Hindi Best Shayari collction on delhi |
दिल्ली कहाँ गईं तिरे कूचों की रौनक़ें
गलियों से सर झुका के गुज़रने लगा हूँ मैं
- जाँ निसार अख़्तर
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है
- बशीर बद्र
दिल्ली में आज भीक भी मिलती नहीं उन्हें
था कल तलक दिमाग़ जिन्हें ताज-ओ-तख़्त का
- मीर तक़ी मीर
जनाब-ए-'कैफ़' ये दिल्ली है 'मीर' ओ 'ग़ालिब' की
यहाँ किसी की तरफ़-दारियाँ नहीं चलतीं
- कैफ़ भोपाली
ऐ वाए इंक़लाब ज़माने के जौर से
दिल्ली 'ज़फ़र' के हाथ से पल में निकल गई
- बहादुर शाह ज़फ़र
मरसिए दिल के कई कह के दिए लोगों को
शहर-ए-दिल्ली में है सब पास निशानी उस की
- मीर तक़ी मीर
ऐ वाए इंक़लाब ज़माने के जौर से
दिल्ली 'ज़फ़र' के हाथ से पल में निकल गई
- बहादुर शाह ज़फ़र
मरसिए दिल के कई कह के दिए लोगों को
शहर-ए-दिल्ली में है सब पास निशानी उस की
- मीर तक़ी मीर
क्यूँ मता-ए-दिल के लुट जाने का कोई ग़म करे
शहर-ए-दिल्ली में तो ऐसे वाक़िए होते रहे
- ज़ुबैर रिज़वी
दिल्ली में अपना था जो कुछ अस्बाब रह गया
इक दिल को ले के आए हैं उस सरज़मीं से हम
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
हज़ारों लाखों दिल्ली में मकाँ हैं
मगर पहचानने वाले कहाँ हैं
- मोहम्मद अल्वी
दिल्ली जो एक शहर था आलम में इंतिख़ाब
रहते थे मुंतख़ब ही जहां रोज़गार के
- असलम फ़र्रुख़ी