प्यासी धरती जलती है
सूख गए बहते दरिया
- नासिर काज़मी
तुम हो फ़लक कब समझोगे
धरती क्या कुछ सहती है
- बिल्क़ीस ख़ान
पूछा जो सवाल आसमाँ से
धरती से जवाब आ रहा है
- करामत अली करामत
कहाँ जलता रहा धरती का सीना
कहाँ होती रही बरसात लिखना
- कँवल ज़ियाई
Shayari on Dharti
Shayari on Dharti
हिस्सा-बख़रे बाँट लिए हैं लोगों ने
बेचारे क्या करते धरती एक ही थी
- मुनीर सैफ़ी
फट रही है ये फिर से धरती क्यूँ
फिर से यज़्दाँ का क़हर आया है
- उज़ैर रहमान
पानियों और हवा पे लिख न सके
हम ने धरती पे नाम लिक्खा है
- हैरत फ़र्रुख़ाबादी
Hindi Shayari on Dharti
ख़ारज़ारों पे चलूँ नंगे पाँव
ख़ुश्क धरती की दुआ लूँ पानी
- अता आबिदी
पहले जो थी मेहरबाँ हम सब की माँ
अब वही धरती है बिकती दाम पर
- नासिर शहज़ाद
अँधेरे नोच रहे थे जमाल धरती का
मिरी ज़मीन का सूरज कहीं गया हुआ था
- मुमताज़ गुर्मानी
Shayari collection on Dharti
Shayari collection on Dharti