कविता
रोज आउसलेंडर
परिचय जर्मनी की प्रसिद्ध कवयित्री । कविता - संग्रह सात शहरों का संगीत के लिए कई पुरस्कार मिले ।
मुझे बस इतना पता है
पूछते हो तुम मुझसे
क्या चाहती हूं मैं
मुझे नहीं पता यह ।
मुझे बस इतना पता है
कि ख्वाब देखती हूं
मैं कि खवाब जी रहा है मुझे
और तैर रही हूं मैं
इसके बादलों में ।
मुझे बस इतना पता है कि
प्यार करती हूं मैं इंसान को
पहाड़ बागान समुद्र
जानते हैं कि बहुत से मुर्दा
रहते हैं मुझमें ।
आत्मसात करती हूं मैं अपने ही
लम्हों को
जानती हूं इतना ही
कि यह समय का खेल है
आगे - पीछे ।
देवदूत
तुम्हारे अंदर का देवदूत
हर्षित होता है
तुम्हारी खुशी में
आंसू बहाता है
तुम्हारी उदासी पर ,
उसके पंखों से सरसराते हैं
प्रेम के शब्द कविता ,
सहृदय अनुराग रक्षा करता है
वह तुम्हारे पथ की ,
ले जाता है तुम्हारे कदम
देवदूत की ओर ।
मुझे बस इतना पता है कविता Mujhe Bas Itna Pata Hai Poetry