बेगम अख़्तर की गायी हुई ग़ज़लों से चुनिंदा शेर
कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो कि न याद हो
- मोमिन ख़ां मोमिन
आप कहते थे कि रोने से न बदलेंगे नसीब
उम्र भर आप की इस बात ने रोने न दिया
- सुदर्शन फ़ाख़िर
ये न थी हमारी क़िस्मत अगर विसाले यार होता
अगर और जीते रहते ये ही इंतज़ार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
दिल की बात कही नहीं जाती, चुप के रहना ठाना है
हाल अगर है ऐसा ही तो जी से जाना जाना है
- मीर तक़ी मीर
यूं तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
- शकील बदायूंनी
ऐ देखने वालो मुझे हंस हंस के न देखो
तुम को भी मोहब्बत कहीं मुझ सा न बना दे
- बहज़ाद लखनवी
आज न जाने राज़ ये क्या है
हिज्र की रात और इतनी रौशन
- जिगर मुरादाबादी
हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन
उन के बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते
- अली अहमद जलीली
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
- सुदर्शन फ़ाख़िर
मैं ढूंढ़ता हूं जिसे वो जहां नहीं मिलता
नयी ज़मीं नया आसमां नहीं मिलता
- कैफ़ी आज़मी