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Facebook Musafir shayari collection and Insaniyat shayari hindi mai



 Insaniyat shayari hindi mai
 Insaniyat shayari hindi mai

ऐसे शेर जो आज के समय में मौज़ू हैं ...


दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो 
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो 
- जाफ़र मलीहाबादी

सीख ले फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है
-असर लखनवी 

आसमानों से बरसता है अंधेरा कैसा 
अपनी पलकों पे लिए जश्ने-चिरागां चलिए 
-अली सरदार जाफरी 

ख़ारिज इंसानियत से उस को समझो
इंसाँ का अगर नहीं है हमदर्द इंसान
- तिलोकचंद महरूम

धूप में प्यासे को पानी, शब को रस्ते में चिराग 
जाने वाले लोग कितने साहिबे-किरदार थे 
-शेख परवेज आरिफ 

ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है 
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है 
- चरण सिंह बशर

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए 
जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए 
- ज़फर ज़ैदी

अहल-ए-हुनर के दिल में धड़कते हैं सब के दिल 
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है 
-फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली


मिरे सेहन पर खुला आसमान रहे कि मैं 
उसे धूप छाँव में बाँटना नहीं चाहता 
- ख़ावर एजाज़

हमारे ग़म तुम्हारे ग़म बराबर हैं 
सो इस निस्बत से तुम और हम बराबर हैं 
- अज्ञात



‘मुसाफ़िर’ पर शायरों के अल्फ़ाज़

‘मुसाफ़िर’


‘मुसाफ़िर’ पर शायरों के अल्फ़ाज़



मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
- बशीर बद्र


मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं
मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है
- अहमद नदीम क़ासमी

हर मुसाफ़िर के साथ आता है
इक नया रास्ता हमेशा से
- ताजदार आदिल


हुस्न उस का उसी मक़ाम पे है
ये मुसाफ़िर सफ़र नहीं करता
- ज़फ़र इक़बाल

नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर घर का रस्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा अपना पराया भूल गया
- मीराजी


ये आंसू ढूंढ़ता है तेरा दामन
मुसाफ़िर अपनी मंज़िल जानता है
- असद भोपाली

आख़िरी बस का एक मुसाफ़िर
शब-भर बैठा रह जाता है
- जानां मलिक


घर बसा कर भी मुसाफ़िर के मुसाफ़िर ठहरे
लोग दरवाज़ों से निकले कि मुहाजिर ठहरे
- क़ैसर-उल जाफ़री

दो क़दम चल आते उस के साथ साथ
जिस मुसाफ़िर को अकेला देखते 
- जमाल एहसानी



मुसाफ़िर जा चुका लम्बे सफ़र पर
अभी तक धूप आंखें मल रही है
- मिर्ज़ा अतहर ज़िया

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