जज्बात को भाषा की नहीं बस प्यार के मीडियम की जरूरत समझाती Angrezi Medium- Review एक भावुक फिल्म
Angrezi Medium- Review |
Movie Review: अंग्रेजी मीडियम
कलाकार: इरफान खान, दीपक डोबरियाल, राधिका मदान, करीना कपूर, कीकू शारदा, पंकज त्रिपाठी, रणवीर शौरी व डिंपल कपाड़िया आदि।
निर्देशक: होमी अदजानिया
निर्माता: दिनेश विजन, ज्योति देशपांडे
रेटिंग: ***1/2
सिनेमा क्या है? एक लीक पकड़कर एक के बाद एक, एक जैसी फिल्में बनाते जाना या फिर हर बार खुद को ही चुनौती देने वाली ऐसी कहानियों पर फिल्म बनाने की हिम्मत दिखाना, जिनके बारे में फिल्म शुरू होने से पहले शायद खुद को भी रत्ती भर न पता हो। फिल्म अंग्रेजी मीडियम के बाद निर्देशक होमी अदजानिया की गिनती बाद वाली श्रेणी के फिल्म निर्देशकों में होने वाली है। कहां तो बीईंग सायरस, कॉकटेल और फाइंडिंग फैनी कहां उदयपुर के घसीटेराम के पड़पोते और उसकी बेटी की कहानी।
वैसे, ये कहानी बाप-बेटी के रिश्ते के बराबर ही दो भाईयों की भी है, जो आपस में कितना ही क्यों न लड़े लेकिन कोई बाहरी आकर इनके झगड़े में टांग नहीं अड़ा सकता। फिल्म सवाल ये भी करती है कि 18 साल का होते ही अपने डैने फैलाकर आसमां में उड़ जाने का हक मांगने वाली पीढ़ी को क्या कभी उस घोसले की तरफ भी पलट कर नहीं देखना चाहिए, जहां उनके लिए उनके माता पिता बिना सर्दी, गर्मी और धूप की परवाह किए दाना चुग कर लाते रहे।
कारवां के बाद से इरफान खान को बड़े परदे पर राह तकते दर्शकों के लिए अंग्रेजी मीडियम किसी तोहफे की तरह है। कहानी है चंपक, तारिका और उनके आसपास की दुनिया की। इस दुनिया में पुश्तैनी नाम पाने के लिए जज को रिश्वत देने वाला भाई है। रिश्वतखोर जज की अकड़ू बीवी है। एक काका है जो भाई से तो खूब लड़ता है पर भतीजी पर जान छिड़कता है। मां से अलग रह रही एक बेटी है। एक मां है जो हैप्पी बर्थडे बोलने आई बेटी को व्हिस्की पी पीकर कोसती है। और, हैं ढेर सारी उम्मीदें, खूब सारे सपने, सपनों को पूरा करने की जिद और इस जिद को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालते असली जैसे ढेरों किरदार।
होमी अदजानिया ने फिल्म अंग्रेजी मीडियम में भारत के मध्यमवर्गीय परिवार की उम्मीदों को एक कैनवास पर उतारा है। पूरी आउटलाइन सही उकेरी है। कूंची ने रंग भी सही भरे हैं। बीच के कुछ स्ट्रोक्स की ढिलाई छोड़ दें तो फिल्म आखिर तक आते आते अपना रंग चटख कर ही लेती है। बाप बेटी के रिश्ते की कहानी में काफी भावुकता है, लेकिन फिल्म के बेहतरीन भावुक दृश्य इरफान खान औऱ दीपक डोबरियाल के बीच हैं। ये दोनों ही फिल्म के नाम को भी सार्थक करते हैं। अंग्रेजी आती नहीं और गूगल की मदद से अंग्रेजी बोलने की कोशिश इन्हें कहां कहां पहुंचाती है, यही अंग्रेजी मीडियम का असली सार है।
हां, फिल्म का विस्तार कहीं कहीं कुछ ज्यादा ही फैल गया है। मसलन पंकज त्रिपाठी वाला ट्रैक जबर्दस्ती का लगता है। पंकज त्रिपाठी का अभिनय भी जबर्दस्ती का ही लगता है। फिल्म में इरफान खान के बाद नंबर दो पर दीपक डोबरियाल ही हैं। पप्पी के किरदार पर घसीटेराम का ये किरदार इक्सीस है। राधिका मदान क्यों दांती भीच भीचकर पूरी फिल्म में बोल रही हैं, वह जानें या होमी। वैसे, महिला किरदारों में महफिल लूटने वाला काम किया है डिंपल कपाड़िया और मेघना मलिक ने। करीना का काम उतना ही है जितना एक स्पेशल अपीयरेंस वाले किरदार का हो सकता है।
फिल्म का तकनीकी पक्ष भी बेहतर है। हालांकि, अनिल मेहता ने जितना खूबसूरत राजस्थान दिखाया है, उतनी इज्जत उन्होंने लंदन को नहीं बख्शी है। हम दिल दे चुके सनम के लिए सर्वश्रेष्ठ छायांकन का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके अनिल का कैमरा वही दिखाता है जो निर्देशक देखता है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के मामले में फिल्म अंग्रेजी मीडियम के एडीटर ए श्रीकर प्रसाद आधा दर्जन से ज्यादा पुरस्कार जीत चुके हैं लेकिन इस फिल्म में उन्हें थोड़ा और चुस्त होने की जरूरत थी। गीत संगीत के लिहाज से सचिन जिगर ने अपने नाम को इस फिल्म में थोड़ा और चमकाया है। लाडकी इस सीजन का अब तक का बेहतरीन गाना है। पिताओं और बेटियों के साथ साथ इस फिल्म को उन भाइयों को भी देखना चाहिए जिनके रिश्तों में गांठ आ चुकी हो। अमर उजाला मूवी रिव्यू में फिल्म अंग्रेजी मीडियम को मिलते हैं, साढ़े तीन स्टार।