सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Indian Navy: 10वीं-12वीं पास उम्मीदवारों के लिए सुनहरा मौका,( Sarkari Naukri 10th 12th Pass) देनी होगी एक परीक्षा


Indian Navy, Sarkari Naukri 10th 12th Pass : Recruitment Sailor Posts Vacant Know More Details


Indian Navy: 10वीं-12वीं पास उम्मीदवारों के लिए सुनहरा मौका,( Sarkari Naukri 10th 12th Pass) देनी होगी एक परीक्षा



 Indian Navy 10th 12th Pass : भारतीय नौसेना भर्ती 2020  भारतीय नौसेना में अनेक पदों पर भर्तियां होने जा रही हैं। आपको बता दें कि नाविक के पद के लिए अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। योग्य उम्मीदवार भारतीय (Indian Navy 10th 12th Pass)नौसेना के लिए 26 जनवरी 2020 तक या इससे पहले आवेदन कर सकते हैं। पदों पर आवेदन से संबंधित पूरी जानकारी के लिए उम्मीदवार को विज्ञापन लिंक के साथ-साथ आवेदन लिंक भी खबर में आगे की स्लाइड्स में दिए जा रहे हैं। इस नौकरी से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए अगली स्लाइड देखें।



महत्वपूर्ण तिथियां :
ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि: 26 जनवरी 2020




भारतीय नौसेना नाविक 2020 पदों का विवरण -
डायरेक्ट एंट्री पेटीएम ऑफिसर
वरिष्ठ माध्यमिक भर्ती (SSR)
मैट्रिक भर्ती (MR)




शैक्षिक योग्यता -
पदों पर आवेदन करने के लिए 10वीं-12वीं पास उम्मीदवार आवेदन करने कर सकते हैं।


आयु सीमा:
डायरेक्ट एंट्री पेटी ऑफिसर - न्यूनतम आयु 17 वर्ष और अधिकतम आयु 22 वर्ष निर्धारित की गई है।
एसएसआर / एमआर - न्यूनतम आयु 17 वर्ष और अधिकतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है।




कैसे होगा उम्मीदवार का चयन -
उम्मीदवारों का चयन नौसेना केंद्रों में परीक्षणों के आधार पर किया जाएगा। ट्रायल क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवार मुंबई के INS में मेडिकल परीक्षा में शामिल होंगे।


आवेदन कैसे करें -
उम्मीदवार 26 जनवरी 2020 को या उससे पहले सचिव, भारतीय नौसेना खेल नियंत्रण बोर्ड, 7वीं मंजिल, चाणक्य भवन, एकीकृत मुख्यालय, मॉड (नौसेना), नई दिल्ली 110021 में अपने आवेदन भेज सकते हैं ।


आधिकारिक वेबसाइट के लिए यहां क्लिक करें
ऑफिशियल नोटिफिकेशन पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...