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Best Hindi Story, Dohramapdand | Hindi Kahani Read Online दोहरा मापदंड



Best Hindi Story, Dohramapdand | Hindi Kahani  Read Online दोहरा मापदंड
Best Hindi Story, Dohramapdand | Hindi Kahani  Read Online दोहरा मापदंड 




दोहरा मापदंड 
भाभी ने कैसे दिखाई निधि को ससुराल में सामंजस्य बिठाने की राह.
मीनू त्रिपाठी | दोहरा मापदंड 


Best Hindi Story, Dohramapdand
प्राची उफान लाते दूध को संयम से उबाल रही थी. तभी कौलबेल की आवाज आई. जल्दी से गैस बंद कर के वह बाहर की ओर भागी, तब तक दरवाजा सास प्रभादेवी ने खोल दिया था. सब की आश्चर्य का केंद्र बनी निधि दनदनाती अंदर आई. वह इतने आवेग में थी कि पीछे चले आ रहे विहान की मौजूदगी की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया. यों सुबहसुबह बिना किसी सूचना के बेटीदामाद का अचानक आना किसी के गले नहीं उतरा. कारण था, निधि का उखड़ा मूड और विहान की बेचारगी भरे हावभाव. ऐसे में प्रभादेवी का अनायास अचानक आने का कारण पूछना, निधि को आहत कर गया.

‘‘मम्मी, अपने घर आई हूं, किसी और के नहीं.’’ उस वक्त घर के दामाद विहान ने बात संभाली, ‘‘निधि आप लोगों से मिलना चाहती थी. कार्यक्रम इतनी जल्दी में बना कि खयाल ही नहीं रहा कि बता पाते.’’

विहान की बात का समर्थन घर की बहू प्राची ने किया, ‘‘अरे, सरप्राइज देने में जो मजा है, वह बता कर आने में कहां है.’’

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निधि के तेवर और उखड़े मूड से प्रभादेवी बेटीदामाद के घर आने से होने वाली रौनक को दिल से महसूस नहीं कर पा रही थीं. प्रभादेवी का संदेह जल्दी सही साबित भी हो गया, जब चाय पीने के बाद ही विहान ने अपने घर वापस जाने की पेशकश की तो निधि ने उन्हें नहीं रोका. निधि का विहान के प्रति रूखा व्यवहार प्रभादेवी की बरदाश्त से बाहर था, ‘‘क्या बात है निधि, कुछ हुआ है क्या तुम लोगों के बीच में.’’ प्रभादेवी की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि विहान और निधि के बीच आरोपप्रत्यारोप की ऐसी बरसात हुई कि प्रभादेवी ने अपना सिर पकड़ लिया.

मनमुटाव की वजहें छोटीछोटी थीं. मसलन, विहान की मां द्वारा हर बात पर निधि को टोका जाना. निधि के कथनानुसार, विहान का उसे सम झने की कोशिश न करना और घर की हर छोटीबड़ी जिम्मेदारियों के लिए उसे तलब करना… ‘‘मम्मी, कोई बातबात पर मु झे टोके, मैं बरदाश्त नहीं कर सकती हूं. मेरी अपनी जिंदगी, अपना वजूद है. मैं किसी के लिए खुद को नहीं बदल सकती हूं.’’

निधि शिकायत कर रही थी तो वहीं विहान भी पीछे नहीं था, ‘‘मम्मी, आप ही बताएं, मैं क्या करूं. मेरी मम्मी का अपना तरीका है काम करने का, वे निधि को कुछ सिखाने की कोशिश करती हैं तो यह चिढ़ जाती है. निधि को वहम है कि मम्मी इसे पसंद नहीं करती हैं जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है. इतने सालों से मम्मी घर चला रही हैं तो उन के अनुभवों की थोड़ी तो कद्र हो. मेरी बहनें ये सोच कर मायके आती हैं कि भाभी से बोलबतिया कर कुछ हंसीमजाक करेंगी. पर निधि उन से घुलमिल नहीं पाती है. पहले लगता था कि दूसरे घर से आने के कारण यह हमारी फैमिली के साथ एडजस्ट नहीं हो पा रही है लेकिन अब ऐसा लगता है कि निधि जानबू झ कर हम सब के साथ एडजस्ट नहीं होना चाहती है. मम्मी का कुछ भी बतानासिखाना इसे टोकाटाकी लगता है, क्या यह सही है?’’

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जब दोनों जीभर कर बोल लिए तब प्रभादेवी और प्राची ने आपसी वार्त्तालाप के जरिए निधि को सम झाने की कोशिश की, ‘‘निधि, क्या मैं ने टोकाटाकी नहीं की थी प्राची के साथ…’’ प्रभादेवी की टिप्पणी पर प्राची ने तुरंत कहा, ‘‘मम्मी, आप की टोकाटाकी ने ही मुझे काम का सलीका सिखाया है. मेरा मानना है कि बड़ों के पास तजरबों का खजाना होता है, जिसे वे अपनों पर ही लुटाते हैं. ऐसे में हमें उन के तजरबों का फायदा उठाना चाहिए. मैं आप की टोकाटाकी को सकारात्मक नहीं लेती तो नुकसान अपना ही करती.’’ प्राची का बोलना था कि निधि उसी वक्त पांव पटकते हुए वहां से चली गई. विहान अपने घर के उल झे मसलों को यों खुलेआम चर्चा का विषय बनते देख कर शर्मिंदा हो रहे थे. ऐसे वातावरण से विहान जल्दी निकलना चाहते थे. उन्होंने प्राची से कहा, ‘‘भाभी, आज मैं 10 बजे तक निकल जाऊंगा.’’

विहान के कहने पर प्राची ने हंस कर कहा, ‘‘अपनी पत्नी को लिए बगैर…जा पाएंगे आप…’’

‘‘भाभी, वह तो गुस्से में अकेले ही चल पड़ी थी, मम्मी के कहने पर मैं साथ आया हूं. सोचा तो यही था कि बाहर ही छोड़ चला जाऊंगा पर मन नहीं माना…’’ ‘‘मन इसलिए नहीं माना क्योंकि निधि दीदी से आप बहुत प्यार करते हैं.’’

‘‘यह बात निधि को समझनी चाहिए.’’ प्राची के साथ प्रभादेवी ने भी विहान को मनाने की कोशिश की, ‘‘दामादजी, अगर निधि की इस हरकत के लिए हम लोगों को जिम्मेदार नहीं मानते हैं तो  2 दिन रुक जाइए.’’

‘‘मम्मी, आप की बात मैं टालना नहीं चाहता हूं, लेकिन अभी मु झे मत रोकिए.’’ विहान ने घर जा कर अपनी मां से प्रभादेवी की बात कराई, वे भी आजकल की पीढ़ी के असंयम से आहत थीं. इतना जरूर साफ हुआ कि ससुराल में निधि का स्थान सुरक्षित है. लेकिन निधि कहीं न कहीं सामंजस्य बिठाने में नाकाम हो रही थी. निधि की सास ने यह भी माना कि उन्हें निधि को अपने परिवेश में ढालने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. निर्णय हुआ कि उसे कुछ दिन मायके में रहने दिया जाए, शायद एकदूसरे से दूर हो कर सभी अपनीअपनी चूक का आकलन कर पाएं.

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एक हफ्ता निकल गया लेकिन निधि ने वापस जाने की कोई बात नहीं की, न ही विहान का फोन आया. इधर, प्रभादेवी अपने घर में निधि के बढ़ते हस्तक्षेप से परेशान थीं. कारण था घर की बहू प्राची का घर में बढ़ता कद. इतवार के दिन प्रभादेवी को चाय बनाते देख निधि पूछ बैठी, ‘‘मम्मी, भाभी क्या अभी तक सो रही हैं?’’

‘‘हां, क्यों?’’

‘‘मम्मी, आप में इतना धैर्य कैसे है? मेरी सास होतीं तो 8 बजे के बाद से ही उन की चिकचिक शुरू हो जाती.’’

