिलाने की घोषणा कर दी, ये मानते हुए कि 22 दिसंबर को खुद को बीमार बता रहे अमिताभ बच्चन 29 दिसंबर को स्वस्थ भी हो जाएंगे और दिल्ली आ भी जाएंगे।
पुरस्कार विजेताओं को फिर बुलाया दिल्ली
यही नहीं इस साल के सारे पुरस्कार विजेताओं को भी फिर से दिल्ली पहुंचने का ‘न्योता’ आ चुका है। सर्दियों की छुट्टियों की सारी योजनाएं रद्द कर पुरस्कार विजेता शनिवार से ही दिल्ली पहुंचने शुरू हो रहे हैं। रविवार को सब मिलकर राष्ट्रपति के साथ चाय पिएंगे, तस्वीरें खिंचाएंगे और अमिताभ बच्चन को सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने के चश्मदीद बनेंगे।