सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तेनालीराम | हिंदी कहानी फॉर किड्स Tenaliram told the Hindi story for kids

ले आओ बरतन तेनालीराम ने कहा हिंदी कहानी फॉर किड्स
ले आओ बरतन तेनालीराम ने कहा हिंदी कहानी फॉर किड्स



एक बार राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम से मजाक किया। उन्होंने तेनालीराम से कहा कि वह सारे दरबार को एक शानदार भोज दे। लेकिन तेनालीराम समझ गया कि महाराज उसे बेवकूफ बनाना चाहते हैं। तब भी उसने अपने चेहरे पर घबराहट नहीं आने दी। उसने कहा, ‘‘महाराज, आप कल सवेरे सारे दरबारियों सहित भोजन के लिए आमंत्रित हैं।’’
निमंत्रण देने के एक घंटे बाद वह महाराज के पास फिर पहुंचा और बोला, ‘‘महाराज, मेरे घर इतने बरतन नहीं हैं कि मैं कई सौ लोगों को खाना खिला सकूं। यदि सारे अतिथि अपने साथ बरतन ले आएं, तो मुझे बड़ी सुविधा होगी।’’ राजा ने उसकी बात मान ली।


दूसरे दिन दरबारियों सहित राजा कृष्णदेव तेनालीराम के घर पहुंचे। सभी अपने-अपने घरों से सोने-चांदी के कीमती बरतन लेकर आए।
जब सब भोजन करने लगे, तो तेनालीराम अपनी पत्नी कमला के साथ सबको पंखा झलने लगा।






सबने तेनालीराम के भोजन की बड़ी तारीफ की। उत्तर में तेनालीराम ने कहा, ‘‘महाराज, अन्न आपका, पुण्य आपका। अपनी तो बस हवा-हवा है।’’ यह कहकर तेनालीराम पंखा झलने लगा।
भोजन करके  सब उठने लगे, तो तेनालीराम ने हाथ जोड़कर कहा, ‘‘आप जूठे बरतन यहीं पड़े रहने दें। मैं उन्हें धुलवाकर आपके घरों में पहुंचा दूंगा।’’ अंधा क्या चाहे, दो आंखें। लोग तो यह चाहते ही थे। वे सब खुशी-खुशी अपने-अपने बरतन छोड़कर चले गए। लोगों ने एक दो-दिन अपने बरतनों की राह देखी। पर जब पूरा सप्ताह बीत गया, तो उनका माथा ठनका।
राजा ने तेनालीराम को दरबार में बुलाकर उससे बरतनों के बारे में पूछा।



तेनालीराम ने बड़ी गंभीरता से कहा, ‘‘महाराज, आप लोगों के बरतन नगर सेठ के घर पहुंच गए हैं। मैंने भोज के लिए उसी की दुकान से सामान खरीदा था। आप चाहें तो उसका पैसा चुकाकर अपने-अपने बरतन मंगवा लें।’’


सुनते ही सारे दरबारियों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।
राजा ने बड़ी हैरानी से पूछा, ‘‘क्यों?’’
तेनालीराम ने हंसते हुए कहा, ‘‘महाराज, मैंने तो पहले ही कह दिया था कि अन्न आपका, पुण्य आपका, अपनी तो बस हवा-हवा है।’’
इस वाक्य का असल अर्थ राजा ने समझा, तो उन्होंने सिर पीट लिया। उसके बाद राजा ने तेनालीराम को बेवकूफ बनाने की बात कभी नहीं सोची।





ले आओ बरतन तेनालीराम ने कहा हिंदी कहानी फॉर किड्स  Bring the kitchenware Tenaliram told the Hindi story for kids

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही