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Read Hindi shayari "Zindagi Ki Kashmakash" ज़िंदगी की कशमकश Shayari In Hindi Collection -
ज़िंदगी की कशमकश पर चुनिंदा शेर. hindi shayarih
सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ
जवाब आज भी हम सोच कर नहीं आए
- आशुफ़्ता चंगेज़ी
कुछ वो खिंचे खिंचे रहे, कुछ हम खिंचे खिंचे
इस कशमकश में टूट गया रिश्ता चाह का
- रज़िया फ़सीह अहमद
अजब सी कशमकश तमाम उम्र साथ साथ थी
रखा जो रूह का भरम तो जिस्म मेरा मर गया
- अलीना इतरत
वादा कर के और भी आफ़त में डाला आप ने
ज़िंदगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया
-जलील मानिकपूरी
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
- हफ़ीज़ जालंधरी
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम
आह करता हूँ तो सय्याद ख़फ़ा होता है
- क़मर जलालवी
शौक़ कहता है पहुँच जाऊँ मैं अब काबे में जल्द
राह में बुत-ख़ाना पड़ता है इलाही क्या करूँ
- अमीर मीनाई
सराब ओ आब की ये कशमकश भी ख़त्म ही समझो
चलो मौज-ए-सदा बन कर किसी गुम्बद में रहते हैं
- अशअर नजमी
ज़िंदगी और मौत में इक उम्र से थी कशमकश
वक़्त पर दो हिचकियों ने पाक झगड़ा कर दिया
- आग़ा शाएर क़ज़लबाश
सोज़-ए-ग़म दे के मुझे उस ने ये इरशाद किया
जा तुझे कशमकश-ए-दहर से आज़ाद किया
- जोश मलीहाबादी
तंग आते भी नहीं कशमकश-ए-दहर से लोग
क्या तमाशा है कि मरते भी नहीं ज़हर से लोग
- सहर अंसारी
मिरी बज़्म-ए-फ़िक्र में है यही कशमकश अज़ल से
कभी छा गई हक़ीक़त तो कभी जम गया फ़साना
- फ़ारूक़ बाँसपारी
सुकूँ हासिल है दिन में और न शब को चैन मिलता है
कि अब तो कशमकश में ज़िंदगी है और बस मैं हूँ
- क़ैसर निज़ामी
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