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पुरानी किताब | Hindi Kahani Purani Kitab - Book


पुरानी किताब | Hindi Kahani Purani Kitab - Book
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पुरानी किताब | Hindi Kahani Purani Kitab - Book

पुरानी किताब | उस  दिन को कभी भूल नहीं सकती। उसे रोज डायरी लिखने की आदत थी। छोटी से छोटी घटना, बड़ी से बड़ी बात। उसने लिखा-‘17 मई 2157, यह तारीख विशेष है। आज टॉमी को एक पुस्तक मिली है। कागज पर छपी सचमुच की किताब।’

टॉमी ने वह पुरानी किताब मर्जोरि को दिखाई थी। किताब का कागज पुराना होकर पीला पड़ गया था। उसके पन्ने जगह-जगह से फट गए थे।

मर्जोरि उस किताब को उलट-पलटकर देखती रही। कितनी विचित्र थी कागज पर छपी वह किताब। उसे तो एक मशीनी टीचर घर पर पढ़ाया करता था और मर्जोरि उसे एकदम पसंद नहीं करती थी। यह बात उसने मां से कई बार कह भी दी थी, पर मां हर बार उसे समझाकर चुप करा दिया करती थीं।

मर्जोरि पुरानी किताब को पढ़ना चाहती थी। उसके बारे में टॉमी से न जाने कितने प्रश्न पूछना चाहती थी। उसे अपने दादाजी की बात याद आ रही थी। उन्होंने मर्जोरि को बताया था कि पुराने समय में कहानियां किताबों में छपती थीं और बच्चे स्कूलों में किताबों से ज्ञान प्राप्त करते थे। वह दादाजी से स्कूल के बारे में भी जानना चाहती थी। उन्होंने पुराने जमाने के स्कूल के बारे में कुछ बातें बताई थीं। सुनकर मर्जोरि हैरान रह गई थी।

मर्जोरि टॉमी के साथ बैठी-बैठी किताब के पन्ने पलटती रही। वह सोच रही थी, ‘कंप्यूटर स्क्रीन पर तो शब्द उभरते हैं, आते-जाते रहते हैं, लेकिन कागज पर छपे अक्षर एकदम स्थिर थे। वे कंप्यूटर स्क्रीन पर उभरने वाले शब्दों की तरह हिल-डुल नहीं रहे थे और जब टॉमी ने पृष्ठ पलटा, तो शब्दों के पीछे भी शब्द छपे दिखाई दिए।  कितनी अजीब बात थी।’

उसे किताब को पलटते देख टॉमी हंस पड़ा। बोला, ‘‘जिस जमाने की यह किताब है, वह हमारे आज के युग में कितना पिछड़ा हुआ था। हमारे कंप्यूटर में इस तरह की लाखों किताबें सुरक्षित हैं। चाहे उन्हें कितनी बार पढ़ लो, उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा, जबकि कागज पर छपी यह किताब जल्दी ही नष्ट हो जाएगी।’’

‘‘हां, यह तो है! पर मेरा मन इसे पूरी तरह पढ़ने का है। खैर, यह तो बताओ कि तुम्हें यह किताब मिली कहां?’’ मर्जोरि ने टॉमी से पूछा।

‘‘यहां घर की दुछत्ती पर मिली। वहां अनेक पुरानी चीजें पड़ी हैं। जैसे उन पुरानी चीजों का आज कोई उपयोग नहीं है, वैसे ही यह कागज पर छपी किताब भी बेकार है हमारे लिए। इसमें पुराने जमाने के स्कूलों के बारे में बताया गया है। वहां बहुत सारे बच्चे पढ़ा करते थे।’’

मर्जोरि ने स्कूल का नाम सुनते ही मुंह बनाया। कहा, ‘‘भला, स्कूल के बारे में क्या लिखा जा सकता है? मुझे तो नफरत है इस शब्द से।’’ असल में मर्जोरि को अपने टीचर से चिढ़ थी। वह एक मशीनी मानव था और उसके शयन कक्ष के पास वाले कमरे में रखा रहता था। मशीनी टीचर वाला कमरा ही मर्जोरि का स्कूल था।

मर्जोरि की मां मिसेज जोंस उसे निश्चित समय पर उस कमरे में जाने को कहती थीं। उनका मानना था कि बच्चों को अनुशासित ढंग से ही पढ़ना-लिखना चाहिए। मर्जोरि बेमन से पढ़ने बैठती थी, क्योंकि मशीनी टीचर उससे भूगोल के बहुत कठिन प्रश्न पूछता था। मशीनी टीचर उसे कम नंबर देता था।

मर्जोरि ने मां को समस्या बताई। वह मशीनी टीचर को काउंटी इंस्पेक्टर के पास ले गईं। इंस्पेक्टर लाल चेहरे वाला गोल-मटोल आदमी था। उसकी पेटी में तरह-तरह के उपकरण थे। इंस्पेक्टर ने मशीनी टीचर को पूरी तरह खोल डाला और फिर प्यार से उसके एक-एक पुरजे की जांच करता रहा। जब इंस्पेक्टर मशीनी टीचर की मरम्मत कर रहा था, तो मर्जोरि उसे ध्यान से देख रही थी। वह मन ही मन कह रही थी, ‘भगवान करे, यह ठीक ही न हो और मुझे इससे छुटकारा मिल जाए।’

