रोमेश की आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा....उसे लग रहा था जैसे उसके पैरों ने जबाव दे दिया हो और वह चक्कर खाकर वहीं गिर जाएगा....तभी पीछे से उस महिला ने रोमी को सहारा देकर सोफे पर बिठाया और उसके लिए पानी लेकर आई।
"ये लीजिए, पानी...आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही है..आपको यहाँ नहीं आना चाहिए था" उस महिला ने रोमी को पानी का ग्लास देते हुए कहा। "नहीं मैं ठीक हूँ" परेशान से रोमी ने कहा।
"ऐसा कैसे हो सकता है....मैंने कल रात में खुद रितिका को यहाँ ड़ाप किया था,तब तक तो सबकुछ ठीक था... ये सब कब हुआ और कैसे"? रोमी उस महिला से एक के बाद एक सवाल पूछने लगा।
"क्या बताऊँ आपको?...अच्छे लोगों के साथ ऐसा क्यों होता है समझ नहीं आता " वह महिला बोली।
"प्लीज़ आप मुझे सारी बात बताइए....क्या हुआ रितिका को? रोमेश ने आतुरता से पूछा। "मैं आपको सब कुछ बताती हूँ" उस महिला ने रोमी को सारी बातें बतानी शुरू की.........
है...साहब भी काम के सिलसिले में ज़्यादातर बाहर ही रहते थे।
रितिका बेबी देखने में जितनी सुंदर थीं उतनी ही दिल की अच्छी भी थी....बेबी जी जब कॉलेज जाने लगी तब से साहब भी यहीं आकर हम लोगों के साथ रहने लगे....स_।ाहब को बस एक ही फिक़र लगी रहती थी कि बेबी जी के लिए एक अच्छा सा लड़का मिल जाए तो उनकी शादी कर वो निश्चित हो जाएऐं।
बेबी जी के कॉलेज में साहिल नाम का एक लड़का था जो उनके साथ ही पढ़ता था....दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे... ये बात बेबी जी ने मुझे बतायी थी....वो मुझे अपनी माँ जैसी ही समझती थीं"कहते-कहते वह महिला रूक गई।
"अरे क्या हुआ...आप रूक क्यों गईं"?उस महिला की बातों को गौर से सुनता हुआ रोमी चौंक कर बोला।
"नहीं-नहीं कुछ नहीं... बस पुरानी बातें याद आ गईं" उस महिला ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा,जो रितिका को याद कर उसकी आँखों में छलक आए थे।
उस महिला ने आगे बताना शुरू किया...
साहिल, बेबी जी को नाम से नहीं बुलाता था,वो उन्हें ब्यूटी क्ीन कहकर बुलाता था....एक -दो बार घर भी आया था और साहब से भी मिला था.....साहिल का इस दुनियां में कोई नहीं था,वह कॉलेज के ही हॉस्टेल में रहता था।
फिर एक दिन साहब ने रितिका और साहिल दोनों से बात की और दोनों शादी के लिए तैयार हो गए.... साहब ने बहुत धूमधाम से उनकी शादी की....उसके बाद साहिल भी हमारे साथ ही आ कर रहने लगा...पढ़ाई पूरी होने के बाद साहिल कारोबार में साहब का हाथ बढ़ाने लगा...बेबी जी साहिल के साथ बहुत खुश रहती थीं।
रितिका बेबी घर पर ही रहती थी और साहब का देखभाल करती थी...सबकुछ अच्छा चल रहा था....पर छह महीने पहले
साहब को दिल का दौरा पड़ा और वह भी बेबी जी को छोड़कर चले गए....ये दिवाल पर आप जो तस्वीर देख रहे हैं, वो रितिका के पिताजी की है।
दूसरे देश गया था और अगले दिन आने वाला था।
मैंने बेबी जी को चुप कराते हुए कहा कि मैं हँ आपके साथ.... तब बेबी जी जोर से मेरा हाथ पकड़ते हुए बोलीं “मौसी माँ आप मुझ से वादा करो ,चाहे जो हो जाए आप मुझे और इस घर को छोड़कर कभी नहीं जाओगी * |
"फिर क्या हुआ"? रोमेश ने बैचेनी से पूछा
"फिर क्या, बेबी जी से किया हुआ वही वादा निभा रही हूँ..और वैसे भी मेरा इस दुनियां में है ही कौन जिसके पास मैं जाती" गहरी साँस भरते हुए उस महिला ने कहा।
बात जारी रखते हुए फिर उसने आगे कहा.........
मैंने मन ही मन सोच रखा था कि जब साहिल आएगा तो उससे कहूँगी कि कुछ दिनों के लिए रितिका को कहीं घूमा लाए जिससे उनका मन बहल जाएगा....शादी के बाद उन दोनों का अकेले कहीं बाहर जाना भी नहीं हो पाता था।
करते हुए कहा " मैं बहुत थक गया हूँ थीड़ा आराम करना चाहता हूँ....बाद में बात करते हैं" ।
मैंने गौर किया कि साहिल कुछ बदला हुआ लग रहा था।
बाहर ही रहता।
अब तो उसे सिगरेट और शराब की लत भी लग गई थी। एक दिन तो हद ही हो गई जब साहिल रात को शराब
को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था।
रितिका बहुत गुमसुम रहने लगी थी.....और फिर एक दिन तो साहिल ने हद ही कर दी जब उसने रितिका से कहा कि वह अपनी सारी प्रॉपर्टी उसके नाम कर दे......।
"ये तुम क्या कह रहे हो? प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम कर दूँ लेकिन क्यों? जो मेरा है वो सब तुम्हारा ही तो है" रितिका ने कहा
"नहीं मेरा नहीं है.मुझे हर बार तुमसे परमिशन लेनी पड़ती है क्योंकि तुम्हारे पापा ने सबकुछ तुम्हारे नाम पर किया है"
"तो इसमें गलत क्या है?"रितिका ने साहिल को घूरते हुए कहा।
"मैंने तुमसे शादी इसलिए नहीं की कि तुम मुझे अच्छी लगती थी बल्कि इसलिए की क्योंकि मुझे तुम्हारी दौलत चाहिए थी"।
साहिल के मुँह से सारी सच्चाई सुनकर रितिका को यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही साहिल है जिससे उसने शादी की थी।
मैं यह सब देखकर अवाक् रह गई.... दोनों में काफी बहस होने लग गई... बेबी जी के सामने साहिल की असलियत खुलती जा रही थी।
बेबी जी ने साहिल को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने बेबी जी की बातों को अनसुना कर दिया और ऊपर अपने कमरे में चला गया।
"पता नहीं साहिल को हो क्या गया है? साहब के जाते ही इसने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया” मैंने बेबी जी से कहा।
"नहीं मौसी माँ, साहिल ऐसा नहीं कर सकता...ज़रूर कोई और बात है " कहती हुई बेबी जी साहिल के पीछे गई।
भागा.....मैंने सोचा कि ऐसा क्या हुआ अंदर जो यह इस तरह भागा"
"फिर क्या हुआ?" रोमेश बेचैन सा बोल उठा
काफी खून बह रहा था....बेबी जी ने वहीं मेरे हाथीं में दम तोड़ दिया" कहते -कहते वह महिला रो पड़ी "क्या? रोमेश चौंक कर खड़ा होता हुआ बोला
"हाँ,बेबी जी को गुज़रे हुए एक महीना हो गया" उस महिला ने कहा " ऐसा कैसे हो सकता है?" बुदबुदाता हुआ रोमेश बोला
रोमी ने अपना सिर पकड़ लिया और दिवाल पर लगी रितिका की तस्वीर को एकटक देखे जा रहा था।
"इन एक महीनों में ना जाने कितनी बार मैंने बेबी जी को रात में घर के बाहर खडा देखा लेकिन जैसे ही मैं उन्हें आवाज़ देती पता नहीं क्यों वो गायब हो जाती....दौलत के नशे और लालच ने साहिल को हत्यारा बना दिया....बेबी जी ने खुशियों से भरा एक छोटा सा संसार चाहा था लेकिन बदले में उन्हें जीवन भर तकलीफें ही मिलती रही..... रितिका के तस्वीर के पास खड़ी वह महिला बोलती जा रही थी।
महीने से जो ऑफिस आ रही थी वो कौन थी?..... अगर रितिका एक महीने पहले ही मर गई थी तो उसने कल रात घर किसे छोड़ा था?
अपने दिल में बहुत सारे सवाल और डर लिए जब रोमी रितिका के घर से बाहर निकला तब तक रात हो चुकी थी....वह अपनी बाईक की ओर बढ़ा ही था कि उसे ज़मीन पर एक कागज़ मिला...वह उसे उठाकर पढ़ने लगा........
अब तक तुम समझ ही गए
होगे कि साहिल से जुड़े
हर एक बात से मुझे नफरत
है,जिसके लिए जतिन को
अपनी जान गँठानी पड़ी और
आगे भी ये तब तक चलेगा
जब तक साहिल को उसके
किए की सजा नहीं मिल जाती।
और इन सब्में मैंने तुम्हारा
सहारा लिया
में मज़बूर हूँ।
रितिका
रोमेश उसे पढ़कर दंग रह जाता है !.....वह उस कागज़ को मोड़कर अपनी जेब में रख लेता है और बाईक लेकर अपने घर
वह सामने देखता है तो सफेद साड़ी पहने वही औरत उसे दिखती है जो उसे पिछली रात को दिखी थी!
फ़र्क केवल इतना है कि तब वह नहीं जानता था कि ये कौन है ? आज वह जानता है!..... और वह यह भी जानता है कि कल उसके हाथों से एक और अनर्थ होने वाला है...वह फिर किसी दोस्त को खोने वाला है जिसने रितिका की भटकती
आत्मा को ठेस पहुँचाया है!!!
सामने खड़ी उस औरत को देखकर रोमी की धड़कन डर और घबराहट के कारण तेजी से धड़कने लगती है और तभी वह