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Kaleem ajiz best Hindi shayari, sher collection


Kaleem ajiz best Hindi shayari, sher collection
Kaleem ajiz best Hindi shayari, sher collection
सन् 1920 में बिहार के नालंदा में कलीम आजिज़ का जन्म हुआ था। 17 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्होंने लिखना शुरु कर दिया था। पटना विश्विद्यालय से उर्दू में स्नातक करने के बाद वहीं पढ़ाने लगे। सेवानिवृत्त होने पर बिहार सरकार ने उन्हें अपने उर्दू सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया। उनकी लिखे संग्रह में से ख़ास हैं - जब फ़स्ले बहारां आयी थी, वो जो शायरी का सबब हुआ और जहां ख़ुशबू ही ख़ुशबू थी। कलीम आजिज़ के कहन का अंदाज़ ख़ास भी है और अलहदा भी है। इसी अलहदा अंदाज़ के चंद शेर यहां पढ़ें



दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़
तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो



करे है अदावत भी वो इस अदा से
लगे है कि जैसे मोहब्बत करे है



ज़िंदगी में है वो उलझन कि परेशां हो कर
ज़ुल्फ़ की तरह बिखर जाने को जी चाहे है



मय में कोई ख़ामी है न साग़र में कोई खोट
पीना नहीं आए है तो छलकाए चलो हो



दिल की बाज़ी लगे फिर जान की बाज़ी लग जाए
इश्क़ में हार के बैठो नहीं हारे जाओ




आ रख दहन-ए-ज़ख़्म पे फिर उंगलियां अपनी
दिल बांसुरी तेरी है बजाने के लिए आ


ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी
मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी



जैसा बे-दर्द हो वो फिर भी ये जैसा महबूब
ऐसा कोई न हुआ और कोई होगा भी नहीं



न जाने रूठ के बैठा है दिल का चैन कहां
मिले तो उस को हमारा कोई सलाम कहे


भूली हुई याद आ के कलेजे को मले है
जब शाम गुज़र जाए है जब रात ढले है


मिरी बर्बादियों का डाल कर इल्ज़ाम दुनिया पर
वो ज़ालिम अपने मुंह पर हाथ रख कर मुस्कुरा दे है

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