लेकिन काउंटी इंस्पेक्टर एक चतुर इंजीनियर था। उसने समय लगाकर मशीनी टीचर को दुरुस्त कर दिया। फिर मर्जोरि की मां से कहा, ‘‘मिसेज जोंस, मैंने मर्जोरि के स्तर के अनुरूप भूगोल के पाठ मशीनी अध्यापक में फीड कर दिए हैं। अब बच्ची को कोई समस्या नहीं होगी।’’

मिसेज जोंस ने इंस्पेक्टर को धन्यवाद दिया, पर मर्जोरि संतुष्ट नहीं थी। उसे मशीनी टीचर पसंद ही नहीं था। पर दूसरा उपाय भी तो नहीं था।

अगले दिन टॉमी और मर्जोरि मिले। मर्जोरि ने उसे पिछले दिन की घटना बताई, तो वह खूब हंसा। उसने कहा, ‘‘मुझे तो अपने टीचर से पूरे एक महीने के लिए छुटकारा मिल गया था, क्योंकि उसमें से इतिहास के सारे पाठ ही गायब हो गए थे। उस एक महीने में मैंने खूब मजे किए।’’

सुनकर मर्जोरि को अच्छा नहीं लगा। वह फिर से उस पुरानी किताब के बारे में पूछने लगी। टॉमी पूरी किताब पढ़ चुका था। उसने इस बारे में अपने पापा से पूछा था, तो उन्होंने पुराने जमाने के स्कूलों, कागज पर छपी पुस्तकों और बच्चों को पढ़ाने वाले टीचरों के बारे मेें बताया था। वही सब टॉमी ने मर्जोरि को बता दिया।

मर्जोरि सोच रही थी, ‘कैसे होते होंगे पुराने जमाने के स्कूल!’

टॉमी ने बताया, ‘‘पहले स्कूल आज की तरह नहीं होते थे। आज तो हर बच्चे का मशीनी टीचर उसके लिए विशेष रूप से तैयार किया जाता है। एक बच्चा, एक अध्यापक। पर पहले के स्कूल घर से दूर इमारत में होते थे। वहां सैकड़ों बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ते थे और उन्हें मानव टीचर पढ़ाया करते थे।’’

मर्जोरि ने कहा, ‘‘भला यह कैसे हो सकता है? एक मानव टीचर मशीनी टीचर का मुकाबला कैसे कर सकता है?’’

‘‘बिल्कुल कर सकता है, बल्कि वह मशीनी टीचर से भी ज्यादा जानकारी रखता था। यह मत भूलो कि इन मशीनी अध्यापकों तथा दूसरी सब मशीनों को मनुष्यों ने ही तो बनाया है।’’

मर्जोरि कल्पना कर रही थी, ‘एक बड़ी इमारत, अनेक कमरों में पढ़ते बच्चे। मशीनी टीचर की जगह मानव टीचर और पढ़ने को कागज पर छपी किताबें। वाह, कितना मजा आता होगा, जब स्कूल में साथ-साथ पढ़ने वाले बच्चे मिलकर खेलते-हंसते होंगे।’

तभी मम्मी बोलीं, ‘‘मर्जोरि, स्कूल का समय हो गया।’’

मर्जोरि का सपना टूट गया। कितना मजेदार था वह सब। उसने तुनककर कहा, ‘‘मम्मी, अभी समय नहीं हुआ है।’’

‘‘समय हो गया है। और अब टॉमी को भी अपने स्कूल जाकर पढ़ना चाहिए।’’ मिसेज जोंस ने कड़े स्वर में कहा।

टॉमी ने पुरानी किताब उठाई और सीटी बजाता हुआ चल दिया।

मर्जोरि अनमने मन से बगल के कमरे में अपने स्कूल में चली गई। वहां मशीनी टीचर प्रतीक्षा कर रहा था।

मशीनी टीचर की स्क्रीन जगमगा उठी। आवाज आई, ‘‘मर्जोरि, आज हम सवाल हल करेंगे। कल के होमवर्क को स्लाट में डाल दो।’’

मर्जोरि ने मशीनी टीचर के आदेश का पालन किया, पर वह उदास थी। वह पुराने स्कूलों के बारे में सोच रही थी जहां सैकड़ों बच्चे मिलकर पढ़ते होंगे, मिलकर खेलते होंगे। एक क्लास के सभी बच्चे एक जैसी किताब से पढ़ते होंगे। पढ़ते-पढ़ते भी शरारत चलती होगी। और उन्हें पढ़ाने वाले मानव टीचर होंगे। मुझे पढ़ाने वाले मशीनी टीचर नहीं। वाह! तब कितना मजा आता होगा बच्चों को...!

तभी कल्पना भंग हो गई। मशीनी अध्यापक कह रहा था, ‘‘हां, तो आज हम...!’’ मर्जोरि उदास थी। 

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