हिंदी शायरी भारत भूषण पंत की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर...
शायरी भारत भूषण पन्त का नाम आधुनिक ग़ज़लों के जाने-माने शायरों में शुमार है। 3 जून 1958 उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे भारत भूषण पंत पूजा भट्ट की फिल्म 'धोखा' में लिखे अपने गीतों के लिए भी बहुत मशहूर हुए। पेश है उनकी ग़ज़लों से चुनिंदा शेर...
हर तरफ़ थी ख़ामोशी और ऐसी ख़ामोशी
रात अपने साए से हम भी डर के रोए थे
इतना तो समझते थे हम भी उस की मजबूरी
इंतिज़ार था लेकिन दर खुला नहीं रक्खा
Hindi Shayari Bharat Bhushan
मैं अब जो हर किसी से अजनबी सा पेश आता हूँ
मुझे अपने से ये वाबस्तगी मजबूर करती है
इतनी सी बात रात पता भी नहीं लगी
कब बुझ गए चराग़ हवा भी नहीं लगी
उसे इक बुत के आगे सर झुकाते सब ने देखा है
वो काफ़िर ही सही पक्का मगर ईमान रखता है
Bharat Bhushan Hindi Shayari
आँखों में एक बार उभरने की देर थी
फिर आँसुओं ने आप ही रस्ते बना लिए
मैं ने माना एक गुहर हूँ फिर भी सदफ़ में हूँ
मुझ को आख़िर यूँ ही घुट कर कब तक रहना है
हम वो सहरा के मुसाफ़िर हैं अभी तक जिन की
प्यास बुझती है सराबों की कहानी सुन कर
Shayari Bharat Bhushan
याद भी आता नहीं कुछ भूलता भी कुछ नहीं
या बहुत मसरूफ़ हूँ मैं या बहुत फ़ुर्सत में हूँ
उम्मीदों से पर्दा रक्खा ख़ुशियों से महरूम रहीं
ख़्वाब मरा तो चालिस दिन तक सोग मनाया आँखों ने
जाने कितने लोग शामिल थे मिरी तख़्लीक़ में
मैं तो बस अल्फ़ाज़ में था शाएरी में कौन था
ये सूरज कब निकलता है उन्हीं से पूछना होगा
सहर होने से पहले ही जो बिस्तर छोड़ देते हैं
Bharat Bhushan Shayari
याद भी आता नहीं कुछ भूलता भी कुछ नहीं
या बहुत मसरूफ़ हूँ मैं या बहुत फ़ुर्सत में हूँ
उस को भी मेरी तरह अपनी वफ़ा पर था यक़ीं
वो भी शायद इसी धोके में मिला था मुझ को
तू हमेशा माँगता रहता है क्यूँ ग़म से नजात
ग़म नहीं होंगे तो क्या तेरी ख़ुशी बढ़ जाएगी