वो तुम तक कैसे आता
जिस्म से भारी साया था
- आदिल मंसूरी
हम अपनी धूप में बैठे हैं 'मुश्ताक़'
हमारे साथ है साया हमारा
- अहमद मुश्ताक़
मिरे सूरज आ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर
बड़ी तेज़ हवा है सर्दी आज ग़ज़ब की है
- शहरयार
सर पर ये जो छत का साया होता है
दीवारों ने बोझ उठाया होता है
- फख़्र अब्बास
चले जो धूप में मंज़िल थी उन की
हमें तो खा गया साया शजर का
- उमर अंसारी
ये माना वो शजर सूखा बहुत है
मगर उस में अभी साया बहुत है
- ताबिश मेहदी
पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था
अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा
- जमील मलिक
ये साया कब तलक साया रहेगा
कहां तक पेड़ सूरज से लड़ेंगे
- साजिद अमजद
डरता डरता सा मुझ से
मेरा अपना साया था
- आरिफ हसन ख़ान
शमा है लेकिन धुंदली धुंदली
साया है लेकिन रौशन रौशन
- जिगर मुरादाबादी