सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Health & Fitness Kidney Beans Health Benefits And Side Effects


राजमा खाने के शौकीन हैं तो पहले जान लें ये नुकसान फिर खाएं
Health & Fitness, Kidney Beans Health Benefits And Side Effects




Health & Fitness, Kidney Beans Health Benefits And Side Effects
राजमा की सब्जी खाने के शौकीन हैं तो पहले इसे खाने के नुकसान जान लें। दरअसल, राजमा की सब्जी होती तो स्वादिष्ट है लेकिन फायदे के साथ ही इसके साथ कुछ नुकसान भी जुड़े हैं। राजमा को किडनी बीन्स भी कहा जाता है। राजमा में फोलिक एसिड, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। अगर राजमा की सब्जी को सीमित मात्रा में खाया जाए तो यह सेहत के लिए अच्छी होती है।



राजमा हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और हड्डियों की मजबूती के लिए अच्छी मानी जाती है। यह एक ऐसी सब्जी है जिसके साथ फायदे के साथ ही भरपूर नुकसान भी जुड़े हैं। राजमा में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है और अगर आप ज्यादा राजमा की सब्जी खाते हैं तो इससे आपके शरीर को नुकसान पहुंचता है। दरअसल, अगर शरीर में ज्यादा फाइबर चला जाता है तो पाचन क्रिया प्रभावित होने लगती है।


इसलिए राजमा खाने से आपको पेट की समस्याएं हो सकती है। पेट में दर्द से लेकर दस्त, मरोड़ और गैस बनने की समस्या हो सकती है। राजमा की सब्जी ज्यादा खाने पर अक्सर आपने देखा होगा कि पेट में गैस बनने लगती है और कई बार सिर में दर्द भी होने लगता है। इसलिए, राजमा की सब्जी भारी होती है और इसे कम खाना चाहिए। पेट की बीमारी और गैस की समस्या से जूझने वाले लोगों को तो राजमा खाना ही नहीं चाहिए।



ज्यादा राजमा खाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। अगर शरीर में आयरन की मात्रा तय मात्रा से ज्यादा हो जाती है तो नुकसान होने लगता है। राजमा जब भी खाएं तो उसे अच्छे से पकाकर खाएं क्योंकि कच्चा राजमा नुकसान देता है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे