10 बड़े शायरों के ये हैं सबसे लोकप्रिय 20 रोमांटिक शेर' 'Romantic sher' of top 10 shayar |
रोमांटिक होना एक सुंदर और सफल जीवन की हंसी कहानी कही जा सकती है। इंसान के आसपास का माहौल भी उसे रोमांटिक होने में मदद कर सकता है। काव्य चर्चा की इस कड़ी में हम आपको 10 बड़े शायरों के 20 रोमांटिक शेर दे रहे हैं, जो आपको रोमांटिक बना सकते हैं।
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ...
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
क़तील शिफ़ाई
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
परवीन शाकिर
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं...
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
बशीर बद्र
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे...
शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को
शहरयार
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
बशीर बद्र
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा...
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
बशीर बद्र
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
जाँ निसार अख़्तर
शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूँ...
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
फ़रहत एहसास
शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूँ
दिल ही काफ़ी है तिरी याद में जलने के लिए
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है...
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
बशीर बद्र
तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा
साग़र आज़मी
आप चाहें तो शेर हो जाए...
एक मिस्रा है ज़िंदगी मेरी
आप चाहें तो शेर हो जाए
अज्ञात
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
उबैदुल्लाह अलीम
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है...
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
राहत इंदौरी
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए...
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
जिगर मुरादाबादी
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
कृष्ण बिहारी नूर
वो तिरी याद थी अब याद आया...
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
नासिर काज़मी