‘‘तुम क्या चाहती हो, मैं भी तुम्हारी सास की तरह संकीर्ण हो जाऊं? जिस वजह से तुम अपनी ससुराल में परेशान हुई हो, वह वजह मैं अपनी बहू के लिए पैदा करूं? वैसे भी आज इतवार है. एक ही दिन मिलता है जब वे दोनों अपनी नींद पूरी कर पाते हैं. वरना एक हफ्ते से तो तुम अपनी भाभी के हाथ की बनी सुबह की चाय पी ही रही हो. तुम कितने बजे उठती हो?’’ मां के सवाल पर वह सकपका गई थी. कुछ बोलते नहीं बना था. क्या कहती. वह तो रोज ही 8 बजे के बाद उठती है. निधि महसूस कर रही थी कि मां अकसर अपनी बहू का पक्ष ले कर उस की कार्यशैली से तुलना कर देती थीं. और प्राची थी भी तो घर की धुरी. उसे देख कर निधि को विश्वास नहीं होता था कि ये वही प्राची भाभी हैं जो घर के कामों में अनगढ़ थीं.

लेकिन, एकएक काम प्रभादेवी से पूछ कर करने की कला ने, आज उन्हें कामकाज में इतना माहिर कर दिया कि अब प्रभादेवी उन से सलाह ले लेती थीं. निधि को यह भी लग रहा था कि मां बहू के आगे बेटी को वह स्नेहदुलार नहीं दे रही हैं जो पहले देती थीं. एक दिन तो हद ही हो गई. कमरे में फैले सामान को देख कर उन्होंने प्राची की सुघड़ता का उदाहरण दे डाला. निधि को यह बात इतनी चुभी कि वह अब बातबात पर प्रभादेवी को सुना देती कि प्राची जब इस घर आई थी तो उसे कुछ भी नहीं आता था. आज भी वह उस डिनर की याद कर हंस रही थी जब प्राची ने कटी भिंडी धो डाली थी. निधि के उस किस्से को याद दिलाने पर कोई मुसकरा नहीं सका. लेकिन प्राची हंस दी थी, ‘‘दीदी, आप बिलकुल ठीक कह रही हैं. आज सोचती हूं, अगर मां की हिदायतें और सीख न होती तो मेरा क्या होता? होस्टल में रहने के कारण काम तो सीखा ही नहीं था.’’

‘‘इस सिखाईपढ़ाई का फायदा तब है जब किसी में सीखने की लगन हो. तुम मेरे प्रयास को टोकाटाकी मान कर चिढ़ती तो क्या होता?’’ प्रभादेवी ने अपनी बहू प्राची की बात का जवाब दिया तो निधि सम झ गई कि ये सारे वार्त्तालाप किसे सुनाए जा रहे हैं. निधि का प्राची पर किया वार अकसर उलट कर उसी को घायल कर जाता. प्राची और साकेत के अच्छे व्यवहार के बावजूद, निधि को मायके में एक घुटन सी होने लगी थी. खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए निधि ने खुद को अपने कमरे में सीमित कर दिया पर प्राची उसे अकेले नहीं रहने देती थी. आज भी वह उसे जबरदस्ती कैरम खेलने के लिए बुलाने आ गई थी.

‘‘दीदी, आप यहां अकेले कमरे में क्या कर रही हैं, बाहर आइए न,’’ कैरम की गोटियां पकड़े प्राची को देख कर निधि अपने मन में होने वाले आत्ममंथन को रोक नहीं पाई. वह सोचती कि कैसे प्राची सब के साथ समय बिता लेती है. वह तो अपनी ससुराल में अपने कमरे तक ही सीमित रहती है. जब रागिनी घर आती है तो औपचारिक बातचीत के बाद वह अकसर अपने कमरे में चली जाती है. उस का मानना है कि हर लड़की अपने मायके में अपनी मां से मिलने आती है. अगर प्राची भाभी भी ऐसा सोचतीं, तो क्या इस घर में 2 दिन भी रहना मुमकिन हो पाता? बैठक में रखी उस की सालों पुरानी जीती शील्ड उसे, ससुराल की अलमारी का वह कोना याद दिला देती, जिस में रागिनी के गायन प्रतियोगिता में मिले प्रशस्तिपत्र को हटा कर उस ने अपनी सहेली का दिया फोटोफ्रेम रख दिया था. उस वक्त सास की दर्ज आपत्ति से निधि ने आहत हो कह दिया कि यह घर बस कहने को अपना है. भावनात्मक जुड़ाव के नाम पर कबाड़ इकट्ठा करना बेवकूफी है. उस वक्त सास को दिए जवाब से उसे आत्मसंतुष्टि मिली थी. जाने क्यों आज आत्मग्लानि से आंखें भर आईं.

