सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Beauty Tips Useful Tips You Must Know Before Doing Face Waxing read in hindi

चेहरे के अनचाहे बालों को वैक्सिंग के जरिए हटाती हैं तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें



Beauty Tips
चेहरे के अनचाहे बालों को वैक्सिंग के जरिए हटाती हैं तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें चेहरे पर अनचाहे बाल किसी भी महिला को पसंद नहीं है। होठों के ऊपर या ठोढ़ी के आसपास उगे बालों को हटाने के लिए महिलाएं थ्रेडिंग, वैक्सिंग या फिर ब्लीच का सहारा लेती हैं। हांलाकि जो महिलाएं चेहरे के बालों को हटाने के लिए वैक्सिंग का सहारा लेती हैं। उनको फेस वैक्सिंग के नुकसान और फायदों को भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए क्योंकि कई बार सुंदर दिखने की चाह में महिलाएं अपनी सुंदरता के साथ खिलवाड़ कर लेती हैं। तो चलिए जानें चेहरे पर वैक्सिंग कराने से पहले किन बातों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए।





चेहरे की वैक्सिंग कराने जा रही हैं तो पार्लर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। क्योंकि गंदगी से आपके चेहरे पर इंफेक्शन होने का खतरा हो जाता है। इसके साथ ही वैक्सिंग से पहले स्किन टाइप का भी ख्याल रखना भी बहुत जरूरी है।


अगर आप अपने हाथ-पैरों की वैक्सिंग घर पर खुद से ही करती है तो भी चेहरे की वैक्सिंग खुद से न करें। क्योंकि खुद से वैक्सिंग करने पर मुश्किल आ सकती है और वैक्स के तापमान से चेहरा जल सकता है। इसलिए हमेशा वैक्स के लिए किसी एक्सपर्ट के ही पास जाना चाहिए।


चेहरे की वैक्सिंग से हेयर फॉलिक्स को नुकसान होता है जिससे चेहरे पर सूजन, दाग-धब्बे पड़ जाते हैं और इंफेक्शन होने का खतरा हो जाता है।





चेहरे की वैक्सिंग से त्वचा के ढीलेपन का खतरा हो जाता है। जिससे समय से पहले झुर्रियां पड़ने लगती है इसलिए बहुत जरूरी हो तो ही वैक्स कराना चाहिए। अगर चेहरे पर बाल कम है तो ब्लीच कराने से भी काम चल जाता है।


चेहरे के बाल मोटे और भद्दे से दिखते हैं तो लेजर हेयर रिमूवल ट्रीटमेंट कराना ज्यादा फायदेमंद होता है।


वैक्सिंग अगर करा ही रही हैं तो वैक्स के तुरंत बाद लोशन या सीरम लगाना न भूलें नहीं तो चेहरे पर रैशेज पड़ सकते हैं। वैक्सिंग के तुरंत बाद धूप या रसोई में गैस के सामने न खड़े हों।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...