Hindi Shayari On Kahani Shayari Dhoop |
धूप’ पर लिखे शायरों के अल्फ़ाज़
क्या जाने क्यूं जलती है
सदियों से बिचारी धूप
- ज़फ़र ताबिश
धूप ने गुज़ारिश की
एक बूंद बारिश की
- मोहम्मद अल्वी
सुना है धूप को घर लौटने की जल्दी है
वो आज वक़्त से पहले ही शाम कर देगी
- सदार आसिफ़
धूप छूती है बदन को जब 'शमीम'
बर्फ़ के सूरज पिघल जाते हैं क्यूं
- फ़ारूक़ शमीम
मयस्सर फिर न होगा चिलचिलाती धूप में चलना
यहीं के हो रहोगे साए में इक पल अगर बैठे
- शहज़ाद अहमद
बैठा ही रहा सुब्ह से में धूप ढले तक
साया ही समझती रही दीवार मुझे भी
- शहज़ाद अहमद
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए
वो तिरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है
- हसरत मोहानी
धूप ही धूप थी इस के मुख पर
रूप ही रूप हवा में उतरा
- नासिर शहज़ाद
तमाम लोग इसी हसरत में धूप धूप जले
कभी तो साया घनेरे शजर से निकलेगा
- फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
धूप या'नी कि ज़र्द ज़र्द इक धूप
लाल क़िले से ढल गई होगी
- जौन एलिया
Shayari Collection On Dhoop,
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
- अल्ताफ़ हुसैन हाली
मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर
आदमी हूं सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
- असद बदायूंनी
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएंगे इक दिन
- साक़ी फ़ारुक़ी
'कहानी' पर शायरों के अल्फ़ाज़
इक नज़र का फ़साना है दुनिया
सौ कहानी है इक कहानी से
- नुशूर वाहिदी
ज़िंदगी क्या है इक कहानी है
ये कहानी नहीं सुनानी है
- जौन एलिया
जिसे अंजाम तुम समझती हो
इब्तिदा है किसी कहानी की
- सरवत हुसैन
ख़ामोश सही मरकज़ी किरदार तो हम थे
फिर कैसे भला तेरी कहानी से निकलते
- सलीम कौसर
आप की मेरी कहानी एक है
कहिए अब मैं क्या सुनाऊँ क्या सुनूँ
- मैकश अकबराबादी
shayari
वो एक दिन एक अजनबी को
मिरी कहानी सुना रहा था
- गुलज़ार
सभी किरदार थक कर सो गए हैं
मगर अब तक कहानी चल रही है
- ख़ावर जीलानी
वो दिन गुज़रे कि जब ये ज़िंदगानी इक कहानी थी
मुझे अब हर कहानी ज़िंदगी मालूम होती है
- निसार इटावी
हर कहानी मिरी कहानी थी
जी न बहला किसी कहानी से
- साक़ी अमरोहवी
आप-बीती कहो कि जग-बीती
हर कहानी मिरी कहानी है
- फ़िराक़ गोरखपुरी
Shero Shayari
सब्र आ जाए इस की क्या उम्मीद
मैं वही, दिल वही है तू है वही
- जलील मानिकपूरी
तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं
- जिगर बरेलवी
मौत का इंतिज़ार बाक़ी है
आप का इंतिज़ार था न रहा
- फ़ानी बदायूंनी
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
Hindi Shero Shayari