शायरों के अल्फ़ाज़ 'दीवार' पर |
शायरों के अल्फ़ाज़ 'दीवार' पर
क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरे हैं
- एजाज तवक्कल
और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
- अहमद फ़राज़
शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए
- मीर तक़ी मीर
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
- शहरयार
कल जहां दीवार ही दीवार थी
अब वहां दर है जबीं है इश्क़ है
- तौक़ीर तक़ी
मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूं
जिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
- शकेब जलाली
जो रुकावट थी हमारी राह की
रास्ता निकला उसी दीवार से
- अज़हर अब्बास
मैं बिछड़ों को मिलाने जा रहा हूँ
चलो दीवार ढाने जा रहा हूँ
- फ़रहत एहसास
घर में क्या आया कि मुझ को
दीवारों ने घेर लिया है
- मोहम्मद अल्वी
ऐ दोपहर की धूप बता क्या जवाब दूँ
दीवार पूछती है कि साया किधर गया
- उम्मीद फ़ाज़ली
दीवार क्या गिरी मिरे ख़स्ता मकान की
लोगों ने मेरे सेहन में रस्ते बना लिए
- सिब्त अली सबा
इस दौर-ए-ना-मुराद से ये तजरबा हुआ
दीवार गुफ़्तुगू के लिए बेहतरीन है
- राना आमिर लियाक़त
दीवार का बोझ बाम पर है
ये घर भी हुआ ख़राब कैसा
- अबुल हसनात हक़्क़ी
दीवारों की बस्ती में
दरवाज़ा लिक्खा मैं ने
- जलील हश्मी
'दूरियों' पर कहे गए शेर...
न क़रीब आ न तो दूर जा ये जो फ़ासला है ये ठीक है
न गुज़र हदों से न हद बता यही दायरा है ये ठीक है
- भवेश दिलशाद
सारे मंज़र हसीन लगते हैं
दूरियाँ कम न हों तो बेहतर है
- साबिर
हर चंद कू-ए-यार बहुत फ़ासले पे है
बदले हुए अभी से मिज़ाज आसमाँ के हैं
- दिल अय्यूबी
दूरियाँ सिमटने में देर कुछ तो लगती है
रंजिशों के मिटने में देर कुछ तो लगती है
-अमजद इस्लाम अमजद
मिलते गए हैं मोड़ नए हर मक़ाम पर
बढ़ती गई है दूरियाँ मंज़िल जगह जगह
- सूफ़ी तबस्सुम
एक नाज़-ए-बे-तकल्लुफ़ मेरे तेरे दरमियाँ
दूरियाँ सारी मिटा दीं फ़ासला रहने दिया
- मज़हर इमाम
ज़िंदगी इक दायरा है गर मुख़ालिफ़ भी चलें
फ़ासला उन दूरियों का मुख़्तसर हो जाएगा
- ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
- कैफ़ भोपाली
हिजरतों में हूजुरियों के जतन
पाँव को दूरियों ने घेरा है
- नासिर शहज़ाद
भुलाने बैठी हूँ सारी दुनिया धड़क रहा है वो मेरे दिल में
जो दूरियाँ हैं समुंदरों की वो फ़ासला है बस इक सदा का
- अलमास शबी
क़ुर्बतें भी दूरियों का बन गईं अक्सर सबब
इस लिए बेहतर है उन की बे-रुख़ी बाक़ी रहे
- अफ़रोज़ तालिब
दूरी है बस एक फ़ैसले की
पतवार चुनूँ कि पर बनाऊँ
- सरवत हुसैन
इक नदी के दो किनारों ऐसा है
फ़ासला हमारे दरमियान का
- इरशाद ख़ान सिकंदर
था न मा'लूम साथ रह कर भी
दरमियान इतना फ़ासला होगा
- अभिषेक कुमार अम्बर
बाँह फैले तो तुम को छू आए
फ़ासला इतना दरमियाँ रखना
- ध्रुव गुप्त