जहां हम मतलब ढूंढने लगते है वहां संबंध बेमानी होने लगते है ।
पति हमारा जीवन साथी है जब दिन प्रति दिन
उनसे अपेक्षाएं बढ़ने लगती हैं तो स्वार्थ उपजता है ।
फलस्वरूप संबंधों में खटास आने लगती है,
दूरियाँ बढ़ने लगती है,
रिश्ते दरकने लगते है,
उम्मीदें टूटती सी दिखती हैं ।
बच्चों की बात ही लीजिये! हमने उन्हें पैदा किया
तो क्या उन पर आधिपत्य जमा लें,
उन्हें पंख न फैलाने दें, उन्हें अपनी मर्जी से उडने न दें ।
मान ले आप ऐसा करते भी है तो क्या बच्चे
आपके अधीन हो जाएंगे! कभी नहीं न !
खलील ज़िब्रान ने बहुत अच्छी बात कही है -
तुम्हारे बच्चे तुम्हारे नहीं है वे तो खुद के
लिए जीवन की लालसाओं के बेटे बेटियां हैं ।
तुम्हारे जरिये आते हैं लेकिन तुमसे नहीं आते ।
तुम बच्चों को प्यार दे सकते हो पर अपने विचार नहीं |
ये छोटी छोटी बातें अगर हम समझ लें तो स्वर्ग यहीं है ! यही है ! यही है !
10 rules for beautiful life सुंदर जीवन के लिए beautiful 10 नियम Written by Anju Kharbanda