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Hindi Shayari Collection On Khush | Charagh And Raushni Shayari Collection |
‘ख़ुशी’ पर शायरों के अल्फ़ाज़
अपनी ख़ुशी से मुझे तेरी ख़ुशी थी अज़ीज़
तू भी मगर जाने क्यूँ मुझ से ख़फ़ा हो गया
- अशफ़ाक़ आमिर
जिस को तेरे अलम से निस्बत है
हम उसी को ख़ुशी समझते हैं
- अनवर साबरी
गाहे-गाहे अगर ख़ुशी मिलती
ग़म का इतना असर नहीं होता
- नूर क़ुरैशी
तू जो आया जान आई तू गया दिल भी गया
इक ख़ुशी आने में तेरे इक ख़ुशी जाने में है
- जलील मानिकपूरी
है ख़ुशी अपनी वही जो कुछ ख़ुशी है आप की
है वही मंज़ूर जो कुछ आप को मंज़ूर हो
- मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही
वो दिल ले के ख़ुश हैं मुझे ये ख़ुशी है
कि पास उन के रहता हूँ मैं दूर हो कर
- जलील मानिकपूरी
ख़ुशी से अपना घर आबाद कर के
बहुत रोएँगे तुम को याद कर के
- ज़हीर रहमती
अहबाब को दे रहा हूँ धोका
चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ
- क़तील शिफ़ाई
चंद ख़ुशियों को बहम करने में
आदमी कितना बिखर जाता है
- फ़ैसल अजमी
तिरी ख़ुशी से अगर ग़म में भी ख़ुशी न हुई
वो ज़िंदगी तो मोहब्बत की ज़िंदगी न हुई
- जिगर मुरादाबादी
'रौशनी' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़
रौशनी आधी इधर आधी उधर
इक दिया रक्खा है दीवारों के बीच
- उबैदुल्लाह अलीम
मैं अंधेरे में हूँ मगर मुझ में
रौशनी ने जगह बना ली है
- अंजुम सलीमी
रौशनी हो रही है कुछ महसूस
क्या शब आख़िर तमाम को पहुंची
- असलम फ़र्रुख़ी
कहीं कोई चराग़ जलता है
कुछ न कुछ रौशनी रहेगी अभी
- अबरार अहमद
देर तक रौशनी रही कल रात
मैंने ओढ़ी थी चाँदनी कल रात
- ज़ेहरा निगाह
प्यार की जोत से घर घर है चराग़ां वर्ना
एक भी शम्अ न रौशन हो हवा के डर से
- शकेब जलाली
शम्अ है लेकिन धुंदली धुंदली
साया है लेकिन रौशन रौशन
- जिगर मुरादाबादी
चमकती बिजलियां ही बिजलियां हैं
चमन में रौशनी ही रौशनी है
- ऐन सलाम
इस बार तेरे ख़्वाब में रक्खा है अपना ख़्वाब
इस बार रौशनी में सँभाली है रौशनी
- शाहीन अब्बास
क्या कोई भटका हुआ जुगनू इधर भी आएगा
रात गहरी हो चली है रौशनी ऐ रौशनी
- हसन अख्तर जलील
'चराग़' जलाने पर क्या कहते शायर, जानें इन शेरों से...
आख़िरी साँस ले रही थी रात
जब चराग़ आफ़्ताब से हारा
- संदीप शजर
शहर के अंधेरे को इक चराग़ काफ़ी है
सौ चराग़ जलते हैं इक चराग़ जलने से
- एहतिशाम अख्तर
अब चराग़ों में ज़िंदगी कम है
दिल जलाओ कि रौशनी कम है
- अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
- वसीम बरेलवी
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
- वसीम बरेलवी
उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों
तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ
- असर अकबराबादी
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
मगर चराग़ ने लौ को संभाल रक्खा है
- अहमद फ़राज़
वो दिन नहीं किरन से किरन में लगे जो आग
वो शब कहाँ चराग़ से जलते थे जब चराग़
- शकेब जलाली
इक चाँद तीरगी में समर रौशनी का था
फिर भेद खुल गया वो भँवर रौशनी का था
- मयंक अवस्थी
घुटन तो दिल की रही क़स्र-ए-मरमरीं में भी
न रौशनी से हुआ कुछ न कुछ हवा से हुआ
- ख़ालिद हसन क़ादिरी
नई सहर के हसीन सूरज तुझे ग़रीबों से वास्ता क्या
जहाँ उजाला है सीम-ओ-ज़र का वहीं तिरी रौशनी मिलेगी
- अबुल मुजाहिद ज़ाहिद