सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

LIC HFL Assistant Manager Legal Exam Admit Card 2020 Released,


LIC HFL Assistant Manager Legal Exam Admit Card 2020 Released, Check At Official Website

                          LIC HFL ने जारी किए परीक्षा के एडमिट कार्ड, ऐसे करें डाउनलोड



LIC HFL Admit Card : जीवन बीमा निगम - हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (LIC-HFL) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर असिस्टेंट मैनेजर-लीगल भर्ती परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। एलआईसी एचएफएल के एडमिट कार्ड उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट या आगे दिए गए लिंक के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं।


बता दें कि लीगल भर्ती प्रारंभिक परीक्षा 27 जनवरी 2020 को विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर आयोजित कि जाएगी। एलआईसी यह भर्ती 37 सहायक प्रबंधक (कानूनी) के पदों की भर्ती होने जा रही है। इन पदों पर आवेदन की प्रकिया 2 दिसंबर से 16 दिसंबर 2019 तक चलाई गई थी।इस नौकरी के लिए लॉ ग्रेजुएट से आवेदन मांगे गए थे। उम्मीदवार अपने एडमिट कार्ड को आधिकारिक वेबसाइट या आगे दिए गए चरणों के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं।



LIC HFL Admit Card ऐसे करें डाउनलोड करें-

चरण 1 : सबसे पहले उम्मीदवार एसएससी की आधिकारिक वेबसाइट यानी lichousing.com पर जाएं।
चरण 2 : होम पेज पर करियर वाले विकल्प पर क्लिक करें।
चरण 3 : आपकी स्क्रीन पर दिए गए सहायक प्रबंधकों - लीगल - 2019 एडमिट कार्ड वाले लिंक पर क्लिक करें।
चरण 4 : अब मांगी गई जानकारी दर्ज कर, लाॅगिन बटन पर क्लिक करें।
चरण 5 : उम्मीदवार नई विंडो पर एडमिट कार्ड होगा उसे डाउनलोड करें।
चरण 6 : एक प्रिंट आगे की प्रक्रिया के लिए सुरक्षित रख लें।



आधिकारिक वेबसाइट के लिए यहां क्लिक करें
LIC HFL सहायक प्रबंधक (कानूनी) परीक्षा के एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे