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'Makarand Deshpand-Birthday Special 10 Powerful Characters Of Shahrukh Khan Swades Costar


10 दमदार किरदार रंगमंच से रहा गहरा नाता, शाहरुख को रास्ता दिखाने वाले फकीर के ये हैं



10 Powerful Characters





भारतीय सिनेमा में मकरंद देशपांडे एक हुनर का नाम है। कोई भी भाषा हो या कोई भी शैली हो, मकरंद को सब कुछ भाता है। स्वदेस, मकड़ी, जंगल, डरना मना है जैसी कुछ फिल्मों में उन्होंने थोड़े बड़े किरदार किए हैं। नहीं तो मकरंद हमेशा कोई राहगीर, शराबी या कोई कॉमेडी किरदार ही किया करते हैं। मकरंद का जितना बड़ा नाम भारतीय सिनेमा में है, उतना ही बड़ा उनका नाम रंगमंच में भी है। वे अब तक थिएटर को 40 से ज्यादा पूरी लंबाई के नाटक और 50 से ज्यादा छोटे नाटक की भेंट दे चुके हैं। आज भी उनका 'अंश' नामक थिएटर ग्रुप है, जिसे वे के के मेनन के साथ मिलकर चलाते हैं। आज मकरंद के जन्मदिन पर हम आपको हिंदी फिल्मों में उनके कुछ रुचिकर किरदारों के बारे में बताते हैं।


फिल्म : घातक (1996)
फिल्म : घातक (1996)




किरदार : किराए का गुंडा
फिल्म : घातक (1996)
किराए के गुंडे किसी-किसी फिल्म में अपनी पहचान बना पाते हैं। इस फिल्म में मकरंद का सीन मुश्किल से एक मिनट का होगा। लेकिन फिल्म के जिस माहौल में उनका एक मिनट शुरू होता है, वह बहुत गंभीर होता है। और उस गंभीर माहौल में मकरंद का पर्दे पर दिखाई देना दर्शकों के लिए मूड हल्का करने वाली बात होती है। उस समय मकरंद की धमकियां दर्शकों के चेहरों पर खुशी, और यादगार लम्हा देती हैं।


फिल्म : सत्या (1998)
फिल्म : सत्या (1998)



किरदार : चंद्रकांत मुले
फिल्म : सत्या (1998)
मकरंद की कॉमेडी के बाद इस फिल्म में दर्शकों को उनका एक नया रूप देखने को मिला। वकील चंद्रकांत मुले बनकर इस फिल्म में मकरंद लोगों के बीच समझौते कराते हुए नजर आए। गुंडों और बिल्डरों की समस्याओं का बातचीत से हल निकालने के लिए चंद्रकांत एक माध्यम के जैसे थे। यहां पर भी उनके अभिनय का तरीका एकदम अनोखा है।


फिल्म : सरफरोश (1999)
फिल्म : सरफरोश (1999)







किरदार : शिवा
फिल्म : सरफरोश (1999)
जैसा कि हम जानते हैं कि मकरंद ने फिल्मों में बहुत छोटे-छोटे किरदार किए हैं। एक इंटरव्यू में मकरंद ने कहा था कि फिल्म सरफरोश में उन्होंने अपने करियर का सबसे अच्छा काम किया है। इस फिल्म में उन्होंने गैरकानूनी माल को इधर से उधर पहुंचाने का काम किया है। अपने मालिक के प्रति वफादारी और खुले ख्यालों में जीना इस किरदार की खासियत है।




फिल्म : जंगल (2000)
फिल्म : जंगल (2000)


किरदार : दोराई स्वामी
फिल्म : जंगल (2000)
नक्सलियों की तरह जंगल में रहने वाला दोराई स्वामी एक गैरकानूनी हथियारों का सौदागर है। यह फिल्म मकरंद की उन फिल्मों में से एक है, जिनमें उन्होंने अपने बेहतरीन किरदारों को अंजाम दिया। फिल्म में हथियारों का सौदागर होने के अलावा वह सिद्धार्थ मिश्रा (फरदीन खान) की उसकी प्रेमिका अनु (उर्मिला मातोंडकर) को खोजने में भी मदद करता है।



फिल्म : मकड़ी (2002)
फिल्म : मकड़ी (2002)


