सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Club Croling | Hindi Kahani,- hindi shayari H क्लब क्रोलिंग

Club Croling | Hindi Kahani,  क्लब क्रोलिंग
Club Croling | Hindi Kahani,  क्लब क्रोलिंग


क्लब क्रोलिंग
क्लब क्रोलिंग और ३ दोस्तों के बीच कुछ अंजाना सा सच.






शुक्रवार की शाम थी. बर्मिंघम के अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समारोह के खत्म होने में 10 मिनट बाकी थे. लेकिन ऐश चिंतित था. वह समय पर सिंफनी हाल के बीयर बार में पहुंच भी पाएगा या नहीं, जहां उस के मित्र उस का इंतजार कर रहे होंगे. नृत्य शो के बाद उसे कम से कम 15 मिनट तो चाहिए ही, कपड़े बदलने तथा मेकअप साफ करने के लिए. उस ने सोच लिया था कितनी भी देर क्यों न लगे, इस बार तो वह मेकअप अच्छी तरह साफ कर के ही जाएगा. पिछली बार की तरह नहीं. यह सोच वह खुद ही मुसकरा उठा.

ऐश एक सरल, सुशील और मेहनती नौजवान है. उस के मातापिता का दिया नाम तो आशीष है किंतु अंगरेजों की सहूलियत के लिए उस ने अपना नाम ऐश रख लिया है. वह एक सफल नृत्यकार है. सदा ही अपने अच्छे व्यवहार से सभी को प्रभावित कर लेता है. उस की उम्र 26-27 वर्ष के करीब होगी. उस के चेहरे का भोलापन साफ झलकता है. अकसर सुना है कि कलाकार भावुक तथा संवेदनशील होते हैं. वह भी कुछ ऐसा ही है. तभी तो उस ने प्रेमबद्ध हो कर एक मुसलिम लड़की से विवाह कर लिया.



कपड़े बदल कर ऐश ड्रैसिंगरूम से बाहर निकलने ही वाला था कि उस के मोबाइल की घंटी बजी. ‘‘हाय ऐश, भूलना मत. ठीक 10 बजे बीयर बार में पहुंच जाना. तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है.’’

‘‘सरप्राइज, कैसा सरप्राइज, कर्ण?’’

‘‘बता दिया तो सरप्राइज थोड़े ही रहेगा. वहीं मिलते हैं,’’ इतना कह कर उस ने फोन बंद कर दिया.

सरप्राइज का नाम सुन कर ऐश की टांगें कांपने लगीं. मन ही मन सोचने लगा, इस बार पिछले 6 महीने जैसा सरप्राइज न हो. उस की आंखों के सामने वही पुराना दृश्य घूमने लगा. जब इन्हीं तीनों दोस्तों कर्ण, थौमस और जस्सी ने उसे क्लबिंग के चक्कर में अविस्मरणीय अचंभे में डाल दिया था. अभी तक भूल नहीं पाया. बीता वक्त चलचित्र की भांति आंखों के आगे घूम गया…



उस दिन हम पब में ही खाना खाने वाले थे. कर्ण ने प्रस्ताव रखा, ‘चलो आज क्लबिंग करते हैं.’ (क्लबिंग का मतलब यूके में जवान लड़केलड़कियां एक क्लब में 1 घंटा बिता कर फिर दूसरे क्लब में जाते हैं, फिर तीसरे में. रात के 3-4 बजे तक यही सिलसिला चलता रहता है. इसे क्लब क्रोलिंग भी कहते हैं.)

‘क्लबिंग? यार फिर तो बहुत देर हो जाएगी?’ ऐश ने चिंतित स्वर से कहा.

‘भूल गया क्या? आज हमारी पत्नियों की भी गर्ल्ज नाइटआउट का दिन है. वे चारों खाने के बाद थिएटर में ‘फैंटम औफ द औपेरा’ शो देखने जा रही हैं,’ थौमस ने बताया.

‘क्यों न हमें भी कभी पब, क्लब की जगह थिएटर, सिनेमा या प्ले के शो देखने जाना चाहिए,’ ऐश ने सुझाव देते हुए कहा.



‘तू भी न सिस्सी (लड़कियों) सी बातें करता है,’ जस्सी ने ऐश को छेड़ा. कर्ण उन्हें क्लब फौग में ले गया. फौग एक अपमार्केट क्लब है. तीनों जानते थे, जब कर्ण साथ है तो चिंता की कोई बात नहीं. कर्ण अमीर मातापिता का बिगड़ा नवाब है. 6 फुट का लंबा हट्टाकट्टा नौजवान, उस के शरीर पर कायदे से पहनी वेशभूषा, उस पर डिजाइनर अरमानी की जैकेट, दर्पण जैसे चमकते जूते, टौप मौडल की बीएमडब्लू, उस के रंगढंग, बोलचाल से उस के मातापिता की अमीरी की झलक साफ दिखाई देती है. यों कहिए, कर्ण पूर्वपश्चिम सभ्यता का इन्फ्यूजन है. ऐश एक परंपरावादी हिंदू गुजराती परिवार से है. कई वर्ष पहले उस के मातापिता अफ्रीका से आ कर यूके में बस गए हैं. वह लड़कियों जैसा नाजुक और शांत स्वभाव का है. कथक नृत्यकार होने के साथसाथ वह पिता के कारोबार में हाथ भी बंटाता है.

जसविंदर…अंगरेजों की सहूलियत के लिए उसे जस्सी नाम से पुकारा जाता है. वह एक वर्किंग क्लास से है. उस के मातापिता पढ़ेलिखे तो नहीं हैं पर बहुत मेहनती हैं. थौमस एक मध्यवर्गीय रूढि़वादी अंगरेज परिवार से है. उसे अपनी संस्कृति और मान्यताओं पर गर्व है. पिता चर्च के मान्य हैं. उपरोक्त चारों की दोस्ती नर्सरी स्कूल से चली आ रही है. नौकरी के अतिरिक्त वे एकदूसरे के बिना कोई काम नहीं करते. उन का बस चलता तो वे शादी भी एक ही लड़की से करते. पब में थौमस, ऐश तथा जस्सी ने तो आधाआधा लिटर बीयर ली. कर्ण, जो स्वयं को सब से अलग समझता था, ने एक गिलास रैडवाइन ली. ऐश और कर्ण तो बैठ कर गपें मारते रहे. थौमस तथा जस्सी क्लब के धुएं के अंधेरे में डांस में लीन हो गए.

डांस करतेकरते जस्सी एक अफ्रीकन महिला के संग चुटकियां लेने लगा. वह आयु में जस्सी से करीब 20 साल बड़ी थी. वजन उस का 100 किलो से कम नहीं होगा. जस्सी को उस के साथ मसखरियां करते 1 घंटा हो गया. सब बोर होने लगे तो ऐश बोला, ‘चलो, अब कहीं और चलते हैं.’ जस्सी छैलछबीले बाबू ने सुनाअनसुना कर दिया. इतने में वह अफ्रीकन महिला जस्सी की कमर में हाथ डाले उसे बाहर ले गई. शायद कुछ कहने की कोशिश कर रही थी. डांस फ्लोर पर बहुत शोर हो रहा था. जैसे ही जस्सी उस महिला के संग बाहर निकला, महिला जस्सी के गले में बांहें डालते हुए बोली, ‘बैब, वुड यू लाइक टु कम माई प्लेस टुनाइट, लव.’

इतना सुनते ही जस्सी के होशोहवास गुम हो गए. वह हवा की गति से भागा. अंदर पहुंचते ही बोला, ‘चलो, जल्दी यहां से चलो.’

‘बात क्या है?’

‘नहीं, कुछ नहीं, बाहर चल कर बताता हूं. चलो प्लीज,’ जस्सी ने घबराते हुए कहा.

‘कहां चलना है?’ थौमस ने पूछा.

‘कहीं भी, यहां से निकलो.’

जस्सी एक लापरवाह सा हिप्पी टाइप का था. घिसीपिटी जींस, कानों में बालियां, नाक में नथनी, लंबेलंबे बाल, यह उस की पहचान थी. बिलकुल नारियल की भांति, बाहर से ब्राउन अंदर से सफेद. वह एक सफल चित्रकार होने के साथसाथ एक संगीतकार भी था किंतु था बिलकुल डरपोक कबूतर. सब हैरान थे, ऐसा क्या हो गया है? चारों दोस्त एक और पब की ओर चल पड़े ‘औल नाइट लौंग क्लब.’ वहां सब एकएक बीयर ले कर बैठ गए. थौमस और कर्ण डांस करने में लीन हो गए. जस्सी की अभी तक हवाइयां उड़ी थीं. थौमस मिस्टर कन्फ्यूज अपने में ही मस्त. सदा औरतों का अभिनय करकर सब को हंसाता रहता. शायद इसीलिए अपनी टोली में बहुत लोकप्रिय था.

डांस करतेकरते कर्ण थक चुका था, बोला, ‘यहां बहुत शोर है. चलो, कहीं और चलते हैं.’ इतने में थौमस, मिस्टर कन्फ्यूज बोले, ‘आज कुछ नई जगह आजमाते हैं.’

‘कौन सी ऐसी जगह है जो हम ने नहीं देखी,’ जस्सी ने पूछा?

‘गे क्लब.’

गे क्लब का नाम सुनते ही सब के कान खड़े हो गए.

‘तजरबे के लिए,’ थौमस ने सकपकाते हुए कहा.

‘तजरबा ही सही. देयर इज औलवेज अ फर्स्ट टाइम, हर्ज ही क्या है?’

इतना सुनते ही तीनों के हंसी के फौआरे छूट पड़े.

‘हंस क्यों रहे हो? मजाक नहीं कर रहा.’

थोड़ी हिचकिचाहट के बाद तीनों बड़ी उत्सुकता से गे क्लब की ओर चल पड़े. ऐश थका हुआ था क्योंकि अभीअभी वह नाट्य प्रदर्शन कर के आया था. गे क्लब पहुंचते ही वे हक्केबक्के रह गए. पुरुष महिलाओं के भेष में और महिलाएं पुरुषों के भेष में. पूरे मेकअप और विग के साथ, उन के हावभाव और व्यवहार से स्त्रीपुरुष के भेद का अनुमान लगाना कठिन था. अंगरेज, अफ्रीकन, चीनी, भारतीय सभी स्त्रीपुरुष गे थे. कर्ण, ऐश और जस्सी का यह पहला अनुभव था.

‘देख कर्ण, थौमस कैसे सब से घुलमिल कर बातें कर रहा है,’ ऐश ने कहा, ‘मुझे तो लगता है कि वह यहां पहले भी आ चुका है.’

‘ऐश, मेरा तो यहां दम घुट रहा है. लगता है हम किसी दूसरे लोक में आ पहुंचे हैं,’ कर्ण ने घबराते हुए कहा.

‘देखदेख कर्ण, वह लगातार मुझे निहार रही है. मुझे डर लग रहा है,’ ऐश ने घबरा कर कहा.

‘निहार रही नहीं, निहार रहा है. उस की दाढ़ी देख, उस के हाथ देखे हैं, एक थप्पड़ मारा तो मुंह दूसरी तरफ मुड़ जाएगा. उस की मोटीमोटी टांगें देख, जिस ने गुलाबी टाइट्स डाली हैं. वह देख, नीली स्कर्ट वाली. पिछले आधे घंटे से उस की नजरें तुझ पर टिकी हैं. देखदेख, कितने प्यार से तुझ पर फ्लाइंग किसेज फेंक रही है,’ जस्सी ने मुलायम सी मुसकान फेंकते हुए कहा.

‘यार, कहां फंसा दिया थौमस ने. कोई आदमी आंख मारता है, कोई चुंबन फेंकता है, कोई इशारों से बुलाता है. सभी की नजरें हम पर टिकी हैं. जैसे हम अजायबघर से भाग कर आए हों. ऐश, तैयार हो जा, वह तेरी तरफ आ रहा है. लगता है तुझ

पर उस का दिल…’

‘मैं ने ऐसा क्या कर दिया?’

‘यह तेरे मेकअप का कमाल है,’ जस्सी ने कहा.

‘हाय, आय एम रौबर्ट,’ उस ने मटकतेमटकते हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘वुड यू लाइक अ डिं्रक?’ उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना ही रौबर्ट दोस्तों के लिए बीयर ले आया. 1 नहीं, 2 नहीं, 3 बार. हर बार वह ऐश के करीब आने की कोशिश करता रहा. आखिर में उस ने ऐश की ओर अपना हाथ डांस के लिए बढ़ा ही दिया. ऐश कांप रहा था. रौबर्ट उन पर पैसा लुटाए जा रहा था. यहां तक कि उस ने बीयर बार के काउंटर पर कह दिया था कि इन्हें जो भी चाहिए, दे देना. पैसे मेरे खाते में डाल देना. रात का 1 बज चुका था.

‘मेरा दम घुट रहा है, चलो घर चलते हैं,’ ऐश ने कहा.

‘नाइट इज स्टिल यंग, वाय डोंट यू कम टू माई प्लेस, फौर ए डिं्रक,’ रौबर्ट ने खुशी से उन्हें आमंत्रित करते हुए कहा.

अब तक वे चारों रौबर्ट की इतनी शराब पी चुके थे कि मना करने की गुंजाइश ही नहीं रही. ऐश मन ही मन दुखी हो रहा था. थौमस ने किसी से बिना पूछे ही हां कर दी. क्लब से निकलतेनिकलते उन्हें करीब 2 बज गए. जैसे ही ‘गे क्लब’ से बाहर निकले तो रौबर्ट की काले रंग की लेटेस्ट रजिस्ट्रेशन की लिमोजीन शोफर के साथ खड़ी थी. यह देख कर चारों के मुंह खुले के खुले रह गए.

जस्सी के मुंह से निकला, ‘वाओ.’

चारों चुपचाप गाड़ी में बैठ गए. लिमोजीन हवा में ऐसे भाग रही थी मानो सारथी रथ को खींचे ले जा रहा हो. जैसे ही लिमोजीन रौबर्ट के पेंटहाउस के सामने रुकी, सब की आंखें चौंधिया गईं. रौबर्ट ने पेंटहाउस बड़े सलीके और शौक से सजाया था. एकएक कमरा अपनी सजावट की व्याख्या कर रहा था. छत पर हराभरा बगीचा, तारों की छांव में हलकेहलके रंगबिरंगे फूलों की महक वातावरण को महका रही थी. धीमीधीमी चांदनी पत्तों की ओट से झांक रही थी. सबकुछ होते हुए भी एक अजीब सी शून्यता थी वहां. एक खोखलापन, खालीपन. उन्होंने इतना भव्य पेंटहाउस जीवन में पहली बार देखा था. रौबर्ट की नजरें निरंतर ऐश पर टिकी हुई थीं. वह बारबार किसी न किसी बहाने ऐश के निकट आ ही जाता, अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करने की ताक में. ऐश की स्थिति एक हवाई जहाज में बैठे यात्री की तरह थी, जिस के हवाई जहाज में कोई तकनीकी खराबी हो गई हो. उस की सांस अंदर की अंदर, बाहर की बाहर. रौबर्ट विनतीपूर्वक बोला, ‘ऐश, क्यों न हम दोनों यहां मिल कर रहें. मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा.

ऐश कभी कोई बहाना बना कर बाथरूम में जाता, कभी कर्ण और कभी जस्सी से बातें करने लगता. ऐश पिंजरे में बंद पंछी की भांति वहां से उड़ जाना चाहता था. रौबर्ट गिड़गिड़ाए जा रहा था. ‘प्लीज ऐश, केवल एक रात.’

ऐश पर उस की याचना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. ऐश को रौबर्ट का प्रस्ताव बड़ा अटपटा सा लगा. कर्ण तथा जस्सी ने रौबर्ट को समझाने का बहुत प्रयत्न किया. थौमस ने भी ऐश को समझाया, ‘चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा.’

‘क्या खाक ठीक हो जाएगा?’

‘रौबर्ट अच्छा आदमी है. आज थोड़ी ज्यादा पी ली है,’ थौमस ने रौबर्ट की पैरवी करते हुए कहा.

‘तुझे हमदर्दी है तो बिता ले रात इस नामर्द के साथ,’ कर्ण क्रोध में बोला.

‘लेकिन उसे तो ऐश चाहिए,’ थौमस ने कहा.

‘सब तेरा ही कुसूर है, तू ने ही डाला है इस मुसीबत में. अब तू ही निकाल इस का हल. बाय द वे, तू क्यों नहीं सो जाता?’

‘ठीक है, तुम कहते हो तो मैं ही…नो प्रौब्लम.’

इतना सुनते ही तीनों के होश उड़ गए. उन्हें यकीन ही नहीं हुआ. तीनों सोच में थे कि क्या वे सचमुच थौमस को जानते हैं?

‘मान गए थौमस, बड़ी चतुराई से छिपाया है यह राज तुम ने,’ कर्ण ने कहा.

‘तुम ने क्या सोचा था अगर बता देते तो क्या हम तुम्हारे दोस्त न रहते? यार, हम लोगों ने स्कूल से अब तक का सारा सफर साथसाथ तय किया है. अब यह लुकाछिपी शोभा नहीं देती. मेरे दोस्त, मेरा दिल तेरे लिए रोता है. मैं तो नृत्य के शो में कुछ घंटों में मुखौटा चढ़ा कर दुखी हो जाता हूं और तू इतने वर्षों से… कब तक जिएगा दोहरा जीवन? उगल डाल जो मन में है,’ ऐश ने उसे समझाते हुए कहा.सब की आंखें भर आईं.

हमदर्दी के दो बोल सुनते ही थौमस रोतेरोते कपड़े की तह की भांति खुलता गया, बोला, ‘बचपन से ही अलग सी भावनाओं से जूझता रहा. गुडि़यों से खेलना, चोरीछिपे बहन के कपड़ों और उस के मेकअप को देखना, छूना व सूंघना आदि. पहले तो दूसरे लिंग के प्रति जिज्ञासा होना स्वाभाविक सा लगा, जैसेजैसे उम्र बढ़ती गई, मैं लड़कों की ओर आकर्षित होने लगा. यूनिवर्सिटी में भी चला गया, पर अभी तक किसी गर्लफ्रैंड को घर नहीं लाया. घर वालों को चिंता होने लगी. लड़कियां मेरी ओर आकर्षित होतीं जबकि मैं लड़कों की ओर. मैं करता भी क्या? बेबस था. ‘मातापिता को लगा, शायद उन की परवरिश में कोई कमी रह गई है. आप लोग सोचते होंगे, अंगरेज हूं, घरवालों ने सरलता से स्वीकार कर लिया होगा. नहीं, ऐसा नहीं है. अंगरेजों की भी मान्यताएं हैं, सीमाएं हैं, संस्कार हैं. इन्हीं संस्कारों के कारण कभी किसी का पूछने का साहस नहीं हुआ. मेरी इस स्थिति को अनदेखीअनसुनी करते रहे. मैं अपनी व्यथा समेटे ककून में घुसता गया. नौकरी मिलते ही अपना फ्लैट लेने की ठान ली.

‘मातापिता अप्रत्यक्ष रूप से गर्लफ्रैंड को घर लाने का संकेत देते रहे. परदाफाश तब हुआ जब मैं अपनी बहन के बौयफ्रैंड की ओर आकर्षित होने लगा. मेरी पीड़ा असहनीय हो चुकी थी. दर्द बढ़ता जा रहा था. मैं ने भी सोच लिया, अब जो भी पहली लड़की मेरी ओर आकर्षित होगी, मैं उसी के सामने शादी का प्रस्ताव रख दूंगा. ऐसा ही हुआ, 6 महीने पहले ऐमली उस का शिकार हुई. यों कहूं कि बलि चढ़ी. जिसे मैं ने वैवाहिक सुख से वंचित रखा. इंसान ही हूं न, गलती हो गई. और नहीं जी सकता दोहरा जीवन. दोषभावना की गुठली गले में अटकी रहती है.’

‘ऐमली जानती है क्या?’ कर्ण ने पूछा.

‘शक तो है उसे, सामना करने से डरती है.’

‘अच्छा किया तुम ने, मन का बोझ हलका कर लिया,’ तीनों ने एक स्वर में कहा.

जस्सी ने मन ही मन प्रण किया कि आगे से कभी लड़कियों जैसी हरकत नहीं करेगा. अब रौबर्ट के साथ रात बिताने की समस्या तो हल हो गई. अब जुगाड़ यह लगाना था कि कैसे ऐश का बुखार रौबर्ट के सिर से उतारा जाए.चारों ने बैठ कर रौबर्ट को पूरी तरह से धुत करने की ठान ली. जब नशे में धुत रौबर्ट को विश्वास हो गया कि आज ऐश उसी के साथ रहने वाला है, ऐश ने रौबर्ट से कपड़े बदलने को कहा. जैसे ही रौबर्ट बाथरूम में कपड़े बदलने गया तो बिस्तर पर थौमस ने ऐश का स्थान ले लिया.अब तीनों को घर पहुंचते ऐमली का सामना करना था. घर पहुंचते ही ऐमली ने पूछा, ‘थौमस कहां है?’

‘वह रौबर्ट के साथ है. सुबह आएगा,’ तीनों ने दबे स्वर में कहा.

ऐमली मन ही मन बड़बड़ाई, ‘आई न्यू इट, आई न्यू इट.’

सुबह होने को आई थी, तीनों अपनेअपने घर चले गए. ऐमली की रात भारी गुजरी. सुबह थौमस के घर पहुंचने से पहले ऐमली काम पर जा चुकी थी. घर की दिनचर्या सामान्य रूप से चलती रही. ऐमली के व्यवहार में कोई परिवर्तन न पा कर थौमस थोड़ा चिंतित हुआ. एक सप्ताह बाद नाश्ते की मेज पर थौमस के लिए एक पत्र पड़ा था.

‘स्नेही थौमस,

मैं तुम्हारा दर्द समझती हूं. आज मैं तुम्हें अनचाहे बंधन में बंधे शादीरूपी पिंजरे से आजाद करती हूं. मैं चाहती हूं कि आप अपने जीवन की वास्तविकता से आगे बढ़ें तथा खुश रहें.

शुभकामनाओं सहित
तुम्हारी दोस्त-ऐमली.’

थौमस ने भारमुक्त हो, राहत की सांस ली और अपना सामान बांधना शुरू कर दिया. आज थौमस खुश है. काफी वक्त बाद चारों दोस्तों ने आज फिर मिलने का प्रोग्राम बनाया है. आज क्या सरप्राइज देना चाहते हैं. बस पिछली बार की तरह चौंका देने का सरप्राइज न मिले. अच्छा सोचते हुए ऐश के कदम सिंफनी हाल की ओर उठ गए.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे