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Seene Main Dard | डा. के के पांडेय-सीने में दर्द, - hindi shayari h


सीने में दर्द, के हो सकते हैं कई अलग-अलग कारण

छातीदर्द ( सीने में दर्द )की चिंता से मुक्ति पाने का एक ही रास्ता होता है. पहले अपनी टीएमटी जांच करवा लें. अगर परिणाम संदेहास्पद है तो स्ट्रैस इको (डोब्यूटामीन इन्ड्यूस्ड स्ट्रैस इको यानी डीआईएसई) करवा कर हार्ट की बीमारी होने के संदेह का निराकरण करें

Seene Main Dard | डा. के के पांडेय-सीने में दर्द





डा. के के पांडेय-सीने में दर्द, - लोग यह नहीं जानते कि सीने में दर्द दिल के रोग के अलावा और भी महत्त्वपूर्ण कारण होते हैं. इन पर वे ध्यान नहीं देते और समस्या गंभीर होती चली जाती है.भारतीयों में हार्टअटैक का इस कदर खौफ समाया हुआ है कि जरा सा छाती में खिंचाव, दर्द या जलन की शिकायत हुई नहीं कि दौड़ पड़े निकट के डाक्टर के पास. तुरंत ईसीजी और ढेरों खून के टैस्ट आननफानन करवा डाले. पर नतीजा कुछ नहीं निकला. फिर भी संतोष नहीं हुआ, तो पास के किसी नर्सिंग होम या छोटे अस्पताल में जा कर भरती हो गए और वहां के आईसीयू में 4-5 दिन गुजारने के बाद तसल्ली मिली.

Seene main dard,
इलाज करने वाला डाक्टर तो पहले से ही तसल्ली में था, पर आप को चैन नहीं था. जब रोज सुबहशाम ईसीजी हुआ और ढेर सारे खून के अनापशनाप टैस्ट हुए और थोड़ी जेब ढीली हुई, तब जा कर आप के ऊपर आया हुआ तथाकथित हार्टअटैक का खतरा टला. पर इस के बाद दवाइयों का सिलसिला जो शुरू हुआ, उस ने थमने का नाम ही नहीं लिया.



इस तरह की घटनाएं देश के हर गलीनुक्कड़ पर रोजरोज दोहराई जा रही हैं. नतीजा यह हो रहा है कि हर सीने में दर्द की शिकायत करने वाला व्यक्ति अपनेआप को जानेअनजाने में दिल का मरीज समझने लगा है और इस का असर यह हो रहा है कि उस की दिनचर्र्या व रोजमर्रा के व्यवहार में ऐसा बदलाव आ रहा है मानो चंद दिनों में ही मौत का अचानक बुलावा आने वाला हो. यहां तक कि वसीयत तुरंत लिखवाने के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया हो.

हार्टअटैक का ऐसा खौफ क्यों

इस के लिए काफी हद तक मीडिया विशेषकर टैलीविजन चैनल जिम्मेदार हैं. आएदिन हार्टअटैक के बारे में दहशत फैलाई जा रही है. अगर फलांफलां तेल खाने में इस्तेमाल नहीं किया तो हार्टअटैक निश्चित है. अपना बीमा करा लो, कहीं हार्टअटैक  न आ जाए और आप के परिवार वाले अनाथ न हो जाएं.


एक और भी कारण है कि अपने देश के हर गलीनुक्कड़ में जैसे हार्ट स्पैशलिस्ट की बाढ़ आ गई हो. हर फिजीशियन अपनेआप को हार्ट स्पैशलिस्ट लिखने लगा है. कहीं भी आप गलीमहल्ले या कसबे में निकल जाइए, फिजीशियन एवं हार्ट स्पैशलिस्ट के बोर्ड बड़ी संख्या में नजर आ जाएंगे. जब हर कोई हार्ट स्पैशलिस्ट बना जा रहा है तो दिल के मरीज भी उसी संख्या में पैदा होंगे ही.

हार्टअटैक का अंदेशा कब करें

अगर आप की उम्र 40 वर्ष या उस से ऊपर है और आप डायबिटीज के शिकार हैं व धूम्रपान या तंबाकू (जर्दा, खैनी, जाफरानी पत्ती, गुल) के आदि हैं और तेज चलते वक्त या सीढ़ी चढ़ने पर छाती की बाईं तरफ दर्द या हलका भारीपन उभरता हो या थोड़ा शारीरिक व्यायाम करने पर सांस फूलने लगे, तो दिल की बीमारी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

खास बात यह होती है कि आराम करने से या चलते वक्त रुक जाने पर छाती का हलका दर्द व भारीपन गायब हो जाता है. दिल का दर्द चलते वक्त बाएं हाथ, बाईं गरदन व बाएं जबड़े में भी उभरता है.



