सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Abhishek Bachchan Breathe Season 2 and Mirzapur Season 2 Release Delay Due To Coronavirus


'मिर्जापुर' का दूसरा सीजन, अभिषेक बच्चन की 'ब्रीद 2'  इसलिए रिलीज नहीं हो पा रहा 

 Abhishek Bachchan Breathe Season 2 and Mirzapur Season 2 Release Delay Due To Coronavirus
 Abhishek Bachchan Breathe Season 2 and Mirzapur Season 2 Release Delay Due To Coronavirus 






कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों के मनोरंजन का एकमात्र साधन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स बने हुए हैं। लेकिन लॉकडाउन के दिन बढ़ने की स्थिति में लोगों से नए मनोरंजन का यह जरिया भी प्रभावित हो सकता है। भारत में चलने वाले सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म्स नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो के पास भी कुछ ही प्रोजेक्ट्स बचे हैं, जिन्हें वे हाल ही में प्रसारित करने वाले हैं।






लॉकडाउन की स्थिति में इसके बाद इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के पास भी लोगों को दिखाने के लिए कुछ नहीं बचेगा।प्राइम वीडियो के ताजा प्रसारित हुए शो 'पंचायत' को सभी ओर से तारीफें मिल रही हैं। इस प्लेटफार्म के पास आगे दिखाने के लिए 'फोर मोर शॉट्स प्लीज' का दूसरा सीजन भी तैयार है।






भारत में अमेजन ओरिजिनल कंटेंट की मुखिया अपर्णा पुरोहित बताती हैं कि आगे के शोज को लेकर उन्हें बहुत तैयारी करने की जरूरत है।उन्होंने कहा, 'हम नए शोज को जितनी जल्दी हो सके बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। इस समय शूटिंग तो बंद हो चुकी हैं। हमारे कई प्रोजेक्ट्स इसी वजह से रुक गए हैं। यहां ऐसा कुछ भी नहीं है जो सिर्फ हमारे हाथ में हो।









प्राइम वीडियो की कई प्रतिष्ठित वेब सीरीजों, जिसमें सैफ अली खान की 'दिल्ली', अभिषेक बच्चन की 'ब्रीद 2', और गैंगस्टर ड्रामा 'मिर्जापुर 2' शामिल हैं, की शूटिंग पूरी हो चुकी है, लेकिन इनके पोस्ट प्रोडक्शन का काम अभी भी बाकी है। अपर्णा कहती हैं, 'ऑफलाइन एडिटिंग तो घर से हो सकती है, लेकिन डबिंग के लिए हमें एक स्टूडियो की जरूरत होगी।'







इन कामों के लिए कई लोगों को एक साथ मिलकर काम करना होता है। अभी तो हम सिर्फ स्थिति का आंकलन करने में लगे हुए है। हालांकि हमें अपने कंटेंट को रिलीज करने की कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि हमारे पास पहले से ही 'फोर मोर शॉट्स प्लीज 2' और 'पाताल लोक' रिलीज होने के लिए तैयार हैं।'

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे