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Hindi Khuddari | famous shayari collection



Hindi Khuddari | famous shayari collection

इन बेहतरीन शेरों से समझें 'खुद्दारी' का मतलब... 

हर इंसान के जीवन में एक अमूल्य निधि की तरह है। यह एक ऐसी पूंजी है जिसकी बदौलत आपका मस्तक हमेशा ऊंचा रहता है और आप आत्मविश्वास से भरे रहते हैं। पेश है 'खुद्दारी' पर चुनिंदा शायरों के अल्फ़ाज़...



किसी को कैसे बताएँ ज़रूरतें अपनी
मदद मिले न मिले आबरू तो जाती है
- वसीम बरेलवी


मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है

किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता
- जावेद अख़्तर

मेरी ख़ुद्दारी सदा करती है मेरी रहबरी
मैं कभी पत्थर से अपने सर को टकराता नहीं
- इबरत बहराईची


पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में
हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है
- राहत इंदौरी

दुनिया मेरी बला जाने महँगी है या सस्ती है
मौत मिले तो मुफ़्त न लूँ हस्ती की क्या हस्ती है
- फ़ानी बदायुनी

                                                      यह भी पढ़े  टॉप 5 शायरों के 25 बड़े शेर

बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए

हम ने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से
- राहत इंदौरी


मुफ़लिसी ने कर दिया है उस की ख़ुद्दारी का ख़ून

वो पहनता है किसी की मेहरबानी का लिबास
- रम्ज़ अज़ीमाबादी

बहुत मुश्किल है जो उस की ग़रीबी दूर हो जाए
अजब ख़ुद्दार है इमदाद को भी भीक समझे है
- ज़मीर अतरौलवी


ख़ैरात की जन्नत ठुकरा दे है शान यही ख़ुद्दारी की

जन्नत से निकाला था जिस को तू उस आदम का पोता है
- हफ़ीज़ जालंधरी

मैं तिरे दर का भिकारी तू मिरे दर का फ़क़ीर
आदमी इस दौर में ख़ुद्दार हो सकता नहीं
- इक़बाल साजिद

यही तहज़ीब तो विर्से में मिली है मुझ को
तुम अना समझे हो जिस को मिरी ख़ुद्दारी है
- सीन शीन आलम


ख़ुद्दारी-ए-इश्क़ ने सिखाया मुझ को

दिल दे के किसी को बे-ज़बाँ हो जाना
- सूफ़ी तबस्सुम

अना ख़ूद्दार की रखती है उस का सर बुलंदी पर
किसी पोरस के आगे हर सिकंदर टूट जाता है
- मयंक अवस्थी

हर्फ़ आने न दिया इश्क़ की ख़ुद्दारी पर
काम नाकाम तमन्ना से लिया है मैं ने
- क़मर मुरादाबादी


तरस खाते हैं जब अपने सिसक उठती है ख़ुद्दारी

हर इक ख़ुद्दार इंसाँ को इनायत तोड़ देती है
- जावेद नसीमी

बे-लिबासी के सिवा अब कुछ नज़र आता नहीं
इस क़दर है जिस्म ख़ुद्दारी की चादर से अलग
- कलीम अख़्तर

रफ़्ता रफ़्ता मिरी ख़ुद्दारी से वाक़िफ़ होगे
अभी कुछ दिन मिरे अंदाज़-ए-मोहब्बत समझो
- सबा अकबराबादी


दिल पर तो बहुत ज़ख़्म ज़माने के लगे हैं

ख़ुद-दारी से लेकिन कभी रोया नहीं जाता
- अज़हर नैयर

अपनी ख़ुद्दारी सलामत दिल का आलम कुछ सही
जिस जगह से उठ चुके हैं उस जगह फिर जाएँ क्या
- सालिक लखनवी

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