सीने में दर्द की चिंता से मुक्ति पाने का एक ही रास्ता होता है. पहले अपनी टीएमटी जांच करवा लें. अगर परिणाम संदेहास्पद है तो स्ट्रैस इको (डोब्यूटामीन इन्ड्यूस्ड स्ट्रैस इको यानी डीआईएसई) करवा कर हार्ट की बीमारी होने के संदेह का निराकरण करें. पूर्णतया निश्चिंत होने के लिए सब से उत्तम जांच मल्टी स्लाइस सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी करवाएं. इस विशेष एंजियोग्राफी के लिए अस्पताल में भरती होने की जरूरत नहीं होती और न ही जांघ के जरिए तार डालने की आवश्यकता होती है.

हार्टअटैक की संभावना

अगर आप की उम्र 40 से कम है व वजन सीमा के अंदर है और आप डायबिटीज व ब्लडप्रैशर के शिकार नहीं हैं, साथ ही, धूम्रपान, मदिरापान व तंबाकू सेवन के शौकीन भी नहीं हैं, तो आप के छातीदर्द का दिल के रोग से संबंध होने की संभावना कम होती है. अगर छाती का दर्द विशेषकर दाईं तरफ है और नौर्मल सांस लेने में या छींक या खांसी होने पर छातीदर्द उभरता है तो दिल के रोग की संभावना सौ में 5 फीसदी होती है. अगर गरिष्ठ, मिर्चयुक्त मसालेदार खाने के बाद ही छाती में दर्द उभरता है, तो दिल के रोग की संभावना कम होती है. तब हमें दिल के अलावा अन्य रोगों से संबंधित जांच करवाने के बारे में सोचना चाहिए.




दिल के अलावा अन्य कारण

सीने में दर्द का सब से बड़ा कारण छाती की अंदरूनी दीवारों में सूजन का होना है. होता यह है, जब फेफड़ों की ऊपरी सतह पर स्थित झिल्ली में सूजन आ जाती है तो छाती की अंदरूनी दीवार में स्थित सूजी हुई सतह सांस लेते वक्त रगड़ खाती है, तो असहनीय दर्द होता है. इस अवस्था को मैडिकल भाषा में प्ल्यूराइटिस कहते हैं. यह प्ल्यूराइटिस छाती में पानी इकट्ठा होने का शुरुआती संकेत है.

प्ल्यूराइटिस का ज्यादातर कारण टीबी का इन्फैक्शन होता है. लोग छातीदर्द के लिए दर्दनिवारक गोलियों का सेवन करते रहते हैं और सही जांच व इलाज के अभाव में समस्या को और गंभीर बना देते हैं. अगर प्ल्यूराइटिस की समस्या को सही समय पर नियंत्रित न किया गया तो सीने में फेफड़े के चारों ओर पानी इकट्ठा हो जाता है. टीबी के अलावा न्यूमोनिया का इन्फैक्शन भी इस अवस्था को पैदा कर देता है. इस तरह की समस्या पर किसी थोरैसिक सर्जन यानी चेस्ट सर्जन से परामर्श लें.

मवाद भी सीने में दर्द का कारण

हमारे देश में सीने में दर्द मवाद यानी पस जमा हो जाने की घटना बहुत आम है. होता यह है कि न्यूमोनिया या अन्य फेफड़े का इन्फैक्शन जब पूरी तरह से नियंत्रित नहीं हो पाता है, तो फेफड़े के चारों ओर विशेषतया निचले हिस्से में इन्फैक्शन वाला पानी या मवाद इकट्ठा हो जाता है.

इस एकत्र हुए पस की मात्रा कम तो होती है, पर महीनों दिए जाने वाले तरहतरह के एंटीबायोटिक का असर नहीं होता. छाती में पस का जमाव  सीने में दर्द बड़ा ही महत्त्वपूर्ण कारण होता है. इस में किसी थोरैसिक सर्जन से औपरेशन के जरिए सफाई कराने के बाद ही समस्या से नजात मिल पाती है.

सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस

देश में शारीरिक व्यायाम का नितांत अभाव है. लोग हाथपैर चलाना तो दूर, पैदल चलना भी भूलते जा रहे हैं. और तो और, टैलीविजन व कंप्यूटर के सामने एक ही शारीरिक मुद्रा में बैठे रहते हैं. ऐसी आरामतलब दिनचर्र्या का गरदन व छाती के ऊपरी हिस्से की रीढ़ की हड्डियों पर कुप्रभाव पड़ता है. व्यायाम के अभाव में रीढ़ की हड्डियों के जोड़ काफी सख्त हो जाते हैं और उन में लचीलापन खत्म हो जाता है.


परिणामस्वरूप, रीढ़ की हड्डी से हाथ, कंधे और छाती के हिस्से में जाने वाली नसों पर दबाव पड़ने लगताहै. इस के फलस्वरूप छाती और हाथ में दर्द उभरने लगता है और लोग इसे दिल का रोग व संभावित हार्टअटैक गलती से मान बैठते हैं व अनजाने में अप्रत्याशित हार्टअटैक की संभावना के मद्देनजर अपनी दिनचर्या में अनावश्यक आमूलचूल परिवर्तन करते हैं. इस से उन में आत्मविश्वास व उन की कार्यक्षमता दोनों में ही भारी कमी आती है. आप को चाहिए कि किसी थोरैसिक यानी चेस्ट सर्जन से सलाह लें.

पसलियों की कमजोरी

आजकल अकसर नवयुवक व नवयुवतियां छातीदर्द की शिकायत करते हैं. यह दर्द सामने की ओर ज्यादा होता है. यह दर्द पसलियों का होता है जो छींक या खांसी आने पर और बढ़ जाता है. अगर पसलियों के ऊपर झटका लगा तो ऐसा लगता है कि जान निकल गई. इस रोग को मैडिकल भाषा में पसलियों की कोस्टो कौन्ड्रायटिस कहते हैं. अकसर वे लोग जो दूध का नियमित या नहीं के बराबर सेवन करते हैं, इस बीमारी के शिकार होते हैं.



आजकल देखा गया है कि खून में विटामिन डी की मात्रा कम होने से भी पसलियों की बीमारी व छातीदर्द होता है. अगर आप प्रोटीनयुक्त संतुलित भोजन व विटामिन से भरपूर सलाद (न्यूनतम 300 ग्राम प्रतिदिन) व फल (300 ग्राम रोजाना) और आधा लिटर बिना मलाई वाले दूध का सेवन प्रतिदिन करते हैं, तो पसलियों की इस बीमारी व छातीदर्द से कोसों दूर रहेंगे.

कुछ लोगों को ठंडे खाद्य पदार्थों, जैसे कढ़ी, रायता, आइसक्रीम, व दहीबड़े के सेवन करने से छाती में दर्द उभर आता है. इस का कारण छाती की मांसपेशियों की ठंडी चीजों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता है. ऐसे लोगों को चाहिए कि लगातार कई दिनों तक अत्यधिक ठंडे भोजन के सेवन से बचें. ऐसे लोग गरम चीजें खाएं और एक या दो दिनों के लिए दर्दनिवारक दवा ले लें.


खाने की नली में सूजन

अपने देश में चाटपकौड़े, तेल में भुने हुए खाद्य पदार्थों जैसे समोसे, दालमोठ आदि जैसी अनेक तेल से युक्त खाने की चीजों की भरमार है. लोग इन सब खाद्य पदार्थों को खुल कर खाते हैं और साथ में अचार, मिर्च व मसालों का भरपूर सेवन करते हैं. इस तरह से तो आंतों में सूजन व अल्सर की शिकायत होनी लाजिमी है.

छाती के अंदर स्थित खाने की नली (ईसाफैगस) में सूजन आने पर यह दिल के रोग होने या हार्टअटैक होने की संभावना होने की याद दिलाता है. मरीज को कुछ खाने के बाद छाती के बीचोंबीच भारीपन, दबाव व दर्द महसूस होता है. शराब का भयंकर सेवन भी आंतों की सूजन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. इस तरह की चीजों को सामान्य भाषा में गैस की संज्ञा देते हैं. कभीकभी छाती के अंदर स्थित खाने की नली का कैंसर भी छातीदर्द का कारण होता है.

समझदारी की बात

इन सब बातों को समझ लेने के बाद हर छातीदर्द को हार्टअटैक समझने की गलती न करें. अगर संदेह न दूर हो तो सुझाई गई जांचें जरूर करवा लें, अन्यथा अनजाने में संभावित हार्टअटैक के डर की वजह से आप की कार्यक्षमता व आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए संदेह होने पर हार्टअटैक से संबंधित जांचें करवा कर निश्ंिचत हो जाइए. और फिर किसी थोरैसिक सर्जन से परामर्श कर छातीदर्द के अन्य कारणों का निदान ढूंढ़ने की कोशिश करें, तभी आप मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे.






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