जो हम पे गुज़री है शायद सभी पे गुज़री हो
फ़साना जो भी सुना कुछ सुना सुना सा लगा
- इक़बाल अज़ीम
मेरे अंदर का पांचवां मौसम
किस ने देखा है किस ने जाना है
- बेदिल हैदरी
किसी ने न देखा तिरे हुस्न को
मिरी सूरत-ए-हाल देखी गई
- मुज़्तर ख़ैराबादी
मैं करूं किस का नज़ारा देख कर तेरा जमाल
मैं सुनूं किस का फ़साना तेरे अफ़्साने के बाद
- जलील मानिकपूरी