Hindi Best Ghazals Collection Of Javed Akhtar |
ब-ज़ाहिर क्या है जो हासिल नहीं है
मगर ये तो मिरी मंज़िल नहीं है
ये तूदा रेत का है बीच दरिया
ये बह जाएगा ये साहिल नहीं है
बहुत आसान है पहचान उस की
अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है
मुसाफ़िर वो अजब है कारवाँ में
कि जो हमराह है शामिल नहीं है
बस इक मक़्तूल ही मक़्तूल कब है
बस इक क़ातिल ही तो क़ातिल नहीं है
कभी तो रात को तुम रात कह दो
ये काम इतना भी अब मुश्किल नहीं है
जब आईना कोई देखो इक अजनबी देखो
कहाँ पे लाई है तुम को ये ज़िंदगी देखो
Hindi Best Ghazals Collection Of Javed Akhtar
मोहब्बतों में कहाँ अपने वास्ते फ़ुर्सत
जिसे भी चाहे वो चाहे मिरी ख़ुशी देखो
कभी जो मेरी मोहब्बत में कुछ कमी देखो
जो दूर जाए तो ग़म है जो पास आए तो दर्द
न जाने क्या है वो कम्बख़्त आदमी देखो
उजाला तो नहीं कह सकते इस को हम लेकिन
ज़रा सी कम तो हुई है ये तीरगी देखो
निगल गए सब की सब समुंदर ज़मीं बची अब कहीं नहीं है
बचाते हम अपनी जान जिस में वो कश्ती भी अब कहीं नहीं है
मगर मैं पहचानता था जिस को वो आदमी अब कहीं नहीं है
गुज़र गया वक़्त दिल पे लिख कर न जाने कैसी अजीब बातें
वरक़ पलटता हूँ मैं जो दिल के तो सादगी अब कहीं नहीं है
वो आग बरसी है दोपहर में कि सारे मंज़र झुलस गए हैं
यहाँ सवेरे जो ताज़गी थी वो ताज़गी अब कहीं नहीं है
कि ढूँढते हो जो ज़िंदगी तुम वो ज़िंदगी अब कहीं नहीं है