करवट बदलती निधि की आंखों में नींद नहीं थी तो उठ कर वह प्राची के कमरे की ओर गई. प्राची और साकेत निधि को देख कर अचकचा गए तो वह संकोच में घिर गई कि नाहक ही वह यहां चली आई.

‘‘मैं बाद में आऊंगी,’’ कह कर वह चली आई.

‘‘अरे, बाद में क्यों, अच्छे मौके पर आई हो. मैं और साकेत डिसाइड नहीं कर पा रहे थे कि महाबलेश्वर जाएं या खंडाला?’’

‘‘आप लोग घूमने जा रहे हैं?’’

‘‘हां, निधि, बहुत दिन हो गए, कहीं निकले नहीं, सोचा वीकेंड का फायदा उठा लें.’’ कमरे में वापस आई निधि का मन खराब हो चुका था. 2 दिन बाद ही तो उस का जन्मदिन आने वाला है लेकिन यहां किसी को याद तक नहीं है. सब अपनीअपनी दुनिया में मस्त हैं और विहान… इतने दिनों से उस ने फोन तक नहीं किया, कहीं कल भी फोन न आया तो? निधि की आंखें भर आई थीं. आधी रात तक करवटें बदलती बेचैन निधि कब सोई, पता ही नहीं चला. अलसुबह दरवाजे पर दस्तक होने पर बाहर आई तो वहां कोई नहीं दिखा. अलबत्ता चाय की ट्रे नीचे रखी दिखी. शायद प्राची भाभी जल्दी में थीं. सोचते हुए उस ने ट्रे उठाई. 2 कपों में रखी चाय पर उस का ध्यान गया. 2 कप चाय? वह सोच ही रही थी कि नजर सामने आ खड़े हुए मुसकराते विहान पर पड़ी. हाथों में लाल गुलाब के फूलों का गुलदस्ता और चेहरे पर सहज मुसकान थी.

‘‘हैप्पी बर्थडे, निधि,’’ विहान के बोलते ही, ‘जन्मदिन मुबारक हो’ के हंगामे के साथ प्राची और साकेत आ गए थे. प्राची बोल रही थी, ‘‘दीदी, विहानजी ने हमें सख्त ताकीद कर दी थी कि आप को पहली बर्थडे विश वही करेंगे.’’

निधि की आंखें आवेग से भर आई थीं जिसे देख कर प्रभादेवी सम झ गईं कि सख्त बर्फ के पिघलने का समय आ गया है. उन के इशारे पर सभी उन्हें अकेला छोड़ कर चले गए थे.

‘‘निधि क्या अब भी नाराज हो?’’ विहान ने निधि के हाथ को पकड़ते हुए कहा, तो वह रो पड़ी. इतने दिनों का गुबार आंसुओं के रूप में बहता गया.

प्राची ने निधि के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए सुबह से ही तैयारी शुरू कर दी थी. विहान के आ जाने से निधि खुद को पूर्ण सम झ पा रही थी. ननद रागिनी और उस की सास ने भी फोन पर बधाई के साथ घर लौट आने के लिए कहा. इन दिनों छाए एकाकीपन ने निधि के दंभ और अहं को खोखला कर दिया था. आज निधि बारीकी से प्राची भाभी की उस जादुई पकड़ को देख रही थी जिस ने पूरे घर को एकता के सूत्र में बांध रखा था. कल की अनगढ़ लड़की ने अपने धैर्य, संयम और अपनेपन से पूरे घर पर सहज अधिकार कर लिया था. जबकि उस ने खुद अपने दायरे विस्तृत करने के लिए कभी प्रयास ही नहीं किए. नतीजा… अपने ही घर वालों से मिला अजनबीपन उसे खालीपन से भरता गया. रात देर तक प्रभादेवी प्राची के साथ रसोई में लगी रहीं.

‘‘मम्मी, आप अब आराम कर लीजिए, मैं निबटा दूंगी बचा काम,’’ कहते हुए प्राची ने उन्हें भेज दिया.

रात को विहान पानी लेने आए तो हैरान रह गए, साकेत और प्राची बातें करते हुए रसोई के बरतन लगा रहे थे.

‘‘ओहो, साले साहब, बीवी की गुलामी की जा रही है,’’ विहान के मजाक पर दहला मारते हुए साकेत ने कहा, ‘‘जीजाजी, बीवी की गुलामी के बड़े फायदे हैं. बीवी का साथ और जीवन में रोमांस बना रहता है.’’

साकेत की मजाक में कही बात की सार्थकता प्राची भाभी के चेहरे की रौनक पर विहान को महसूस हुई. देर रात कौफी पीते हुए गपों के बीच ही प्राची ने निधि से कहा, ‘‘दीदी, आज कितनी रौनक है. इस रौनक की आप हकदार हैं, वादा कीजिए यह रौनक सदा बरकरार रहेगी.’’ निधि को मौन देख प्राची बोली, ‘‘इतना मत सोचिए, समस्या इतनी बड़ी नहीं है कि जिस का हल न हो. जीवन में हर छोटीबातों के ऐसे बड़े मतलब नहीं निकालने चाहिए जिन के बो झ तले हम खुद को दबा महसूस करें. हर घर के अलग नियमकानून होते हैं. बस, एक चीज समान होती है, घर के सदस्यों का एकदूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण. आप घर के हर पुरानेनए रिश्तों को मानसम्मान दीजिए, यकीन मानिए, वे सभी रिश्ते आप को यों गले लगाएंगे कि पराएपन को ठहरने के लिए जगह ही नहीं मिलेगी. जिस तरह मैं ने अपनी मम्मी की हर बात को सास के मुंह से निकला सूक्तिबाण महसूस न कर एक मां की हिदायत सम झ कर उसे अपने जीवन में उतारा. वैसे ही आप भी विहानजी की मम्मी की हर टोके जाने वाली बात का बुरा मानना छोड़ दीजिए. इन बड़े लोगों के पास उम्र और तजरबों का खजाना होता है. उस का फायदा हम नहीं लेंगे तो और कौन लेगा.’’

प्राची की बात से पसरा मौन विहान ने तोड़ा, ‘‘निधि एक मौका मु झे दो तुम्हें सम झने का. शायद मैं ने भी तुम से सिर्फ अपेक्षाएं ही की हैं. तुम्हारी अपेक्षाओं पर खरा उतरने में नाकामी हासिल की है. इन छोटीछोटी बातों को तूल दे कर हम खुशियों से किनारा कर लेते हैं. नए माहौल में सामंजस्य बिठाने में शायद मैं तुम्हें वह साथ नहीं दे पाया जिस की तुम्हें जरूरत थी. गलती मेरी भी थी.’’ विहान की बातों से भावुक निधि भीगे शब्दों में बोल रही थी, ‘‘अब बातें ही बनाओगे या पैकिंग में मेरी मदद भी करोगे.’’  निधि की बात से सब उल्लासित हो गए. तभी प्राची ने एक लिफाफा निधि के हाथ में दिया, ‘‘ये मेरी और साकेत की तरफ से गिफ्ट है.’’

‘‘नहीं प्राची भाभी, इस की जरूरत नहीं है. आप ने बहुत किया है मेरे लिए…’’ निधि की बात को काट कर विहान जल्दी से बोले, ‘‘निधि प्लीज, इस गिफ्ट के लिए इनकार मत करना,’’ प्राची भाभी हंस रही थीं और साकेत बोल रहे थे, ‘‘भई, तुम ने तो बताया नहीं तो हम ने विहान से पूछ लिया, उस ने ही तय किया कि निधि को महाबलेश्वर अच्छा लगेगा.’’ ‘‘ओह, तो ये सब आप लोग हमारे लिए प्लान कर रहे थे,’’ निधि चहक रही थी. वहीं प्राची और साकेत की आंखों में सुकून भरी मुसकान फैल गई थी. वे उन दोनों के बीच की इस नई शुरुआत की जानकारी जल्दी से जल्दी प्रभादेवी को देना चाहते थे. जिन की आंखों की उड़ी हुई नींद इस खुशखबरी का इंतजार कर रही थीं. प्राची और साकेत, निधि और विहान के बीच एक नए सुकुमार रिश्ते को जन्म लेते साफ देख पा रहे थे. 

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