किरदार : कल्लू
फिल्म : मकड़ी (2002)
धोखेबाज लोग तो हर जगह पर होते हैं। लेकिन कल्लू जैसा धोखेबाज तो शायद ही कोई होगा। गांव में रहकर एक पुरानी हवेली के बारे में कल्लू ऐसी अफवाह फैला देता है जिसमें वह कहता है कि ये हवेली भूतिया है। इसमें जो भी अब तक गया है वह जानवर बनकर लौटा है। हकीकत में लोगों को डराने के लिए ये पूरी करामात कल्लू की ही होती है।


फिल्म : हनन (2004)
फिल्म : हनन (2004)




किरदार : सूर्या
फिल्म : हनन (2004)
एक छोटे से गैंग को अपने कंधे पर ढोने वाले सूर्या भाई (मकरंद देशपांडे) कभी किसी का कुछ बिगाड़ ही नहीं पाते। गुंडा बनकर अपने गुर्गों के साथ वह लोगों पर धौंस जमाने की कोशिश तो बहुत करते हैं, लेकिन सफल नहीं होते। फिल्म के एक दृश्य में पगले (मनोज बाजपेई) के साथ हुई उनकी लड़ाई को देखकर लोगों को बुरा कम लगता है, और हंसी ज्यादा आती है। यही तो मकरंद की खूबी है।






फिल्म : स्वदेस (2004)
फिल्म : स्वदेस (2004)


किरदार : फकीर
फिल्म : स्वदेस (2004)
फिल्म में जब मोहन भार्गव के रूप में शाहरुख स्वदेस लौटते हैं, तब उनकी मुलाकात एक फकीर से होती है। ये फकीर उन्हें सच्चाई और अच्छाई का रास्ता दिखाता है। फकीर के रूप में मकरंद के किरदार में एक शालीनता थी। वह दुनिया की मोह माया से दूर था और दूसरों को भी ऐसा ही करने की सलाह देता था। इस फिल्म में भी मकरंद ने अपनी उपस्थिति बखूबी दर्ज कराई।





फिल्म : डरना जरूरी है (2006)
फिल्म : डरना जरूरी है (2006)


किरदार : राहुल
फिल्म : डरना जरूरी है (2006)
इस फिल्म में छः कहानियों का संकलन है, जिसमें से एक कहानी का हिस्सा मकरंद देशपांडे हैं। राहुल का किरदार बहुत ही दिमाग से समझने वाला है। वो मरा हुआ है या जिंदा है? ये आपको थोड़ा भ्रमित कर सकता है। राहुल कहने को एक साधारण आदमी है लेकिन आत्माओं से बात कर सकता है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि मकरंद अपने अभिनय से यहां डराते हुए नजर आते हैं।





फिल्म : खट्टा मीठा (2010)
फिल्म : खट्टा मीठा (2010)

किरदार : आजाद भगत
फिल्म : खट्टा मीठा (2010)
यहां उनके अंदर का एक बेहतरीन अभिनेता जागा, और पूरी भड़ास सिस्टम की कार्यप्रणाली पर निकाल दी। मकरंद को इस फिल्म में एक पत्रकार के रूप में देखा गया। सड़क पर बना पुल ढहने की एक भयानक दुर्घटना में आजाद के बीवी और बच्चे मर जाते हैं। उनको न्याय दिलाने के लिए आजाद सबको एक डंडे से हांकना शुरू कर देता है। मकरंद इस फिल्म में कमाल के लगे।


फिल्म : बुड्ढा होगा तेरा बाप (2011)
फिल्म : बुड्ढा होगा तेरा बाप (2011)




किरदार : मैक
फिल्म : बुड्ढा होगा तेरा बाप (2011)
एक्शन थ्रिलर और कुछ मोड़ों से रुचिकर बनी इस फिल्म में मकरंद एक दोस्त के रूप में नजर आए। पिछली सदी के महानायक अभिताभ बच्चन के दोस्त के रूप में मैक विज्जू के बहुत काम आता है। वह एक भरोसेमंद और साहसी दोस्त है। वह जिज्ञासु बहुत है। हर बात पर उसे कुछ न कुछ चाहिए होता है। इस फिल्म में भी मकरंद काफी रुचिकर लगे।

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