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Hindi Top 5 shayar with 20 top 20 sher on love



सीरीज-1 के ये रहें टॉप 5 शायरों के 20 बड़े शेर...

Hindi Top 5 shayar with 20 top 20 sher on love




टॉप 5 शायरों के 20 बड़े शेर.
इश्क़ और उर्दू की दुनिया में कुछ शायरों के नाम ऐसे हैं कि जिनको सुनते ही मन में गुलाबी इश्क़ की हलचल पैदा होने लगती है। इस सीरीज में हम ऐसे ही पांच बड़े शायरों के 20 लोकप्रिय शेरों से आपका परिचय कराने जा रहे हैं ।

बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले... 
मिर्जा़ गा़लिब

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता... 

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता

डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता... 
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता

हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया... 
जिगर मुरादाबादी

अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया


तिरे जमाल की तस्वीर खींच दूँ लेकिन
ज़बाँ में आँख नहीं आँख में ज़बान नहीं

इंतिहा ये है कि अब मरना भी मुश्किल हो गया... 

सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइज़
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती

इब्तिदा वो थी कि जीना था मोहब्बत में मुहाल
इंतिहा ये है कि अब मरना भी मुश्किल हो गया

मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे... 

उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे

अभी टुक रोते रोते सो गया है... 
मीर तक़ी मीर

पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है

सिरहाने 'मीर' के कोई न बोलो
अभी टुक रोते रोते सो गया है

आगे आगे देखिए होता है क्या... 

राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या

उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया

हमें आप से भी जुदा कर चले...

दिखाई दिये यूं कि बेख़ुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले

जबीं सजदा करते ही करते गई
हक़-ए-बन्दगी हम अदा कर चले

परस्तिश की यां तक कि अय बुत तुझे
नज़र में सभों की ख़ुदा कर चले

बहुत आरज़ू थी गली की तेरी
सो यां से लहू में नहा कर चले

जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों... 
बशीर बद्र

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में

तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा...

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहां दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूं करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो

ज़रा फ़ासले से मिला करो... 

कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो

जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता... 
निदा फाज़ली

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता


दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा... 

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा

वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

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