इस का रोना नहीं क्यूं तुम ने किया दिल बर्बाद
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया
रहता नहीं है दहर में जब कोई आसरा
उस वक़्त आदमी पे गुज़रती है क्या न पूछ
दिल मिला है जिन्हें हमारा सा
तल्ख़ उन सब की ज़िंदगानी है
छाई हुई है इश्क़ की फिर दिल पे बे-ख़ुदी
फिर ज़िंदगी को होश में लाए हुए हैं हम
छाई हुई है इश्क़ की फिर दिल पे बे-ख़ुदी
फिर ज़िंदगी को होश में लाए हुए हैं हम
ये बात ये तबस्सुम ये नाज़ ये निगाहें
आख़िर तुम्हीं बताओ क्यूंकर न तुम को चाहें
तबस्सुम है वो होंटों पर जो दिल का काम कर जाए
उन्हें इस की नहीं परवा कोई मरता है मर जाए
मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
इतना मानूस हूं फ़ितरत से कली जब चटकी
झुक के मैं ने ये कहा मुझ से कुछ इरशाद किया?
हर पंखुड़ी के ताक़ में हस हंस के सुब्ह को
शमाएं जला रही है किरन आफ़्ताब की