सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Government Jobs HPPSC Recruitment 2020 For Himachal Pradesh Subordinate Allied Services Exam Govt Jobs


HPPSC : हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग में नाैकरी का मौका, जल्द करें आवेदन



HPPSC Recruitment 2020-  हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) HPPSC Recruitment 2020- द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन के तहत हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ संबद्ध सेवा परीक्षा 2019 के लिए आवेदन मांगे गए हैं। जो उम्मीदवार इस पद पर नौकरी पाने का सपना देख रहे हैं, वे आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से 15 जनवरी, 2020 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस नौकरी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आगे की स्लाइड देखें...



महत्वपूर्ण तिथियां :
आवेदन पत्र जमा करने की प्रारंभिक तिथि : 26 दिसंबर, 2019
आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि : 15 जनवरी, 2020




शैक्षिक योग्यता :
उम्मीदवार शैक्षिक योग्यताओं से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए आगे दी गई अधिसूचना देखें।




पदों का विवरण :
पदों का नाम :
एचपीपीएससी अधीनस्थ संबद्ध सेवा परीक्षा 2019
 पदों की संख्या : 74 पद



आयु सीमा :
इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 45 वर्ष निर्धारित की गई है।



आवेदन प्रक्रिया :
इन पदों पर आवेदन करने से पहले उम्मीदवार अधिसूचना को जरूर पढ़ें। सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद आवेदन प्रक्रिया को पूरा करें। जान लें किसी प्रकार की त्रुटि हो जाने पर आवेदन पत्र मान्य नहीं होगा। उम्मीदवार समस्त जानकारी से अवगत होकर आवेदन प्रक्रिया को 15 जनवरी, 2020 तक पूरा कर लें।



चयन प्रक्रिया :
उम्मीवारों का चयन प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के आधार पर किया जाएगा।



आधिकारिक वेबसाइट के लिए यहां क्लिक करें
अधिसूचना को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें
रजिस्ट्रेशन करने के लिए यहां क्लिक करें
लाॅॅॅगिन करने के लिए यहां क्लिक करें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे