आवाज़ की बुलंदी पर शायरों के अल्फ़ाज़
Hindi shayari
दुनिया की आवाज़ सुनो
एक ही हाथ की ताली है
- शफ़क़ सुपुरी
हम तलवार उठा नहीं पाए
हम आवाज़ उठा सकते थे
- मोहम्मद मुस्तहसन जामी
अल्फ़ाज़ परखता रहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
- गुलज़ार
बस तू मिरी आवाज़ से आवाज़ मिला दे
फिर देख कि इस शहर में क्या हो नहीं सकता
- मुनव्वर राना
कान तक उस के तो पहुँचे यकबार
ऐसी आवाज़ किया चाहिए अब
- किशन कुमार वक़ार
एक आवाज़ सुनी है हम ने
एक आवाज़ सुनोगे तुम भी
- रूही कंजाही
हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज़ का अलम
चुप बैठने से हल नहीं होने का मसअला
- ज़िया जालंधरी
इंसान हो किसी भी सदी का कहीं का हो
ये जब उठा ज़मीर की आवाज़ से उठा
- उबैदुल्लाह अलीम
आंसुओं से कोई आवाज़ को निस्बत न सही
भीगती जाए तो कुछ और निखरती जाए
- ग़ुलाम रब्बानी ताबां
आवाज़ों की भीड़ में इतने शोर-शराबे में
अपनी भी इक राय रखना कितना मुश्किल है
- नसीम सहर
वक़्त और हालात को बयां करते शेर....
waqt aur halat shayari collection
मुझ से ज़ियादा कौन तमाशा देख सकेगा
गाँधी-जी के तीनों बंदर मेरे अंदर
- नाज़िर वहीद
ये धूप तो हर रुख़ से परेशाँ करेगी
क्यूँ ढूँड रहे हो किसी दीवार का साया
- अतहर नफ़ीस
अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
मिरे हालात को बस यूँ समझ लो
परिंदे पर शजर रक्खा हुआ है
- शुजा ख़ावर
फैल जाता तिरे होंटों पे तबस्सुम की तरह
काश हालात का पहलू कभी हो ऐसा
- ताब असलम
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
हालात कर रहे हैं हालात के मुताबिक़
- इफ़्तिख़ार राग़िब
सुब्ह होते ही निकल आते हैं बाज़ार में लोग
गठरियाँ सर पे उठाए हुए ईमानों की
- अहमद नदीम क़ासमी
हर कड़े वक़्त में संगीन चटानों की तरह
तुंद हालात के तूफ़ान से टकराया हूँ
- नरेश कुमार शाद
हालात का धारा कभी ऐसे भी रुका है
नादाँ हूँ कि मैं रेत के बंद बाँध रहा हूँ
- फख्र ज़मान
हालात ने लिबास तो मेला किया मगर
किरदार फिर भी रक्खा है हम ने सँवार कर
- क़ैसर ख़ालिद
दिल और तरहा के हालात से उलझता हुआ
कुछ और तरहा के हालात से निकलता है
- ज़फ़र इक़बाल
अपनी सोचों के मुताबिक़ कुछ भी कर सकता नहीं
आदमी हालात के हाथों बहुत मजबूर है
- मुनव्वर हाशमी
रुख़ फेर दिया तुंद हवाओं का किसी ने
हालात से अपने कोई मजबूर रहा भी
- महेश चंद्र नक़्श
शहर में काम बहुत सारे समय लेकिन कम
मत करो बात मगर हाथ हिलाते जाओ
- आतिश इंदौरी
नज़रें मिला मिला के नज़र फेर फेर के
मजरूह और दिल के न हालात कीजिए
- नौशाद अली
हमारा हाल तुम्हारी समझ में आ जाता
अगर किसी से मोहब्बत ज़रा हुई होती
- अनवर शऊर